असम के ‘शिवाजी’ वीर लचित बोरफुकन के शौर्य को राष्ट्रीय स्तर पर ला रहे हैं हिमंता बिस्वा सरमा
मुगल दरबार, आगरा, 17 वीं शताब्दी उस सिपाही ने कंपकँपाते हुए स्वर में कहा, “हम में से किसी ने भी उसकी सूरत या सीरत (रूप -रंग) नहीं देखा है, हम नहीं जानते कि वह इंसान है या कोई रूह, ...