‘जस्ट मोहब्बत सिंड्रोम’ से जूझ रहे हैं भारतीय वामपंथी, उन्हें मानसिक चिकित्सा की आवश्यकता है
एक बालक था, चुपचाप-सा, भीरु, जिसे कोई न पूछे। नाम था जय। फिर उसे गौतम नाम का एक साथी मिला। उस बालक और गौतम के बीच कृष्ण-सुदामा जैसी गहरी मित्रता हो जाती है। ऐसी मित्रता जिसे कोई नहीं तोड़ ...