छोटे कपड़े से लेकर शराब और महिलाओं के बिस्तर पर अधिकार को लेकर देश के स्वघोषित नारीवादी हंगामा खड़ा करते रहते हैं, अपनी बात रखने के लिये मीडिया में कांफ्रेंस तक करते हैं, कैंडल मार्च भी निकालते हैं। आज तो सोशल मीडिया के दौर में नयी हिंदी लिखने के नाम पर बैठे कुछ फर्ज़ी नारीवादी भी महिलाओं के सम्मान और अधिकारों को लेकर बड़े-बड़े लेख लिख रहे हैं। देशविरोधी तत्वों का समर्थन करने वाली गुरमेहर का भी ये फर्ज़ी नारीवादी खुलकर साथ दे रहे हैं, क्योंकि वो नारी हैं।
चलो ठीक हैं, मान लिया वो नारी हैं तो नारीवादियों को उसका साथ देना चाहिए। वो नारी हैं तो किसी भी प्रकार की गाली या अपशब्द नहीं बोले जाना चाहिए इससे भी हम सहमत हैं। जिसने बोला उसे सजा भी मिलनी चाहिये। लेकिन क्या सिर्फ वाम मोर्चे की महिलाओं के लिये ही नारीवादी लोग खड़े होंगे ? जो देश की बात करेगा उसका साथ ये नहीं देंगे ? देंगे भी कैसे क्योंकि ये खुद नारीवाद के रूप में अपनी दुकान चलाते हैं।
भारत को विश्वपटल में सम्मान दिलाने वाली ‘फोगाट’ बहनें आज राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ़ खड़ी हैं। इन्होंने वाम मोर्चे के बनाये मायाजाल को ध्वस्त कर दिया हैं। अब जब ये खुलकर देशविरोधी तत्वों के खिलाफ़ हैं तो खुद को पढ़ा लिखा सोचने और रसूख के घमंड में बैठे लोग इन्हें ‘अनपढ़’ जैसी संज्ञा दे रहे हैं। आतंकी याकूब मेमन समर्थन पत्र में हस्ताक्षर करने वाले बॉलीवुड के ‘जावेद अख्तर’ ने अपने ट्वीट में पहलवान खिलाडियों को ‘अनपढ़’ कहा, लेकिन कोई नारीवादी इसके विरोध में मुझे दिखाई नहीं दिया।
इसके बाद तो हद ही हो गयी। खुद ‘2 कौड़ी’ के इंसान कमाल खान ने पहले बबीता फोगाट पर कहा क़ि ‘ जिसे ठीक से बोलना भी नहीं आता वो भी समझ गयी क़ि गुरमेहर भारतविरोधी हैं’।
कमाल खान जैसे बेशर्म व्यक्ति ने इसके बाद फोगाट बहनों पर वार करते हुए उन्हें ‘2 कौड़ी’ की खिलाड़ी कहा। इन रसूखजादों के ‘साम्यवादी’ फॉलोवर ने भी देश की बेटियों पर ही उंगली उठाई। आखिर इसका ज़िम्मेदार कौन हैं ? फोगाट बहनों ने तो अपने जवाब से इस जाहिल व्यक्ति को ऐसा करारा तमाचा मारा हैं की इसे जीवन भर याद रहे। लेकिन राष्ट्रीय गौरव का अपमान करने के लिये लोगो को उकसाने की ज़िम्मेदारी कौन लेगा ?
लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आ रही गुरमेहर के समय वीरेंद्र सहवाग, रणदीप हुड्डा और योगेश्वर दत्त जैसे देश के गौरव पर ऊँगली उठाने वाले नारीवादी अब कहाँ हैं ? क्या फोगाट बहनें नारी नहीं हैं ? या इन नारीवादियों का समर्थन सिर्फ देशविरोधियों को ही हैं ? आज जब देश को सम्मान दिलाने वाले बेटियों का कुछ कट्टर और लफंगे जैसे लोग अपमान कर रहे हैं तो ये नारीवादी समर्थन में क्यों नहीं हैं ? क्यों नयी हिंदी लिखने वाले फर्ज़ी नारीवादी लेख नहीं लिख रहे ?
दरअसल ये सब फर्ज़ी हैं। इन्हें देश की बेटियों, महिलाओं से कोई मतलब नहीं हैं। ये अपने और अपनी विचारधारा के स्वार्थ के लिये किसी को भी हथियार बना सकते हैं लेकिन देश की बेटियों के साथ नहीं खड़े हो सकते। भारत में नारीवाद नहीं छद्म नारीवाद हैं और नारीवादी भी।