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ऑस्ट्रेलिया के दिग्गजों, ज्ञान देना अच्छी बात है पर शुरुआत अपने घर से करें

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में संपन्न हुये बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट श्रृंखला में विराट कोहली के नेतृत्व में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से धो दिया। पुरे श्रृंखला में भारत का दबदबा कायम था। लेकिन इस श्रृंखला को खेल ...

नाहिद आफरीन को एक हिन्दू भाई का खुला ख़त

प्यारी नाहिद, मैं आमतौर पर रियलिटी शो नहीं देखता, लेकिन चैनल उलटते पलटते इंडियन आइडल जूनियर कभी-कभी सामने पड़ जाया करता था तब किसी बच्चे को गाते देख सुन ही लिया करते थे। जब ट्विटर पर खबर देखी तो ...

अनुराग कश्यप को एक हिन्दू ‘आतंकवादी’ का जवाब

डिअर अनुराग कश्यप, नमस्कार, वैसे आप इस नमस्कार के भी लायक नहीं हैं किन्तु यह मेरी सभ्यता के संस्कार हैं क़ि जिस समुदाय को आपने 'आतंकवादी' घोषित कर दिया हैं उसी समुदाय से आने के बाद भी मैं आपको ...

विपक्ष की सबसे बड़ी परेशानी ये है

आजकल हम देखते हैं क़ि हर नेता, अभिनेता या कोई सेलिब्रिटी देश में चल रहे सभी मुद्दों पर कुछ ना कुछ टिप्पणी करता हैं. मुद्दा चाहे काला धन हो या पाकिस्तान, कश्मीर हो या नोटबंदी, बोलना सभी को रहता ...

रीयल लाइफ वीर-ज़ारा: हिंदुस्तान का एक वीर पाकिस्तान की जेल में है

प्यार, इश्क, मोहब्बत और ना जाने क्या-क्या कहते हैं इसे, लोग कहते हैं की इसका जूनून जिसके सर पे सवार हो जाए वो पागलपन की हद भी पार कर जाता है, खासकर हमारे देश की प्रेम-कहानियों में पागलपन साफ़ ...

आप कौन सी भाषा में सोंचते हैं?

15 अगस्त 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ. और आज़ादी के साथ ही यह प्रश्न उठा क़ि इस बहुभाषी, विविध संस्कृति समेटे राष्ट्र की राजभाषा क्या होगी ? संविधान सभा के सदस्यों के काफी विचार-विमर्श के बाद 14 सितंबर ...

केजरीवाल: राजनीति के आइटम गर्ल/ब्वाय

बालकाल की तीन प्रमुख प्रवृतियाँ होती हैं। बवाली प्रवृति, सवाली प्रवृति और कव्वाली प्रवृति । बचपन में हरेक बालक में इन तीनो में से एक न एक प्रवृतियाँ अवश्यमभावी रूप से पायी जाती हैं। अरविन्द केजरीवाल के अल्प राजनितिक ...

मेनस्ट्रीम मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज़, सोशल मीडिया और लिंकबाज़ी

हिटलर कहता था कि एक झूठ बोलो, बार बार बोलो और अंत में सब उसे सच मान लेंगे। भारतीय मीडिया (मेनस्ट्रीम मीडिया) का एकसूत्री एजेंडा बस यही है। भारतीय मीडिया के पुरोधा, मठाधीश जो ऊपर बैठे हैं वो पूरे ...

अब त्यौहार नहीं आते बस छुट्टियां आती हैं।

वक़्त के साथ-साथ अगर कुछ सबसे तेजी से बदला है तो वो है हमारी त्योहारों की परिभाषा।  आज की महानगरों की भाग-दौड़ भरी दुनिया में अब त्यौहार नहीं आते, बस आती हैं तो केवल छुट्टियाँ।  फ़ेसबुक के स्टेटस अपडेट ...

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