योगी आदित्यनाथ का अनपेक्षित परन्तु सराहनीय निर्णय
बचपन में मेरे पिताजी जब मुझे पढ़ाने बैठते थे तो मैं अंग्रेजी वर्णमाला में ए टू ज़ेड लिख देती थी, मगर हिन्दी में क, ख, ग लिखने में मुझे बड़ी बोरियत होती थी। वजह पूछने पर मैंने बताया कि ...
बचपन में मेरे पिताजी जब मुझे पढ़ाने बैठते थे तो मैं अंग्रेजी वर्णमाला में ए टू ज़ेड लिख देती थी, मगर हिन्दी में क, ख, ग लिखने में मुझे बड़ी बोरियत होती थी। वजह पूछने पर मैंने बताया कि ...
28 मार्च को मेरठ में जो घटना घटी है, उसने समस्त राष्ट्र के समक्ष विचलित करने वाली तस्वीरें अवश्य प्रस्तुत की हैं। आखिरकार कुछ दरिंदे हमारे समाज में धर्म के नाम पर विष घोलने के प्रयास में कुछ हद ...
गाँधीजी ने कहा था कि आज़ादी के बाद कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए| इसके पीछे उनका मत था कि कांग्रेस का जो मकसद था, आज़ादी में सहयोग करना, वो पूरा हो चूका है| अब उस टाइम के नेताओं ...
लखनऊ में मंगलवार को लगभग 12 घंटे तक चले गोलीबारी के मुठभेड़ में एक आतंकी को मार गिराया गया। आतंकी का नाम सैफुल्लाह था। आतंकी एक घर के अंदर था और उसे बंकर की तरह इस्तमाल कर रहा था। ...
छोटे कपड़े से लेकर शराब और महिलाओं के बिस्तर पर अधिकार को लेकर देश के स्वघोषित नारीवादी हंगामा खड़ा करते रहते हैं, अपनी बात रखने के लिये मीडिया में कांफ्रेंस तक करते हैं, कैंडल मार्च भी निकालते हैं। आज ...
यह लेख खासकर मैं उन लोगो के लिए लिख रहा हूं जिन्होंने आज तक इस शहर की हवा और नब्ज को कभी महसूस नहीं किया है या फिर उनकी मानसिकता में यह शहर एक “मुस्लिम कट्टरपंथियों” का शहर मात्र ...
कुछ समय पहले एक हिंदी फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी जिसने बॉक्स-ऑफिस पे धूम मचा दी थी। अक्षय कुमार अभिनीत इस फिल्म का नाम ‘एयरलिफ्ट’ था और फिल्म की कहानी नब्बे में हुए इराक-कुवैत युद्ध के समय वहां ...
आजादी के 69 साल बाद भी विभिन्न आकलन एजेंसियों और हाल ही में देश की शिक्षा नीति समीति द्वारा कहा गया है कि हमारे देश में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता आज भी बहुत खराब है. इसके ...
15 अगस्त 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ. और आज़ादी के साथ ही यह प्रश्न उठा क़ि इस बहुभाषी, विविध संस्कृति समेटे राष्ट्र की राजभाषा क्या होगी ? संविधान सभा के सदस्यों के काफी विचार-विमर्श के बाद 14 सितंबर ...
भारत छोड़ो आंदोलन : सबसे सफल आंदोलन 1857 में जो जंग-ए-आजादी शुरू हुई थी, 9 अगस्त 1942 में वह अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकी थी। जिन समाजिक बिखरावों के कारण पूर्व के सभी संघर्ष असफल हो गए थे, ...
आज कल की मीडिया कालिख से ढके उस तवे की तरह है जिसका असली रंग तब तक नहीं दीखता जब की उसे अच्छी तरह से खुरच खुरच के साफ़ नहीं किया जाए. ठीक वैसे हीं, आज कल जितनी भी ...
बालकाल की तीन प्रमुख प्रवृतियाँ होती हैं। बवाली प्रवृति, सवाली प्रवृति और कव्वाली प्रवृति । बचपन में हरेक बालक में इन तीनो में से एक न एक प्रवृतियाँ अवश्यमभावी रूप से पायी जाती हैं। अरविन्द केजरीवाल के अल्प राजनितिक ...
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