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ना तो कोई ‘वाद’ था ना ही कोई ‘पंथ’ भगत सिंह का

कम उम्र में साहित्यिक प्रबुद्धता व दर्शनशास्त्र की जिज्ञासा भगत सिंह के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक हिस्सा मात्र है। भगत सिंह का झुकाव किस विचारधारा की ओर था?, ये सवाल उनकी वज्र के समान हौंसले, वीरता और निष्काम देशप्रेम ...

मदर टेरेसा – एक असंत को कैसे लिबरलों ने संत बना दिया!

कल की प्रमुख खबरों में से 1 थी की मदर टेरेसा को संत मान लिया गया हैं और सितम्बर महीने में उनको पोप संत की आधिकारिक पदवी देंगे। संत घोषित होने के लिए किसी भी नन या पादरी या ...

जब तक माल्या है, तब तक मार्क्स और मार्क्सवाद है

एक 14 वर्ष के चरवाहे लड़के ने जब अपने पिता से पूछा कि पिता जी ये बारिश क्यों और कैसे होती है? तो पिता ने वैज्ञानिक कारण का ज्ञान होते हुए भी उसे एक काल्पनिक कहानी बतानी बहतर समझी ...

वामपंथ ही आधुनिक युग का ब्राह्मणवाद है

वामपंथ ही आधुनिक युग का ब्राह्मणवाद है बचपन से ही हम पढ़ते आ रहे हैं कि सदियों पहले से भारत एक ऐसा भू-खंड रहा है जो अपने प्राकृतिक संसाधनो एवं जलवायु विविधता कारण विदेशियों को आकर्षित करता रहा है ...

Happy Women’s Day परन्तु हमारी महिला सशक्तिकरण की परिभाषा गलत है

105 वर्ष पूर्व जर्मनी के एक समाजवादी द्वारा प्रारंभ किया गया पर्व ‘नारी दिवस’ लगभग 40 वर्षों से पुरे विश्व में महिलाओं को बराबरी का हक दिलवाने के लिए मनाया जाता है। आज महिला सशक्तिकरण के 'जुमले' के इस ...

जेएनयु पर अमेरिकी रिएक्शन : “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” का एक अद्भुत नमूना

मोदी सरकार ने जैसे ही JNU के भीतर पल रहे सपोलो को कसना शुरू किया ठीख तभी अमेरिकी विश्वविद्यालयों के कुछ 455 शिक्षको ने 1 संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर भारत सरकार के इस निर्णय की भर्त्सना की और इसे ...

जेएनयु के देशद्रोहियों, तुम लोग बुद्धिजीवी नहीं, गन्दगी फैलाने वाले मच्छर हो

तुम लोग मच्छर हो। जवाहरलाल के नाम का ये विश्वविद्यालय कायरों की बस्ती है, बीमारी का अड्डा है। अपने आप को प्रबुद्ध समझने वाले ये लोग कीड़े हैं जो सिर्फ़ देश के टुकड़ों पर पलते हैं, और उस पर ...

बिहार चुनाव का वोट गणित

बिहार चुनाव महागठबंधन की महाजीत के साथ समाप्त हो चुका है | आरोप-प्रत्यारोप का एक स्वाभाविक दौर शुरू हुआ है | छीछालेदर की जो कसर चुनाव में रह गयी थी वो दिवाली की रात जलने में असफल पटाखों की ...

अरविन्द केजरीवाल की “नई तरह की राजनीति”

"अजी ! हम तो नई तरह की राजनीति करने आये हैं" ये एक वाक्य आपने पिछले 3 वर्षों से खूब सुना होगा। आप जो सोच रहे हैं ठीक ही सोच रहे हैं। मैं बात कर रहा हूँ श्री अरविन्द ...

मोदी जिम्मेदार है ?

सदियों पहले भारत एक रूढ़िवादी देश हुआ करता था | यहाँ के लोग तर्क-तथ्य जैसी निरर्थक क्रियाओं में समय नष्ट कर देते थे | कुछ तो इतने मूर्ख थे कि बोलने से पहले समझते और समझने से पहले सोचते थे ...

मेनस्ट्रीम मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज़, सोशल मीडिया और लिंकबाज़ी

हिटलर कहता था कि एक झूठ बोलो, बार बार बोलो और अंत में सब उसे सच मान लेंगे। भारतीय मीडिया (मेनस्ट्रीम मीडिया) का एकसूत्री एजेंडा बस यही है। भारतीय मीडिया के पुरोधा, मठाधीश जो ऊपर बैठे हैं वो पूरे ...

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