प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वैश्विक नेता बन चुके हैं, इसकी वजह साफ है कि भारतवासी अपने प्रधानमंत्री के साथ, उनकी नीतियों के साथ मजबूती से खड़े हैं। आज उसकी बानगी फिर से देखने को मिली, लंबे अर्से के बाद एक बार फिर से हिंडनबर्ग की रिसर्च आधारित रिपोर्ट ने भारत में चर्चा बटोरी थी, एक बार फिर से निवेशकों को, शेयर बाजार में सक्रिय लोगों को ये डर सताने लगा था कि पिछली बार की तरह एक बार फिर शेयर बजार धड़ाम से ना गिर जाये। गौतम अडानी की कंपनियों से जुड़े निवेशकों को नुकसान का डर सता रहा था, लेकिन आज जब शेयर बाजार खुला तो सबने राहत की सांस ली।
निवेशकों नें हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए शेयर बाजार से पैसा नहीं निकाला, अडानी की अलग अलग कंपनियों के शेयर तो गिरे लेकिन ये गिरावट बहुत मामूली है, जिससे किसी भी निवेशक का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, और ये बाजार की सामान्य चाल का ही हिस्सा है। लेकिन इससे ये एक बार फिर से साबित होता है कि विदेशी ताकतें भले ही भारत की अर्थव्यवस्था, भारत के बाजार को अस्थिर करने की हरमुमकिन कोशिशें करें, लेकिन भारतीयों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी नीतियों और भारतीय अर्थव्यवस्था पर पूरा भरोसा है, और इसीलिए वो बिना डरे लगातार निवेश कर रहे हैं।
आज सुबह जब सप्ताह के पहले कारोबारी वाले दिन बाजार खुला तो कुछ गिरावट जरूर दर्ज की गई थी, लेकिन निवेशकों के माथे पर शिकन आती, उससे पहले ही 11 बजे तक भारतीय मार्केट के दोनों सूचकांक सेंसेक्स-निफ्टी रिकवरी मोड पर आकर हरे निशान पर कारोबार करते हुये नज़र आने लगे। रिकवरी कितनी बेहतर और जल्दी हुई, उसे ऐसे समझिये कि आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला Sensex 375 अंक फिसलकर खुला था, लेकिन 11 बजे के बाद ये ग्रीन ज़ोन में पहुंचकर 266 अंक उछल कर कारोबार कर रहा था। ये रिपोर्ट लिखे जाने तक सेंसेक्स 79972.42 है, जबकि शुक्रवार को ये 79705.91 पर बंद हुआ था, और आज सुबह 79330.12 से खुला था।
इतना ही नहीं इसके अलावा निफ्टी भी हरे निशान पर पहुंचा, शुक्रवार को 24367.50 पर बंद होने वाला और सोमवार सुबह 24320.05 पर शुरुआत करने वाला NSE का निफ्टी इंडेक्स खबर लिखे जाने के समय 24430.00 के लेवल पर ट्रेड कर रहा था।
बाजार के इन आंकड़ों से एक बात तो साफ हो गई है कि हर भारतवासी, हर निवेशक को अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अडिग विश्वास है, और हिंडनबर्ग जैसी रिसर्च संस्थायें हमारी अर्थव्यवस्था को, हमारे बाजार को, हमारे निवेशकों के हितों को देश के बाहर बैठकर नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं।
लेखक- अनुज शुक्ला
पेशे से पत्रकार, फिलहाल स्वतंत्र लेखन