जिस दिन से ये देश आजाद हुआ है आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों में सबसे पहला स्थान ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ का ही रहा है। विभिन्न राजनैतिक पार्टियों ने इस जरुरत को सदैव भुनाया है और इसके दम पर अपनी राजनीति की रोटी पुरे जोर-शोर से सेंकी है, खासकर आजादी के बाद से सबसे ज्यादा दिन तक देश की सत्ता के केंद्र में रहने वाली कांग्रेस ने इसपर सबसे ज्यादा राजनीति की है।
कांग्रेस ने इस मुद्दे पे सिर्फ राजनीति की क्योंकि कहीं ना कहीं वे इस मुद्दे को जीवंत रखना चाहती थी ताकि उसे वोट मिलते रहे और उसे सत्ता सुख प्राप्त करने से कोई नहीं रोक पाए, इसी मुद्दे के दम पर कई क्षेत्रीय दल भी अस्तित्व में आये लेकिन किसी ने भी समस्या का समाधान नहीं ढूंढा अपितु उसे जीवित रखा। हालांकि, इस समस्या को दूर करने के लिए कांग्रेस द्वारा ‘इंदिरा आवास योजना’ चलाई गयी थी लेकिन वो समस्या को खत्म करने के बजाय दलित वोट बैंक को साधने की दिशा में उठाया गया एक कदम भर था।
खैर, वक्त ने करवट ली और जनता ने देश के शासन की कुंजी नरेंद्र मोदी के हाथों सौंप दी और प्रधानमंत्री ने समय-समय पे गरीबी हटाने, भ्रष्टाचार मिटाने के मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता साबित की है। सबसे पहले तो नोटबंदी लागु कर उन्होंने असामाजिक तत्वों की कमर तोड़ दी है और अब एक और जनकल्याणकारी योजना का ऐलान करके समाज के कई तबकों का दिल जीतने वाला काम किया है।
बीते रविवार को प्रधानमंत्री आगरा में थे और वहां उन्होंने ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना’ का अनावरण किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य साल 2022 तक ग्रामीण इलाकों में जो भी परिवार गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं, उनकी एक घर की मूलभूत जरूरत को पूरा करना है। यानि की अमुक व्यक्ति अगर गरीबी रेखा से नीचे है फिर चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का हो सरकार उसे रहने के लिए एक बसेरा बनाने में मदद करेगी। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा की, ‘हमने जनधन योजना शुरू की थी ताकि सबके पास बैंक में खाता हो और अब हम आवास योजना शुरू कर रहे हैं ताकि सबके पास घर हो।
आवास योजना के साथ में प्रधानमंत्री ने ‘उज्ज्वला योजना’ की आधारशिला भी रखी ताकि घर-घर में गैस कनेक्शन और स्टोव भी पहुँचाया जा सके। प्रधानमंत्री आवास योजना तीन चरणों में कार्य करेगी, पहला चरण में(जोकि जून 2015 से शुरू हो चूका है) 100 जिलों में ये योजना लागू की जायेगी, दूसरे चरण में 200 जिलों में और तीसरे एवं अंतिम चरण में इसे पुरे देश में लागू कर दिया जायेगा। इस योजना की खास बात ये भी है की इसमें सभी घर महिलाओं के नाम से अलॉट होंगे यानि की सरकार ने घर की मुखिया महिलाओं को माना है।
इस योजना को अगर हम विस्तार से समझने की कोशिश करें तो हमे इस बात का एहसास हो जायेगा की ये योजना अपने-आप में एक बेहद ही क्रन्तिकारी योजना है क्योंकि अगर नरेंद्र मोदी इस योजना को सफलतापूर्वक लागु करने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर वो कई राजनैतिक पार्टियों से उनकी राजनीति का मुद्दा ही छीन लेंगे।
कुछ लोग इसे नोटबंदी के फैसले के बाद बीजेपी की वापसी की कोशिश बता रहे हैं उन्हें यह जानकर धक्का लगेगा की यह योजना तो जून 2015 से ही ‘सबके लिए घर’ की स्कीम के नाम से चल रही थी, ये तो इसका नामकरण मात्र था वैसे भी हमे अबतक ये समझ में आ जाना चाहिए की तुष्टिकरण की राजनीति के प्रबल विरोधी नरेंद्र मोदी कोई भी फैसला चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं लेते बल्कि देश को ध्यान में रखकर लेते हैं। मैं ये बात प्रधानमंत्री से प्रभावभित होकर नहीं कह रहा हूँ बल्कि हाल-फिलहाल में उनके द्वारा लिए गए फैसलों को ध्यान में रखकर कह रहा हूँ। खैर, जैसा की मैं ऊपर भी कह चुका हूँ की यह योजना भी पार्टियों की ओझी राजनीति की कमर तोड़ देगी बशर्ते इसे समुचित ढंग से लागू कर दिया जाए।