अब त्यौहार नहीं आते बस छुट्टियां आती हैं।
वक़्त के साथ-साथ अगर कुछ सबसे तेजी से बदला है तो वो है हमारी त्योहारों की परिभाषा। आज की महानगरों की भाग-दौड़ भरी दुनिया में अब त्यौहार नहीं आते, बस आती हैं तो केवल छुट्टियाँ। फ़ेसबुक के स्टेटस अपडेट ...
वक़्त के साथ-साथ अगर कुछ सबसे तेजी से बदला है तो वो है हमारी त्योहारों की परिभाषा। आज की महानगरों की भाग-दौड़ भरी दुनिया में अब त्यौहार नहीं आते, बस आती हैं तो केवल छुट्टियाँ। फ़ेसबुक के स्टेटस अपडेट ...
ज़ालिम ज़माने की मार से तंग आकर दिनोंदिन बढती महंगाई से घबरा कर हमने आत्महत्या की सोची फिर सोचा - ज़िन्दगी भूख में कटी है, अब भूखे क्यों मरें जब मरना ही है तो कुछ खाकर क्यों न मरें ...
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