बाबर का इतिहास
ज़हिर उद-दिन मुहम्मद उर्फ़ बाबर। एक ऐसा आक्रमणकारी जिसे योद्धा बताया गया। एक ऐसा जिहादी जिसे धर्मनिरपेक्ष बताया गया। एक ऐसा क्रूर शासक जिसे इतिहास में महान बताया गया। असल में सिर्फ और सिर्फ एक आक्रांता था, एक लुटेरा था जो भारत भूमि को लूटने आया था। बाबर का इतिहास उठा कर देखा जाये तो सनातन भूमि पर वो एक छलावा था, सिर्फ छलावा।
मंगोल मूल के बाबर जिसका जन्म उज़्बेकिस्तान में हुआ, जिसने पवित्र भारत भूमि पर आक्रमण कर ‘भारतीयों’ को ग़ुलाम बनाये रखा, जिसने अनगिनत नरसंहार किया, औरतों का बलात्कार किया, जबरन धर्मान्तरण करवाया, सनातन भूमि का दुरुपयोग किया आखिर उसके नाम से भारत भूमि पर मस्ज़िद क्यों? हमें दिक्कत मस्ज़िद से नहीं, बाबर से है और बाबर के झूठे इतिहास से है जो हमसे छिपाया गया । वो कोई पैगम्बर या ख़लीफ़ा नहीं था, वो मात्र एक लुटेरा था।
बाबर का इतिहास 1526 के बाद
1526 में इब्राहिम लोदी के खिलाफ पानीपत का युद्ध जीतकर बाबर ने मुग़ल वंश की नींव डाली थी। लेकिन उसके कट्टर सोच का पता 1527 में हुये ‘खानवा के युद्ध’ से पता चलता है। बाबर और राजपूत राजा राणा सांगा के मध्य हुये खानवा के युद्ध में उसने अपनी थकी सेना के हौसला बढ़ाने के लिये भी ‘धर्म’ का सहारा लिया था। सैनिको को गजवा-ए-हिन्द का सपना दिखाते हुये एक हिन्दू राजा के विरूद्ध लड़ने के लिये ‘जिहाद’ का नारा दिया था। जो कि साफ-साफ उसके धर्मांध होने के साथ साथ धर्म का उपयोग करने का परिचायक है।
1947 में बाबर को अपना नायक मानने वाले धर्मान्धों ने बाकि भूमि को नापाक ठहरा कर खुद के लिये पाकिस्तान बनाया। आखिर पाकिस्तान क्या है ? इसी भारत भूमि के साथ धोखा है, एक गद्दारी है। वही पाकिस्तान जो भारत को तोड़ने की लगातार कोशिश करता है, पूरी दुनिया जिसके आतंक से त्रस्त है उसका नायक बाबर है। उसने अपने मिसाइल का नाम भी इसी राक्षस के नाम पर रखा है, जिसका एकमात्र कारण यह है कि “बाबर ने इस्लाम के साथ अपनी जिहादी सोच को आगे बढ़ाते हुये ‘गजवा-ए-हिन्द’ के सपने को पूरा करने की कोशिश की थी, हिंदुओं को ग़ुलाम बनाया था, सनातन भूमि अपवित्र किया था, बाबर का इतिहास ऐसी गई घटनाओ से भरा पड़ा है ।” बस यही जिहादी सोच के साथ कट्टरपंथियों का नायक बन चुका है ‘बाबर’।
आखिर क्यों भारत का मुस्लिम समुदाय अब्दुल कलाम, अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ाँ जैसे को छोड़कर ऐसे आक्रांताओं को अपना नायक मानता है ? आखिर आज जो मुस्लिम है उनमें से अधिकांश पहले इसी सनातन भूमि के हिन्दू ही थे। आखिर उनके पूर्वजों का भी जबरन धर्मान्तरण कराया गया था। तो भारतीय मुस्लिम समुदाय बाबर के प्रति इतना आदर भाव क्यों रखता है ? यदि बाबर इतना ही मुस्लिम प्रेमी होता तो इब्राहिम लोदी को नहीं मारता। बाबर सिर्फ एक लुटेरा ही था जो भारत को लुटने आया था, नाकि भारत का उद्धार करने।
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बाबर एक मुग़ल आक्रांता
बाबर हो या अन्य मुग़ल आक्रांता, सभी ने जितने महल, किले बनवाएं वो सभी इसी सनातन भूमि के पैसे और मेहनत के थे। मज़दूर से लेकर इमारतों के पत्थर और पैसों से लेकर जमींन तक इसी सनातन भूमि की थी। तो ऐसा है कि मुग़लों ने सिर्फ अपने नाम के लिये इमारतों और किलों का निर्माण करवाया ना कि किसी सामाजिक उद्धार के लिये।
एक ऐसा आक्रमणकारी जिसका ना जन्म भारत में हुआ, ना ही उसकी कब्र भारत में है (अफगानिस्तान में है), ना ही उसने सनातन भूमि के उद्धार के लिये कोई कार्य किया उसके नाम से इस भारत भूमि पर पूजन स्थल क्यों ? अयोध्या में राम मंदिर के साथ सरयू नदी के पार मस्ज़िद बना देना चाहिये लेकिन बाबर के नाम की नहीं।
दरअसल यह जिहादी सोच ज़हन में बसी हुई है। आज इसके नाम पर मस्ज़िद चाहिये, कल ग़ज़नवी के नाम की मांग करेंगे। धर्म के नाम पर बंटवारा पहले ही करा चुके हैं, अब समाज को बाँटने में तुले हैं। बाबर, अकबर, हुमायूँ, औरंगज़ेब या कोई भी मुग़ल आक्रांता के नाम पर देश में कुछ भी नहीं होना चाहिये, ये भारत का इतिहास नहीं हैं, ये भारत के इतिहास में किया गया दुष्कर्म हैं, ये बाबर का इतिहास है ।