'पेशवा' के लिए खोज परिणाम

बिठूर– भारत का एक छुपा हुआ सांस्कृतिक रत्न जिसे और समीप से जानने की आवश्यकता है

इतिहास वो नहीं जो हमें बताया जाए अपितु इतिहास वो भी है जिसे खोजने के लिए यत्न करना पड़े। जर्मन योद्धा एवं कूटनीतिज्ञ Otto Von Bismarck का मानना है कि हमारा उद्देश्य होना चाहिए इतिहास रचना, उसे लिखना नहीं। ...

सत्यशोधक समाज: सिद्धांत, उद्देश्य एवं प्रचार प्रसार

सत्यशोधक समाज सिद्धांत, उद्देश्य एवं प्रचार प्रसार स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे की सत्यशोधक समाज के बारे में साथ ही इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन ...

आतंकवादी याकूब मेमन की कब्र सजायी जा रही है, राजाराज चोल की मिट्टी पलीत है

विचित्र है अपना भारत, जहां देशद्रोहियों की जय होती है और नायकों को कोई घास नहीं डालता। ये भारत है, जहां औरंगजेब के कब्र पर फातिहा पढ़ी जाती है, उस कब्र के संरक्षण हेतु वार्षिक अनुदान भी होता है, ...

खुशहाली, विवाद, राज हत्या और प्रेत आत्माएं: ‘शनिवार वाड़ा’ का इतिहास

“काका, म्हाला वाचवा!” एक बालक प्रांगण में इधर से उधर दौड़ते हुए चिल्ला रहा था पर उसकी पुकार एक व्यक्ति देखकर भी अनसुनी कर रहा था। सत्ता की लालसा में वह इतना अंधा हो चुका था कि उस युवा ...

इन 5 साम्राज्यों की शौर्य गाथा सिल्वर स्क्रीन पर लाना आवश्यक है और बॉलीवुड के हाथों तो बिल्कुल नहीं

अगर हमारे भी भव्य इतिहास और संस्कृति को भव्यता से और पूरी वास्तविकता के साथ चित्रित किया गया होता तो हमारे पास भी ‘वाइकिंग्स’, ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ जैसे भव्य हॉलीवुड कलाकृतियों का उत्तर होता। परंतु निराश मत होइए- ...

गोंडया आला रे! चापेकर बंधु के शौर्य का कोई जवाब नहीं

22 जून 1897, दिवस मंगलवार पुणे अवसाद का सागर बन चुका था, परंतु ब्रिटिश साम्राज्य विलासिता के रस का स्वाद ले रहा था। उनके लिए न कोई दुख, न कोई पीड़ा। उनके लिए तो बस वैभव ही जीवन का ...

लीजिए ‘भारत एक खोज’ का एन्टीडोट तैयार है

“भारत एक खोज” जैसे अधकचरे सीरियल से क्या आप त्रस्त हैं? क्या आपका मूड इसलिए खराब है क्योंकि सम्राट पृथ्वीराज के साथ अन्याय हुआ? क्या अभी तक आप देश के वास्तविक नायकों से परिचित नहीं हो पाए हैं? अगर ...

अहिल्याबाई होल्कर– भारत के सांस्कृतिक उद्धार में जिनका अतुलनीय योगदान है

निरंतर हमें वामपंथियों ने अपमानित करने हेतु हमारी संस्कृति को पितृसत्तात्मक यानि patriarchal एवं रूढ़िवादी, एवं अंधविश्वास से परिपूर्ण ठहराने का परिपूर्ण, भले ही खुद में लाख कमियाँ छुपी हो। परंतु उन्हे निरुत्तर करने के लिए हमारे पास अधिकतम ...

रावण से की गई सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तुलना, अब अक्षय कुमार की फिल्म से कोई उम्मीद नहीं बची

कभी चंद्रशेखर आज़ाद की तुलना तैमूर लंगड़े जैसे से हो सकती हैं? कभी पेशवा बाजीराव की तुलना अलाउद्दीन खिलजी के साथ हो सकती है? हाल ही में डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित फिल्म पृथ्वीराज का ट्रेलर सामने आया है। ...

28 अप्रैल 1758 – आज ही के दिन “कटक से अटक तक” हिंदवी स्वराज्य की नींव पड़ी

“आदि से अनंत तक, यही है परंपरा, कायर भोगे दुख सदा, वीर भोग्य वसुंधरा!” ये वाक्य हमारे देश के असंख्य योद्धाओं की आदर्श नीति रही है, जिन्होंने हमारी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में भी संकोच ...

कांग्रेस के गुंडों द्वारा 5000 ब्राह्मणों के नरसंहार की अनसुनी कहानी

“दे दी तूने आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल”, सत्य कहें तो इस पंक्ति ने वर्षों तक पुरे देश को भ्रमित किया। इतना ही नहीं, जब ये 'संत' परलोक सिधारे, तो भी इनका ...

सिपाही विद्रोह क्या था? उत्पत्ति, प्रभाव, केंद्र और असफलता के कारण

सिपाही विद्रोह क्या है? 1857 के विद्रोह को सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है. बिहार के मंगल पाण्डेय ने बैरकपुर छावनी में अंग्रेज अफसरों पर गोली दाग कर इस विद्रोह को शुरु किया. 1857 का विद्रोह ...

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