'पृथ्वीराज चौहान' के लिए खोज परिणाम

मौसमी हिंदू अक्षय कुमार के खुल गए हैं ज्ञान चक्षु, हालिया बयान से यही साबित होता है

अक्षय कुमार वैसे तो राष्ट्रवाद का राग खूब अलापते हैं, ऐसा दिखाने का पूरा प्रयास करते हैं कि उनके जैसा दूसरा कोई राष्ट्रवादी नहीं, दूसरा कोई देशभक्त नहीं। लेकिन अगर कोई उनकी सोच का सर्वेक्षण करे तो एक क्षण ...

लाल सिंह चड्ढा: 14 वर्ष लगे आमिर खान को ‘Ctrl C + Ctrl V’ करने में

“मेरी मम्मी कहती थी कि जिंदगी गोलगप्पे जैसी होंदी है। पेट भले ही भर जावे, मन नहीं भरता”। भई एक बात बताएं, बस इसके लिए अतुल कुलकर्णी और आमिर खान ने 14 वर्षों की ‘तपस्या’ की थी? ये था ...

फिल्म “अनेक”- भाई ये पूर्वोत्तर है, दिल्ली प्रेस क्लब की बकैती नहीं!

ये 21वीं सदी है, ये आधुनिक भारत है, हमें घृणा के दलदल में नहीं रहना। ये कोई मोटिवेशनल लेक्चर नहीं है बंधु, हमें सच में आगे बढ़ना है। हमारा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है, परंतु बॉलीवुड ...

भारत को खंड-खंड कर रहा है नेटफ्लिक्स!

लगता है नेटफलिक्स इंडिया ने कसम खा ली है कि अभी मन नहीं भरा है। ‘The Archies’ के फर्स्ट लुक पर जनता से जो बेहिसाब प्रेम मिला है, उसके बाद इनके हाइकमान सोचते होंगे, इससे नीचे भी कुछ हो ...

चाणक्य को मुख्यधारा में लाने वाले डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी पूरी तरह से पद्म पुरस्कार के अधिकारी थे

“हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती, स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती! अमर्त्य वीरपुत्र हो, दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो” किसने कल्पना की होगी कि जयशंकर प्रसाद की यह प्रसिद्ध कविता इतनी ...

अजमेर का ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ कहने को मस्जिद है परंतु वास्तविकता तो सनातन संस्कृति की ओर संकेत देती है

शाही ईदगाह मस्जिद, जामी मस्जिद, ज्ञानवापी मस्जिद, कमल मौला मस्जिद, इन सब में समान बात क्या है? शायद आप एक बार को भ्रमित हो जायें, परन्तु बाबरी मस्जिद का नाम जुड़ते ही आपके समस्त भ्रम दूर हो जाएंगे और ...

दिल्ली भारत की राजधानी कब – कब बनी? – सम्पूर्ण इतिहास

इंद्रप्रस्थ जो एक समय पर पांडवों के राज्य की राजधानी थी जिसे आज दिल्ली के नाम से भी जाता है। दिल्ली का राजधानी का इतिहास अगर खंगालने जाये तो दिल्ली सात बार बसी और इतनी ही बार उजड़ी भी ...

असम के बहादुर राजा पृथु: जिन्होंने बख्तियार खिलजी को युद्ध में धूल चटाई थी

‘चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक’ कवि माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध कविता की यह पंक्तियाँ ...

कांग्रेस दंगल 3.0- पंजाब, राजस्थान के बाद अब छत्तीसगढ़- देओ-बघेल में खींची तलवारें

कांग्रेस की एक सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि पार्टी अपनी गलतियों को सुधारने के बजाए उन्हें छिपाने पर सारा ध्यान लगा देती है, जिसका असर ये होता है कि पार्टी अब धीरे-धीरे हाशिए पर जा रही है। अभी ...

BJP का तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में ‘FREE TEMPLE’ का वादा गेमचेंजर साबित होने वाला है

तमिलनाडु में 7 अप्रैल से विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं, जिनमें AIADMK- BJP ने अपने चुनावी घोषणापत्र में तमिलनाडु सहित पूरे देश के हिन्दुओं के हित के लिए एक घोषणा की है। इस घोषणा में उन्होंने ऐलान किया ...

भारत-चीन युद्ध के 58 वर्ष पूरे – जानिए, नेहरू और मोदी दोनों के चीन से निपटने के तरीके में क्या है अंतर

भारत चीन युद्ध 20 अक्टूबर 1962 : 58 वर्ष पूरे 20 अक्टूबर 1962 की सुबह जब अरुणाचल प्रदेश के नामका चू क्षेत्र में तैनात राजपूत रेजीमेंट के जवान अपनी ड्यूटी के लिए तैनात हुए थे, तो उन्हे आभास भी ...

मुस्लिम शासकों पर कमेंट से बौखलाए वामपंथी गैंग IAS अधिकारी पर टूट पड़े

अक्सर हमने वामपंथियों के मुंह से सुना था - देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी सर्वोपरि होनी चाहिए। ये बात सच भी है, पर तभी तक, जब तक वामपंथियों के विचारों के विरुद्ध कोई बात न बोली जाये। जहां कोई ...

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