‘संवाद से सौहार्द’ की ओर ‘विश्व संवाद केंद्र’ की भूमिका
‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’, ऋग्वेद की ऋचा की यह पंक्ति अधिकांश लोगों ने सुनी या पढ़ी होगी । यह ऋचा आज ...
‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’, ऋग्वेद की ऋचा की यह पंक्ति अधिकांश लोगों ने सुनी या पढ़ी होगी । यह ऋचा आज ...
इसमें कोई दो राय नहीं कि जो भारत से इस समय मोल लेगा, उन्हें अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा! ऐसा प्रतीत होता ...
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