एडीस मच्छरों से फैलने वाला चिकनगुनिया लम्बे समय तक चलने वाला जोड़ों का रोग है, जिसमें जोड़ों मे भारी दर्द होता है। इस रोग का उग्र चरण तो मात्र 2 से 5 दिन के लिये चलता है किंतु जोड़ों का दर्द महीनों या हफ्तों तक तो बना ही रहता है। ऐसा ही कुछ हाल इस समय दिल्ली सरकार का है, रोग तो चिकनगुनिया जैसा ही है परन्तु ये एडीस के मच्छरों के काटने की वजह से नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से फैला हुआ है| इस दिमागी बुखार ने इस कदर केजरीवाल सरकार की नाक में दम कर रखा है कि सोते, जागते, उठते, बैठते सामने सिर्फ नरेन्द्र मोदी का साया रहता है|
इन सबके बीच अभी तक राजधानी में हज़ार से ज्यादा चिकनगुनिया, ग्यारह सौ डेंगू और मलेरिया के 21 से ज्यादा मामले सामने आए हैं लेकिन बतौर मुख्यमंत्री केजरीवाल जी कहते हैं कि यह सारी जिम्मेदारी उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री की है| अरे सर जी, जब आपकी सरकार की कोई जिम्मेदारी है ही नहीं तो दिल्ली सरकार द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं के लिए कुल 5259 करोड़ रूपए के बजट का प्रस्ताव क्यों रखा गया है| क्या इस पैसे से दिल्ली सरकार किसी विशिष्ट योजना के अंतर्गत लोगों के राशन कार्ड बनवाकर उन्हें घर घर अपनी उपलब्धियों के विज्ञापन की प्रतियां पहुचायेगी|
देश का कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि एक राज्य का मुख्यमंत्री जो कि अपने आपको आम आदमी का दर्जा देता है हालाँकि वह स्वयं एवं उसके मंत्री वीआईपी संस्कृति अपना रहें हैं, अपने राज्य में हो रही इतनी गंभीर समस्याओं के निदान के लिए नैतिक तौर पर जिम्मेदारी न लेकर, निराशा और हताशा की वजह से दूसरों पर दोषारोपण कर रहा है| आम आदमी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं की वजहों से अस्पतालों में दम तोड़ने को मजबूर है किन्तु मुख्यमंत्री जी गले की सर्जरी के लिए बंगलुरु जाने के बाद से गला फाड़कर चिल्ला रहें हैं कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के पास पेन खरीदने तक का अधिकार नहीं है| दिल्ली से जुड़े सभी अधिकार अब प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल के पास हैं|
अगर हम दूसरी ओर केजरीवाल सरकार के अधिकारों की बात करें तो चाहे वो यौन शोषण के अधिकार हों, फर्जी डिग्री के अधिकार हों, विज्ञापनों के असीमित खर्च का अधिकार हो, असंवैधानिक संसदीय सचिवों की नियुक्ति के अधिकार हों या फिर इन कठिन हालातों में (जब प्रदेश की जनता गंभीर रोगों से त्राहिमाम कर रही हो) प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री का चुनाव के मद्देनजर गोवा में राजनैतिक दौरे का अधिकार हो| इस प्रकार के सभी अधिकार दिल्ली सरकार के पास सुरक्षित हैं|
अगर दिल्ली की जनता ने शोधकार्य कर ऐसे अधिकारों वाले रोगों पर कोई टीका विकसित कर लिया होगा तो निश्चित ही अगले चुनावों में दिल्लीवासी, केजरीवाल सरकार को उनके राशन कार्ड के साथ सारे अधिकारों से विमुक्त कर काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए वाराणसी की यात्रा का स्वर्णिम अवसर प्रदान करेंगे|
कुछ पंक्तियाँ मै दिल्लीवासियों की ओर से केजरीवाल सरकार को समर्पित करना चाहूँगा –
रोगों से लडती जनता, कर रही पुकार
किधर हो केजरीवाल, किधर हो केजरीवाल
चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया सब दिल्ली को मार रहे हैं
कहाँ है स्वास्थ्य मंत्री जो गोवा में मौज उड़ा रहे हैं
आम आदमी बोल बोल कर, कैसा हम सबको है ठगा
जरुरत पड़ी जब आपकी, बेंगलुरु भाग दे गए दगा
मुख्यमंत्री हो आप दिल्ली के, प्रदेश के तारनहार
खुद की नाक बचाने को क्यों पीएम,एलजी पर वार
किधर हो केजरीवाल, किधर हो केजरीवाल|
कहाँ है मंत्री, कहाँ संत्री सब छोड़ भाग गए दिल्ली
एसी कमरों में बैठकर, उड़ा रहे हैं खिल्ली
भ्रष्टाचार, बिजली, पानी पर वादे खूब किये थे
नौटंकी के रूप में आप ने, कितने धरने प्रदर्शन दिए थे
स्त्री सशक्तीकरण के इस युग में, किन भक्षकों को रख रखा है
बलात्कार और अत्याचार कर, सीना तान खड़ा है
आम आदमी विधायकों के, दिख रहे रोज बवाल
पर आप आँखे मूंदकर, मोदी पर करो प्रहार
किधर हो केजरीवाल, किधर हो केजरीवाल||