तो क्या ट्रंप सच में पिछड़ गए हैं? लगता तो नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से सिर्फ 6 हफ्ते पहले टीवी पर एक ऐसा बहस का शो में हिस्सा लेते हैं जो उन्हें दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी के समीप ले जा सकता हैं. सिर्फ 90 मिनट में 100 रैलियों की ...
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से सिर्फ 6 हफ्ते पहले टीवी पर एक ऐसा बहस का शो में हिस्सा लेते हैं जो उन्हें दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी के समीप ले जा सकता हैं. सिर्फ 90 मिनट में 100 रैलियों की ...
बड़े- बुजुर्ग कह गए हैं कि एक आदर्श परिवार वही होता है जिसके सदस्य स्वयं का स्वार्थ त्याग करके परिवार में आपसी सदभाव को बनाये रखतें हैं, अगर सदस्यों पे स्वार्थ हावी हो गया तो परिवार में मतभेद और ...
आज कल की मीडिया कालिख से ढके उस तवे की तरह है जिसका असली रंग तब तक नहीं दीखता जब की उसे अच्छी तरह से खुरच खुरच के साफ़ नहीं किया जाए. ठीक वैसे हीं, आज कल जितनी भी ...
क्या जेएनयू के बाद पटना में भी देशविरोधी नारे लगाए गए? क्या राजधानी के अशोक राजपथ पर शुक्रवार अपराह्न जाकिर नाईक व असदुद्दीन ओवैसी के समर्थन में निकाले गए जुलूस में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए? ये सवाल ...
जैसा मैं हमेशा से कहता हूँ उलझा हुआ उत्तर प्रदेश, इतना उलझा कि बड़े-बड़े चुनावी विश्लेषकों को यहाँ के मतदाताओं का मूड समझ में नहीं आता। उत्तर प्रदेश सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती रहा है, चाहे वो राष्ट्रीय ...
भारत माता की जय के खिलाफ फ़तवा जारी हाल ही में दारुल उलूम देवबंद ने "भारत माता की जय ' बोलने के खिलाफ एक फतवा जारी किया था। इससे पहले विभिन्न मुस्लिम संगठनों और व्यक्तियों ने "वंदे मातरम" का ...
Indian, Hindu या फिर Indian Hindu - ‘देश और धर्म में भिन्नता’ एक छलावा राजस्थान की पूण्य भूमि पर एक वीर सपूत जन्मा था। नाम था राजा कान्हड़ देव (जालोर, राजस्थान)। सन 1297 की बात है अलाउद्दीन ख़िलजी ने ...
कम उम्र में साहित्यिक प्रबुद्धता व दर्शनशास्त्र की जिज्ञासा भगत सिंह के बहुआयामी व्यक्तित्व का एक हिस्सा मात्र है। भगत सिंह का झुकाव किस विचारधारा की ओर था?, ये सवाल उनकी वज्र के समान हौंसले, वीरता और निष्काम देशप्रेम ...
वामपंथ ही आधुनिक युग का ब्राह्मणवाद है बचपन से ही हम पढ़ते आ रहे हैं कि सदियों पहले से भारत एक ऐसा भू-खंड रहा है जो अपने प्राकृतिक संसाधनो एवं जलवायु विविधता कारण विदेशियों को आकर्षित करता रहा है ...
पाकिस्तान दक्षिण एशिया की शांति और अस्तित्व के लिए 1 नासूर हैं और जब तक अस्तित्व में रहेगा तब तक नासूर ही रहेगा। यहाँ अस्तित्व का अर्थ उसके वर्तमान वैचारिक दृष्टिकोण से हैं की जब तक यह कठमुल्ला पकड़ ...
सदियों पहले भारत एक रूढ़िवादी देश हुआ करता था | यहाँ के लोग तर्क-तथ्य जैसी निरर्थक क्रियाओं में समय नष्ट कर देते थे | कुछ तो इतने मूर्ख थे कि बोलने से पहले समझते और समझने से पहले सोचते थे ...
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