अब्दुल करीम तेलगी हर्षद मेहता जितने बड़े नाम नहीं थे, परंतु इनका ‘स्कैम 2003’ कोई कम भयानक नहीं था
“हर्षद के धंधे की धार पर भरोसा रख, अच्छे अच्छों की कट जाती है इसके सामने” ऐसे संवादों से परिपूर्ण ‘स्कैम 1992’ ने ...
“हर्षद के धंधे की धार पर भरोसा रख, अच्छे अच्छों की कट जाती है इसके सामने” ऐसे संवादों से परिपूर्ण ‘स्कैम 1992’ ने ...
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