रूस को क्यों है भारत की जरूरत?
16 April 2024
टेस्ला की कारों के लिए सेमीकंडक्टर चिप बनाएगी टाटा।
16 April 2024
आज से कुछ वर्षों पूर्व की हम बात करें तो आत्मनिर्भर भारत और मेड इन इंडिया जैसे अभियान केवल किसी सपने की तरह ही लगते थे। कई लोग मानते थे कि भारत जैसे देश में तो यह सफल नहीं हो पाएंगें, क्योंकि एक समय ऐसा था जब हम अपनी आवश्यकता ...
मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता होता है। भारत और ब्रिटेन भी एफटीए समझौते पर हस्ताक्षर करने की दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रहे थे। पहले संभावनाएं थी कि ...
जनता को मुफ्तखोरी की आदत डालने के बेहद ही बुरे परिणाम होते हैं। यह हमें श्रीलंका की स्थिति से स्पष्ट तौर पर देखने को मिल ही गया। श्रीलंका के दिवालिया होने के पीछे का मुख्य कारण मुफ्तखोरी ही रहा। जब देश पर कोरोना जैसी भयंकर महामारी का साया छाया, तो ...
कहते हैं जो शक्तिशाली होता है उसी के नाम का सिक्का पूरे विश्व में बोलता है, इस कहावत को अमेरिका ने कभी सच कर दिखाया था। अमेरिकी डॉलर ने 1970 के दशक की शुरुआत में सऊदी अरब के समृद्ध तेल साम्राज्य के साथ डॉलर में वैश्विक ऊर्जा व्यापार करने के ...
चाहे पथ में शूल बिछाओ चाहे ज्वालामुखी बसाओ, किंतु मुझे जब जाना ही है तलवारों की धारों पर भी, हँस कर पैर बढ़ा लूँगा मैं! हार न अपनी मानूंगा मैं! गोपालदास नीरज की यह कविता मैंने आपको एक उद्देश्य के साथ सुनाई है. एक राष्ट्र के तौर पर हम ...
ब्रिटेन का नाम सुनते ही जो पहला विचार मन में आता है वह है अच्छी अर्थव्यस्था, राजनीतिक स्थिरता, बेहतर रोज़गार आदि लेकिन स्थिति आपकी सोच से परे है। वक्त की मार कुछ ऐसी पड़ी है कि ब्रितानिया राज में कभी न अस्त होने वाला सूरज तो छोड़िए, इन्हें चांद की ...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली है, वो कई मिथकों को तोड़ते आ रहे है। ऐसा माना जाता है कि देश के जितने भी प्रधानमंत्री 10 साल या उससे अधिक वक्त तक सत्ता पर कायम रहे हैं, उन्हें अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम वर्ष यानी दसवें साल उन्हें ...
हमारे देश में एक तबका ऐसा है जिसे हर चीज से समस्या होती है। वे हर मुद्दे के जरिए अपना एजेंडा चलाने के प्रयास करता रहता है। जी हां, हम बात वामपंथियों की ही कर रहे है। देखने मिल रहा है कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है ...
किसी भी राजा का उत्तराधिकारी हमेशा तय होता है, सबको पता होता है कि उसका बेटा ही उसके राज्य का प्रभार संभालेगा। वहीं दूसरी तरफ लोकतंत्र में किसी भी संवैधानिक पद का उत्तराधिकारी किसी भी मौजूदा पदासीन व्यक्ति के परिवार का कोई सदस्य नहीं होगा इस पद्धति पर भाजपा पहले ...
एक होते हैं मूर्ख, फिर आते हैं जड़बुद्धि और फिर आते हैं तृणमूल कांग्रेस वाले लोग। अब तक ऐसा लगता था कि इस देश में राहुल गांधी से अधिक कोई अपने नौटंकियों से चकित नहीं कर सकता है पर ऐसा लगता है कि अपने ‘काका छीछी’ को ममता दीदी अब ...
ब्रिटेन में कालचक्र का पहिया बुरी तरह घूम गया है। वो ब्रिटेन जिसने एक समय भारत पर 200 वर्षों तक राज किया था आज उसी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री भारतीय मूल का एक नागरिक हो सकता है। अभी यह बात अतिश्योक्ति लग सकती है किंतु यही सत्य है। बोरिस जॉनसन ने ...
9 जून 1964, जब देश एक भीषण त्रासदी से जूझ रहा था। जवाहरलाल नेहरू के चुनाव से वैचारिक मतभेद लोगों को चाहे जितने रहे हों, परंतु 27 मई को उनकी मृत्यु के पश्चात भारतीय राजनीति के समक्ष एक अजीब दुविधा आन पड़ी थी और वो दुविधा थी कि देश का ...