RJD और कांग्रेस – स्वर्ग में बनी जोड़ी; नरक में लिया तलाक
राजनीति में भाजपा को अछूत कहने वाले आज खुद ही अछूत हो गए हैं। ना तो उनके पास नेतृत्व है, न ही कोई विचारधारा और हाल के दिनों में उन्होंने अपनी प्रासंगिकता भी खो दी है। इस पार्टी का ...
राजनीति में भाजपा को अछूत कहने वाले आज खुद ही अछूत हो गए हैं। ना तो उनके पास नेतृत्व है, न ही कोई विचारधारा और हाल के दिनों में उन्होंने अपनी प्रासंगिकता भी खो दी है। इस पार्टी का ...
साल 1990, 23 अक्टूबर को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या जा रही रथयात्रा पर बिहार में विराम लगता है और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बिहार पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया जाता है। इस एक ...
बिहार के जंगलराज का पर्याय बन चुके लालू यादव वापस आ चुके हैं। परंतु वे अब न पहले जितने प्रभावशाली हैं; और न ही अब वे उतने धाकड़ हैं, जितने पहले थे। लालू यादव अपनों के लिए, अपनी ही ...
वामपंथियों के भी अजब गजब रूप होते हैं। इनके लिए सूर्योदय भी मज़ाक है, पर तेज प्रताप यादव के चुटकुले गंभीर शोध का विषय होते हैं। इसी भांति यदि लव जिहाद इनके लिए कपोल कल्पना है और मज़ाक है, ...
बिहार की राजनीति में कोरोना को लेकर लगातार नौटंकी देखने को मिल रही हैं। ऐसा नहीं है कि राज्य में सारी व्यवस्था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन में अच्छी ही हैं, लेकिन कुछ को लेकर भ्रम भी फैलाया जा ...
आपने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि “बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया ” लेकिन भारत की कुछ राजनीतिक पार्टियां ऐसी हैं जहां बाप और भैया मिलकर रुपैया और गद्दी दोनों हथियाना चाहते हैं| इसी जद्दोजहद के ...
बिहार में चुनाव नजदीक हैं ऐसे में लंबे समय तक जिन लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD ने शासन किया हो उसकी स्थिति सबसे खराब दिख रही है। चुनाव से पहले तैयारियों की बात तो दूर रही बल्कि लालू ...
आरजेडी के बड़े नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने दुनिया को अलविदा कहने से पहले उनके साथ पार्टी में अन्याय को लेकर लालू यादव को एक पत्र लिखा था जो ये जताता है कि पार्टी के एक बेहतरीन नेता और ...
इस बार के बिहार चुनाव में एक बात तो स्पष्ट है - लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के लिए ये चुनाव कहीं से भी सरल नहीं है। काँग्रेस को छोड़कर सभी पार्टियां उसका दामन छोड़ चुकी है, ...
देश की राजनीति में “गरीबी” शब्द शुरू से ही एक बड़ा key word रहा है। देश के कई राजनेताओं ने अपनी गरीबी का प्रचार करके अपनी राजनीतिक दुकानों को बखूबी चलाया है। वर्ष 1971 के चुनावों में प्रधानमंत्री इन्दिरा ...
हाल ही में प्रशांत किशोर को उनकी मसखरी भारी पड़ गयी। सीएए और एनआरसी पर जेडीयू सुप्रीमो नितीश कुमार से चल रही तनातनी के बाद आखिरकार कल जेडीयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी से प्रशांत किशोर और ...
भारत में सबसे ज्यादा अगर कुछ फेमस है तो वह है वंशवाद। यह सभी क्षेत्र में देखने को मिलता है। चाहे वह राजनीति हो, खेल हो या बिजनेस, सभी जगह यह व्याप्त होता है। भारतीय राजनीति तो इसकी मिसाल ...
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