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असहयोग आंदोलन गांधी की उपज नहीं थी

कुछ समय पूर्व, सीबीआई द्वारा सम्मन भेजे जाने पर आम आदमी पार्टी का हर एक नेता क्रोध से तमतमा रहा था। कुछ अति उत्साही समर्थक तो इतना भावुक हो गए कि केजरीवाल की तुलना बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी से ...

गोपीनाथ बोरदोलोई : असम के रक्षक!

हमारे देश का इतिहास बड़ा विचित्र है। जब बात आती है देश के नायकों को उचित सम्मान देने की, तो उन्हे अखबार का एक स्तम्भ भी प्राप्त नहीं होता। परंतु जब बात आती है देश का अहित चाहने वालों, ...

GD Naidu biopic माधवन का अगला प्रोजेक्ट : “एडिसन ऑफ इंडिया” पर बायोपिक

GD Naidu biopic trailer: कौन कहता है कि भारत में रचनात्मकता के लिए कोई स्थान नहीं? इस देश को यूं ही सोने की चिड़िया नहीं कहा जाता था। यहाँ के कोने कोने में रचनात्मकता एवं उद्यमिता बसी हुई है, ...

चारण : राजपूताना के “योद्धा कवि”

Charan caste history in Hindi: भारत में भांति भांति के योद्धा उत्पन्न हुए हैं। कुछ के लिए बल अधिक महत्वपूर्ण है, तो कुछ ने बुद्धि से युद्ध जीते हैं, परंतु राजस्थान वो भूमि है, जहां के कण कण में ...

जब नेहरू वाली गलती दोहराने वाले थे लालबहादुर शास्त्री….

वो कहते हैं “दुर्घटना से देर भली”। आज भारत की आक्रामकता से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। परंतु स्वतंत्रता के पश्चात प्रारम्भिक दो दशकों में ऐसा नहीं था। चीन ने हमारा क्या हाल बनाया, इससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं ...

बीर टिकेन्द्रजीत : जिसने मणिपुर और भारत के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया

भारत का इतिहास एक सागर समान हैं, जितना ही गहरा जाओ, कुछ न कुछ नया ही जानने को मिलता है। हमें पूर्व में ये बताया जाता था  कि गांधी और नेहरू के कारण ही देश स्वतंत्र हुआ था, और ...

हिंदुस्तान रिपब्लिकन असोसिएशन के 100 वर्ष : अदम्य साहस एवं जीवटता का अद्भुत संगम

“सिर्फ गांधी ही एक रास्ता नहीं है। अवाम अपने आप में इतनी ताकतवर है कि यदि उसे सही दिशा दी जाए, तो वह बड़ी से बड़ी सत्ता को उखाड़कर फेंक सकता है” इसी विचार को मन में लिए कुछ ...

Maruthu Brothers: मरुदु बंधुओं का वो इतिहास, जो आपसे छुपाया गया

Maruthu Brothers history in Hindi: कहते हैं, बंद घड़ी भी दिन में दो बार सही समय दिखा देता है। कथित “फ़ैक्ट चेकर” मोहम्मद ज़ुबैर ने भाजपा को घेरने के प्रयास में दो स्वतंत्रता सेनानियों का उपहास उड़ाया, जिसके पीछे ...

5 अवसर, जब शत्रु के हाथ से रेत की भाँति फिसले हमारे वीर

जब जरासंध के निरंतर आक्रमण पर श्रीकृष्ण ने मथुरा त्याग दी, तो उन्हें "रणछोड़" की उपाधि दी गई। तो क्या वे कायर थे? नहीं, परंतु श्रीकृष्ण को ज्ञात था कि जरासंध को परास्त करने के लिए ये सही समय ...

वैसे दो क्रांतिकारियों को भारत भूमि वापस लाने के लिए दशकों की प्रतीक्षा करनी पड़ी

1974। दिल्ली एयरपोर्ट पर कई सरकारी उच्चाधिकारी और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में केन्द्रीय प्रशासन कुछ लोगों की प्रतीक्षा कर रहे थे। आखिरकार हवाई जहाज़ एयरपोर्ट पर उतरा, और उक्त हस्तियों में से एक निकले। परंतु ये कोई जीवित ...

कश्मीर के रक्षक से लेकर इंडोनेशिया के तारणहार तक : भूमि पुत्र बीजू पटनायक की अद्भुत कथा

वर्ष था सन 1947। भारत स्वतंत्र होकर भी खंड खंड हुआ पड़ा था, और ऐसे में गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और उनके विश्वासपात्र वीपी मेनन के लिए अब कार्य बहुत कठिन होने वाला था। इसी बीच कश्मीर पर ...

गांधी इरविन समझौता: जब महात्मा गांधी के एक निर्णय के विरुद्ध पूरा देश हो गया

गांधी इरविन समझौता: “क्यों, क्यों यकीन करें आपका, इतिहास आपसे यह प्रश्न सदैव पूछेगा!” “द लीजेंड ऑफ भगत सिंह” में इस प्रश्न ने गांधी के किरदार को यूं ही नहीं निरुत्तर किया था। एक निर्णय के पीछे करोड़ों भारतवासी ...

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