बिहार का आतंक कनेक्शन टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है, हर एक सप्ताह आतंकवादियो के बिहार कनेक्शन की एक नयी घटना सामने आ रही है। कुछ दिन पहले ही दिल्ली एयरपोर्ट पर बिहार के सीतामढ़ी के बाजपट्टी थानाक्षेत्र के अंतर्गत मुरौल गांव की रहने वाली इस्लामिक स्टेट की एजेंट यास्मीन मोहम्मद जाहिद को गिरफ्तार किया गया है। उसके खिलाफ केरल एसआइटी का लुक आउट नोटिस होने के कारण इमीग्रेशन अधिकारीयों ने उसे पकड़ कर केरल पुलिस को सूचित कर दिया। आशंका है कि युवती अब्दुल राशिद के इशारे पर इस्लामिक स्टेट एजेंट के रूप में काम कर रही थी, ये वही राशिद है जिस पर केरल के 21युवकों को इस्लामिक स्टेट में भर्ती करवाने का आरोप है।
उसकी शादी बाजपट्टी के ही हुमायूंपुर के रहनेवाले मोहम्मद सैयद अहमद हुसैन उर्फ छोटू जो की उसकी बुआ का बेटा है, से छह साल पहले हुई थी। शादी के बाद दोनों केरल के स्कूलों में पढ़ाने लगे मगर बाद में उनका तलाक़ हो गया। एक साल पहले यास्मीन की मुलाकात केरल के कासरगोड निवासी अब्दुल राशिद से हुई और दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ी बाद में दोनों ने इस्लामिक स्टेट से प्रभावित होकर केरल के युवाओं को ख़ासकर पीस इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को इस्लामिक स्टेट में भर्ती करना शुरू कर दिया। हालांकि यास्मीन दिल्ली में रहती थी मगर कुछ दिन पहले वह पंद्रह दिनों के लिए सीतामढ़ी में थी।
यहाँ आश्चर्य और चिंता की बात यह है की नितीश जी की होनहार बिहार पुलिस को उसके बिहार आने की कानो-कान खबर भी नहीं हुई जबकि केरल पुलिस ने उसके खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया हुआ था। हमारी होनहार और शौर्यवान बिहार पुलिस( कुछ बिहारी मित्र ऐसा कहते हैं ) से मैं चंद सवालों के जवाब चाहूंगा। क्या इस बात की गहराई से छानबीन नहीं की जानी चाहिए की यास्मीन बिहार आखिर करने क्या आई थी ? उसके परिवार वालों का कहना है की वो पासपोर्ट बनवाने आई थी, इस बात की बाकायदा जाँच नहीं होनी चाहिए ? यह पता नहीं लगाना चाहिए की पासपोर्ट के लिए उसने क्या विवरण दिया ? पासपोर्ट बना या नहीं ? उसने पासपोर्ट आवेदन हेतु जो जानकारियां दी थी उसका क्या वेरिफिकेशन दिया ? क्या सचमे बिहार पुलिस को कोई जानकारी नहीं थी लुकआउट नोटिस के बारे में ?
मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की अगर राज्य की सुरक्षा एजेंसियां और कुशल पुलिस इन सवालों के जवाब ढूंढे तो आतंकियों के बिहार कनेक्शन के बारे में कई अहम जानकारियां मिल जायेगी, लेकिन टाइम कहाँ है मालिक..इतना आराम जो करना है।
बिहार के आतंकी कनेक्शन के कई संकेत समय-समय पर मिलते रहते हैं परन्तु खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां हाथ पे हाथ धरे बैठी है। सुशासन बाबू को अगर शराबबंदी से फुरसत मिल गयी हो तो उन्हें संबंधित विभागों के साथ बैठक कर के कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि अभी देर नहीं हुई है, लेकिन क्या करें मालिक..यूपी में चुनाव आनेवाले हैं।
एक इस्लामिक स्टेट एजेंट बिहार आती है, 15 दिन रूकती भी है और फिर वापिस भी चली जाती है, वाकई यह बहुत गंभीर बात है।
राजधानी पटना के साथ-साथ बिहार के हर जिले के महत्वपूर्ण जगहों की सुरक्षा व्यवस्था की जाँच की जानी चाहिए और साथ ही लोगों को भी सजग करना चाहिए। नक्सली बिहार की एक बड़ी कमजोरी हैं और अगर इन्हें आक्रमक अभियान चला के समाप्त नहीं किया गया तो आतंकी इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं और ये बिहार ही नहीं अपितु समस्त भारत के लिए बड़ा खतरा बन जायेगा। बिहार पुलिस का झूठा महिमामंडन ना करते हुए लोगों को चाहिए की वे कमियों को सामने लाने का प्रयास करें ताकि बाद में झूठी तारीफ़ की जरूरत ही ना पड़े साथ ही सरकार को चाहिए की हर काम में राजनीति ना घुसेड़ते हुए जहाँ आवश्यकता पड़े केंद्र की मदद ले क्योंकि असली बिहारी स्वाभिमान की रक्षा सुरक्षित बिहार बनाने से ही हो पायेगी।