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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोह की दूकान खोलना कितना जायज़ है?

मानवीय गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ज़रूरी माना गया हैं. नागरिकों के नैसर्गिक अधिकारों के रूप में उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं को संरक्षित करना, ताकि मानव के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास हो सके और उनके ...

भारत छोड़ो आंदोलन : भारत के इतिहास का सबसे सफल आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन : सबसे सफल आंदोलन 1857 में जो जंग-ए-आजादी शुरू हुई थी, 9 अगस्त 1942 में वह अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकी थी। जिन समाजिक बिखरावों के कारण पूर्व के सभी संघर्ष असफल हो गए थे, ...

क्या मायावती भूल गयी हैं की ‘महिला विरोधी’ भाजपा ने ही बचाई थी उन की जान?

यूपी की राजनीति में आजकल बवाल मचा हुआ है, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, एक-दूसरे को सामूहिक मंच से गालियां बकी जा रही हैं, बलात्कार जैसे मामलों पे संवेदनहीन टिप्पणियाँ हो रही हैं। सारा हो-हल्ला उस समय शुरू हुआ ...

जब पाकिस्तान में भारत का राष्ट्रवादी शेर दहाड़ा

जब अपने ही लोग आप के विरूद्ध हो जाएँ तो आप वचनों द्वारा अपनी सफाई पेश कर उनका समर्थन वापिस हाँसिल नहीं कर सकते। उसका सबसे अच्छा तरीका है अपने कर्मों द्वारा जवाब देना। कुछ बातें ऐसी होती हैं ...

जय बिहार की जगह पाकिस्तान ज़िंदाबाद: सेक्युलरिज़्म के साईड एफेक्ट्स

जेएनयू प्रकरण के बाद शुरू हुई देशद्रोह की गूंज अब बिहार में वाया पटना मुख्यमंत्री नितीश कुमार के गृह जिले में भी पहुंच गयी है। नालंदा के बिहारशरीफ में बुधवार शाम पाकिस्तान का झंडा लहराने से इलाके में तनाव ...

लालू यादव को गिरिराज सिंह का करारा जवाब

आदरणीय लालू जी, आपकी जाति के आधार पर समाज को बांटने की राजनीति, भ्रष्टाचार के हाथों बिहार को 15 वर्षों में पूरी तरह से बर्बाद कर देने की राजनीति और आपकी गरीब एवं विकास विरोधी राजनीति से पूरा देश ...

लोढ़ा कमेटी रिपोर्ट: बीसीसीआई में अब क्रिकेट होगा, राजनीति नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विश्व के सबसे धनाढ्य और भारत में क्रिकेट के सर्वे-सर्वा भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड( बीसीसीआई ) में ढांचागत सुधारों और बदलावों का रास्ता साफ़ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणियों के साथ ...

आसमान का सीना चीर के आ गए, धरती की छाती फाड़ के आ गए – मेरे बब्बर-मसूद आ गए

मित्रों, राजनीति और नौटंकी का चोली दामन का साथ है। अजी यह न हो, तो जैसे दाल में नमक नहीं, गाड़ी में पेट्रोल नहीं, या यूं कहें, राजनीति में जान नहीं। पिछले पाँच छह सालों से राजनीति ने अनुसरण ...

उत्तर प्रदेश चुनाव 2017: किसमे कितना है दम ?

जैसा मैं हमेशा से कहता हूँ उलझा हुआ उत्तर प्रदेश, इतना उलझा कि बड़े-बड़े चुनावी विश्लेषकों को यहाँ के मतदाताओं का मूड समझ में नहीं आता। उत्तर प्रदेश सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनौती रहा है, चाहे वो राष्ट्रीय ...

भाजपा का कैबिनेट विस्तार क्यों इस पार्टी की नींदें उड़ा रहा है?

स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अपेक्षा एक कम महत्वपूर्ण मंत्रालय कपडा मंत्रालय भेजना इस हफ्ते की बड़ी घटनाओं में से एक थी, जब ५ जुलाई को मोदी सरकार ने बड़े राजनैतिक उलटफेर करते हुए 19 नए ...

केजरीवाल: राजनीति के आइटम गर्ल/ब्वाय

बालकाल की तीन प्रमुख प्रवृतियाँ होती हैं। बवाली प्रवृति, सवाली प्रवृति और कव्वाली प्रवृति । बचपन में हरेक बालक में इन तीनो में से एक न एक प्रवृतियाँ अवश्यमभावी रूप से पायी जाती हैं। अरविन्द केजरीवाल के अल्प राजनितिक ...

तो क्या खत्म हो जायेगी रेल बजट की परम्परा ?

यह लगभग तय माना जा सकता है कि अगले साल से संसद के बजट सत्र में रेल बजट का कोई नमो-निशान ही ना रह जाए। जैसा की पिछले कई वर्षो से चली आ रही चर्चाओं पे गौर करें तो ...

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