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आखिरकार प्रधानमंत्री मोदी ने नकली धर्मनिरपेक्ष राजनीति के इस प्रतीक चिन्ह को ध्वस्त कर ही डाला

इस शुक्रवार, जमात उल विदा के अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी में अनुपस्थित रहकर नरेंद्र मोदी लगातार तीसरे साल इस इफ्तार पार्टी में अनुपस्थित रहे हैं। पर इस साल, नज़ारा कुछ और ही था, क्योंकि इस बार ...

भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री: जैसे फिल्में बनाने वाले, वैसे ही फिल्में देखने वाले

जब भी हॉलीवुड ‘ए ब्यूटीफूल माइंड’, या ‘द मैन हू न्यु इन्फ़िनिटि” जैसे यादगार फिल्म बनाते हैं, हमारे मन में एक सवाल आता है:- भारतीय सिनेमा बायोपिक्स बनाने में इतना धीमा क्यूँ है? प्रेम रस की सुंदरता बखान करने ...

आरम्भ हो चुका है भारत के इतिहास के भगवाकरण का

हाल ही में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अपने इतिहास विषय के वर्तमान पाठ्यक्रम में संशोधन कराया है, और मैं गर्व से यह कहना चाहूँगा, की स्वतन्त्रता के सालों बाद, आखिरकार सच्चा भारतीय इतिहास राजस्थान में ही सही, पर ...

कुछ उदाहरण जो सिद्ध करते हैं कि हमेशा से ही हिंदू विरोधी रही है कांग्रेस पार्टी

"सेक्युलिरज्म" बहुत भारी और व्याप्त शब्द लगता है, है ना। और इसी शब्द को ढो कर हमारे भारत देश की तमाम राजनैतिक पार्टियां अपनी राजनीति करती है(कुछ एक को छोड़ दे तो)। क्योंकि भारत में "सेक्युलिरज्म" का मतलब "तुष्टिकरण" ...

अगर आपमें ये ग्यारह गुण हैं तो सावधान, आप सेक्युलर हिन्दू हैं!

Secular कौन और सेक्युलर हिन्दू कौन? एक सेक्युलर हिन्दू की पहचान - हिन्दू जो है, इस देश मे दो नसल के हैं, एक राष्ट्रवादी सनातनी, और दूसरे सेक्युलर। कब कोई सेक्युलर सनातन धर्म की महिमा की तरफ खींचा चला ...

संविधान की आड़ में मानवाधिकार के पैरोकार कैसी कैसी दलीलें देते हैं

देश में कुछ भी होता है लोग संविधान को उठाकर ले आते हैं। आज देश में हर मुद्दे पर सबसे पहले संविधान की दलील दी जा रही है। लाउडस्पीकर से लेकर वंदे मातरम और जन-गण-मन गाने और नहीं गाने ...

क्यों अमेरिकी सैनिक लेफ्टिनेंट-कर्नल रंगराज और उनकी पलटन को “मैरून एंजेल” बुलाते थे?

लेफ्टिनेंट-कर्नल रंगराज और उनकी पलटन को “मैरून एंजेल” बुलाते थे? 1910 से ले के दूसरे विश्व युद्ध तक कोरिया(संयुक्त कोरिया) पर जापान का कब्ज़ा था। द्वितीय विश्व युद्ध जापान हार गया और परिणाम स्वरुप जापान को कोरिया के ऊपर ...

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह की दूकान खोलना कितना जायज़ है?

मानवीय गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ज़रूरी माना गया हैं. नागरिकों के नैसर्गिक अधिकारों के रूप में उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं को संरक्षित करना, ताकि मानव के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास हो सके और उनके ...

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