दो और राज्यों में बीजेपी की जीत निश्चित

भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड मणिपुर

Image Courtesy: India Today

कहते हैं कि परिवर्तन ही संसार का नियम है, मैं भी इस कथन में गहरा विश्वास रखता हूँ क्योंकि अगर कुछ चीजों को हमने समय रहते नहीं बदला तो फिर ये हमारे लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। परिवर्तन की आवश्यकता स्वयं को समयानुसार परिवर्तित करने से लेकर सत्ता परिवर्तन तक सामान रूप में है, अब सत्ता परिवर्तन की बात आते ही आपको एक बार 2014 लोकसभा चुनाव अवश्य याद आएगा जब सत्ता परिवर्तन की इस लहर ने देश को अन्धकार की ओर धकेल रही कांग्रेस पार्टी की सरकार के स्थान पे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऊर्जावान और विकासपरस्त भाजपा सरकार को देश की सत्ता सौपीं और कांग्रेस को हाशिये पे ला खड़ा किया।

इस ऐतिहासिक वाक्ये को घटित हुए लगभग दो साल से अधिक का समय हो गया और इसके बाद काफी बड़े राजनीतिक उलटफेर हुए हैं। सत्ता परिवर्तन की यह लहर केंद्र से होते हुए राज्यों तक पहुंची और कई राज्यों में बड़े उलटफेर हुए, देश कांग्रेस-मुक्त भारत के पथ पर लगातार अग्रसर हो रहा है ऐसा कहना कदापि भी अनुचित ना होगा।

आज से दो साल पहले बीजेपी के पक्ष में जो माहौल बना था ओ दिन-ब-दिन आस्था में बदलता जा रहा है और इस बात का ताजा उदाहरण उत्तराखंड और मणिपुर में इंडिया टुडे-एक्सिस ग्रुप द्वारा कराये गए सर्वे से मिलता है। इस सर्वे का सार यह था कि अगर इन राज्यों में आज चुनाव हों तो कौन सी पार्टी को सत्ता-सुख प्राप्त होगा।

निसंदेह भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा दोनों राज्यों में भारी है और ऐसा कैसे और क्यों है इसे हम बारी-बारी से विस्तृत रूप में समझने की कोशिश करेंगे।

उत्तराखंड

कुछ दिनों पहले ये राज्य कांग्रेस और बीजेपी के बीच कुश्ती का आखाड़ा बना हुआ था, वजह थी कांग्रेस की आपसी कलह जिसके वजह से वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार खतरे में पड़ गयी थी और इस मसले ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी। जैसे-तैसे सरकार बच गयी और कांग्रेस ने इसे केंद्र सरकार के खिलाफ उत्तराखंड की जनता के जीत रूप में प्रदर्शित किया था मगर शायद ये सर्वे कांग्रेस को परेशान कर सकता है।

उत्तराखंड की जनता के मन में कुछ और ही है, सर्वे के आंकड़ों की माने तो अगर आज उत्तराखंड में चुनाव हो जाएं तो भारतीय जनता पार्टी 70सीटों वाली विधानसभा में लगभग 38-43 सीट पर विजय प्राप्त कर सकती है। वर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत भले ही खुद को उत्तराखण्ड का चेहरा मानते हों लेकिन जनता तो बीसी खंडूरी को मुख्यमंत्री आवास में वापिस बुलाना चाहती है। नतीजे कोई चौकाने वाले नहीं हैं, हरीश रावत कोई खास कमाल दिखा नहीं पाए और व्यर्थ के विवादों में ज्यादा उलझे रहे ऐसे में जनता का विश्वास उनके ऊपर से उठना लाजमी ही है।

मणिपुर

अगर इस सर्वे की माने तो पूर्वोत्तर में केसरिया रंग में रंगने वाला दूसरा राज्य मणिपुर होगा। जी हां वही मणिपुर जहाँ की इरोम शर्मिला अफ्स्पा के विरुद्ध लगभग 16वर्षों तक भूख हड़ताल पे रहीं और फिर बेहद ही नाटकीय ढंग से अनशन तोड़ते हुए चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी लेकिन लगता है कि लोगों को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ा।

मीडिया द्वारा ‘आयरन लेडी’ का तगमा प्राप्त इरोम महज 9प्रतिशत लोगों की पसंद हैं और अगर फिर वे हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं तो फिर उनकी जानकारी के लिए ये भी बताना जरूरी हो जाता है कि मात्र 6फीसदी लोग अफ्स्पा को गैरजरूरी मानते हैं।

वर्तमान में 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस का दबदबा है परंतु सर्वे में ये महज 19-23 सीटों पे सिमटती नजर आ रही है, मणिपुर में बीजेपी के कांग्रेस मुक्त-भारत अभियान को लगभग 40% लोगों का समर्थन मिल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति संवेदना, मणिपुर में बीजेपी की बूथ लेवल तक की सक्रियता और असम में भाजपा की जोरदार जीत राज्य में केसरिया लहराने में अहम भूमिका निभाएगी। कांग्रेस मणिपुर में नेपाली और बांग्लादेशी घुसपैठियों पे लगाम लगाने में नाकामयाब रही और लोगों में इस बात के प्रति काफी रोष व्याप्त है।

खैर, परिणाम जो भी हो कांग्रेस मुक्त-भारत का सपना साकार होने की एक मजबूत सम्भवना बन रही है। मैं ऐसा दावा नहीं कर सकता कि बीजेपी ही परिवर्तन लायेगी मगर इस बात में कोई दोराय नहीं है कि इस देश का भला कांग्रेस नहीं कर सकती। कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए तमाम अच्छे-बुरे हथकंडे अपनाये हैं बिना उसके दुष्परिणामों के बारे में विचार किए हुए। बीजेपी ऐसा नहीं करेगी ये बात आमजन समझ गए हैं और यहाँ बीजेपी की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो लोगों के इस विश्वास को बनाये रखे बाकी वर्तमान ने भारतीय जनता पार्टी का भविष्य उज्जवल है और शायद देश का भी।

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