हमारे देश की मीडिया भी बड़ी क्यूट है, या फिर ये कहे के बड़ी कर्तव्यदक्ष है। देखिये ना अभी जुम्मा जुम्मा बनी योगी सरकार का इन्होंने अवलोकन करना भी शुरू कर दिया, मतलब इतना तत्पर कोई होता है भला? तो क्या हुआ कई सालो से ये लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ सोया हुआ था, तो क्या हुआ पत्रकारिता 2002 के आगे कभी बढ़ी ही नहीं, तो क्या हुआ के कुछ महानुभाओं का अवलोकन तो छोड़िये उनके अवगुण भी इन्हें नही दिखे ?
सच तो ये है के एक भगवाधारी को यूपी का मुख्यमंत्री बनते देखना इनके गले नही उतर रहा है, इनके लिबरल आकाओ की तो जैसे रातो की नींद हराम हो चुकी है। इस देश ने मौलाना आजाद जैसे एक मुस्लिम मौलाना को अपना शिक्षा मंत्री अपनाया था लगातार 12 साल के लिए, बहरहाल मौलाना साहब के लिए मन में यत्किंचित भी संदेह नहीं पर जब इस देश की 90% आबादी ने ऐसे इंसान को अपना शिक्षा मंत्री माना था जो देश की बची हुई 10% आबादी से आता था, वो भी शिक्षामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर, जो पद देश की सीरत एवम् सूरत दोनों बदल सकता था, पर फिर भी देश की बहुसंख्यक जनता ने मौलाना साहब में अपना पूर्ण विश्वास दिखाया तो भाई आज एक महंत से क्या आपत्ति है ?
उधर योगीजी भी बड़े तेजतर्रार निकले। पद संभालते ही एक्शन मोड में आ गए। अभी तक UP में 150 से ज्यादा अवैध बूचड़खाने बन्द हो चुके है, 200 से ज्यादा मनचले पुलिस के हत्थे चढ़ चुके है। इससे ये साफ दिखता है के पहले की अखिलेश सरकार ने 5 साल कौन सा बोलने वाला कम किया। पर हाय रे मीडिया की बेबस चाटुकरीता, ये सब यूपी में अच्छा होते हुए कैसे देखा जाये ? आखिर तुष्टिकरण भी कोई चीज है। ऊपर से आकाओ का हुक्म आया है वो अलग, तो फिर क्या करे ? लगाओ बेरोजगारी का नारा जोर शोर से, करो मजनुओ के अभिव्यक्ति के आजादी की पैरवी, लगाओ गुंडों के मानवाधिकार की आवाज।
पर ये सब करते वक़्त मीडिया वाले ये भूल जाते है के वो जो कर रहे है वो एक अवैध धंधे को समर्थन देना कहलाता है। अभी हाल ही में एक विख्यात न्यूज़ चैनल पे एक उतने ही विख्यात पत्रकार महोदय कह रहे थे के अवैध बूचड़खाने बंद करवाने से आदित्यनाथ सरकार को करोडो का घटा होगा। सबसे पहले तो ये समझ न आया के कोई अवैध धंधा कौन सा कर भरटा है जिसके वजह से सरकार को घाटा होगा, और अगर होता भी है तो सिर्फ घाटे के डर से ऐसी चीजो को बढ़ावा देना क्या उचित है ?
कुछ कह रहे है के हजारो लोग बेरोजगार हो जायेंगे क्यों के उन्हें मांस काटने के सिवाय और कुछ नही आता, ऐसी कोन सी मिसाइल बनाने के काम में लगे हुवे थे भाई जो दूसरा काम नही जमेगा ? अरे भैय्या कारण दो पर ढंग का तो दो। कल अवैध हथियारों की बनवाई पे रोक लगेगी तो क्या तब भी यही कारण पेश करोगे की उन्हें हथियार बनाने के सिवाय और कुछ नहीं आता तो अब क्या करे ?
यूपी में मनचलो का कितना आतंक और खौफ था ये साबित करने के लिए हाल ही में यूपी में हुई बलात्कार की वारदाते पर्याप्त है, वैसे भी नेताजी ने तो इनका समर्थन ये कहे के कर दिया था के “लड़के है लड़को से गलती हो जाती है”, आज से पहले यूपी की बहने जब भी घर के बाहर निकलती तो घरवाले उसके वापस आने तक चैन नहीं पाते थे। अगर उन बहनो को एक सुरक्षित माहोल देने का प्रयास हो रहा है तो उसमे क्या गलत है, उन मनचलो की पैरवी क्यों?
योगी जी ने गुटखे और तम्बाखू पे भी प्रतिबन्ध लगाया, मुझ जैसे सामान्य आदमी से पूछोगे तो मुझे ये निर्णय बड़ा ही भाया पर हमारे मीडिया को इसमें भी दर्द हुआ, और इस निर्णय की आलोचना करने वाले भी वो लोग थे जिन्होंने नीतिश सरकार के शराब बंदी की सराहना की थी। इतना दोघलापन इतना विश क्यों भाई ? क्यों की सिर्फ योगीजी ने भगवा धारण किया है इसलिए?
हालांकि मै चाहता हूँ क़ि मीडिया वाले अपना ये प्रयास शुरू रखे क्योंकि जितना वो योगीजी के खिलाफ लिखेंगे उतना ही वो अपनी खुद की पोल खोलेंगे।