रूस को क्यों है भारत की जरूरत?
16 April 2024
टेस्ला की कारों के लिए सेमीकंडक्टर चिप बनाएगी टाटा।
16 April 2024
Kerala Story JNU screening: अपने प्रतिद्वंद्वी को नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीका उसे अनदेखा करना है, जैसे कि वह व्यक्ति कभी अस्तित्व में ही नहीं था। संस्थानों के साथ-साथ रचनात्मक परियोजनाओं के लिए भी यही बात लागू होती है। हालाँकि, जितना वे अपने वैचारिक विरोधियों का मज़ाक उड़ाते हैं, ...
Mission Majnu Film Review: जब फिल्म मिशन मजनू का ट्रेलर आया था, तो उसमें एक संवाद प्रमुख था- "मेरा काम करने का तरीका अलग है"। तब इस संवाद का अर्थ और फिल्म का उद्देश्य समझे बिना कुछ स्वघोषित क्रिटिक्स ने इस फिल्म का उपहास उड़ाया था। परंतु इस फिल्म को ...
Anti Brahmin slogans on JNU walls: भारत तेरे टुकड़े होगें, अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल अभी जिंदा हैं, ऐसे नारों से अपनी एक अलग पहचान बनाने वाला JNU यानी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय देश का एक अग्रणी शिक्षण संस्थान है। लेकिन यह एक ऐसी संस्थान है जो शिक्षा के लिए ...
कहा गया है न, जैसी संगत वैसी रंगत! एकदम सही कहा गया है। यूं तो ऐसा कहा जाता रहा है कि एक शिष्य को अपने गुरु के गुणों को आत्मसात करना चाहिए पर जेएनयू क्योंकि अपने में ही एक अलग मानचित्र को गढ़ता आया है, उसके मानदंड इस संदर्भ में ...
देखो बंधुओं, कुछ और हो न हो, परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि JNU के बंधु बांधव से मुफ्तखोर संसार में दूसरा कोई न भया और इनकी टक्कर का मुफ्तखोर भारत में मिलना लगभग असंभव है, अनलेस आप दिल्ली के मतदाताओं की बात कर रहे हों। परंतु ...
जला लो लाख राष्ट्रवाद की चिंगारी, खत्म न होने वाली यह राजद्रोह की बीमारी! यह कथन आज के परिवेश में बिल्कुल सटीक बैठता है जहां एक वर्ग विशेष राष्ट्रद्रोही को अब एक तमगे के रूप में देख रहा है तो वहीं बढ़ते राष्ट्रवाद को पचा पाना उसी वर्ग के लिए ...
देश के शिक्षण संस्थान राष्ट्र निर्माण की नींव होते है। पर, कुछ शिक्षण संस्थानों की महत्ता इतनी अधिक होती है कि वो न सिर्फ राष्ट्र को वैचारिक स्तर पर प्रभावित करते हैं, बल्कि इसकी धुरी भी बनते हैं। ऐसे ही कुछ शिक्षण संस्थान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय भी सम्मिलित है। ...
भारत के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की पहली महिला कुलपति प्रोफ़ेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित की नियुक्ति बीते सोमवार को भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा की गई है। प्रोफ़ेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित फिलहाल सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में राजनीति और लोक प्रशासन विभाग ...
JNU कैंपस में लगे ‛भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह’ और ‛अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल अभी जिंदा है’ के नारे आपको आज भी याद होंगे। 9 जनवरी 2016 को आतंकी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की तीसरी वर्षगांठ पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ विद्यार्थियों ...
“कसम बाबर की खाते हैं, मस्जिद वहीं बनायेंगे!” अजीब प्रतीत होता है न, परन्तु यही सत्य है. कुछ लोग अभी भी ऐसा सोचते हैं कि सरकार से लेकर प्रशासन तक, सब उनके क़दमों तले होगी और उनकी जयजयकार करते हुए उनके ‘हुक्म की तामील करेगी’, यानि उनके अनुसार काम करेगी. ...
JNU फिर विवादों के केंद्र में है औए इसबार विवाद का कारण JNU के सेंटर फॉर वीमेन स्टडीज द्वारा आयोजित एक वेबिनार है, जिसका शीर्षक Indian occupation in Kashmir था। वेबिनार में इस बात पर चर्चा होनी थी कि भारत ने किस प्रकार से कश्मीर को अपने कब्जे में रखा ...
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के सम्बोधन के एक बार फिर पाकिस्तान ने कश्मीर के फटे ढोल के सहारे दुनिया का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया। परंतु इस बार उनका सामना एक युवा राजनयिक एवं भारत की UN में प्रथम सचिव स्नेहा दुबे, जिन्होंने अपने अकाट्य ...