बिहार के निवर्तमान मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार की छवि एक जुझारू एवम् कर्मठ नेता की है, परंतु जब से बिहार में महागठबंधन सत्ता में आई है, अपने सहयोगियों के क्रिया-कलापों से नितीश सरकार की मिट्टी पलीद ही हुई है। अभी एक मिट्टी घोटाला का नवीन प्रकरण सामने आया है जिसमें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के सुपुत्र तेज प्रताप यादव व अन्य राजद नेताओं पर वित्तीय अनियमितता के गंभीर आरोप लगे हैं। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
मामला संजय गांधी जैविक उद्यान (पटना चिड़ियाघर) के द्वारा वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से संबंध एक व्यवसाय संघ से मिट्टी की खरीद-फरोख्त कर मिट्टी घोटाला से जुड़ा हुआ है।
राजधानी पटना में सगुना मोड़ के नजदीक राजद के सीतामढ़ी से विधायक सैय्यद अबु दोजाना के स्वामित्व वाली कंपनी ‘मेरीडियन कंस्ट्रक्शन’ के द्वारा एक शॉपिंग मॉल का निर्माण किया जा रहा है। भूमिगत निर्माण हेतु जमीन की खुदाई की गयी थी तथा इससे उत्खनित मिट्टी को जैविक उद्यान की तरफ से नब्बे लाख के मूल्य में खरीद लिया गया। भाजपा नेता सुशील मोदी ने इस सौदे में टेंडर ना निकाले जाने और मिट्टी घोटाला होने के संदेह की वजह से तेज प्रताप यादव सहित पुरे सरकार पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया।
सुशील मोदी ने आरोप लगाया है कि दो एकड़ की जमीन जिस पर मॉल का निर्माण किया जा रहा है, उसका स्वामित्व अधिकार ‘डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड’ के पास है जिसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव तथा उनके भाई तेज प्रताप यादव शामिल हैं। ये वही ‘डिलाइट मार्केटिंग’ है जिससे जुड़े होने की सूचना चुनाव पूर्व चुनाव आयोग को ना देने की वजह से भी तेज प्रताप यादव घिरे हुये हैं।
विधान परिषद में विपक्ष के नेता श्री मोदी ने यूपीए शासन का उल्लेख करते हुए कहा कि अपने रेलमंत्री के कार्यकाल के दौरान लालू प्रसाद यादव पर रेलवे के रांची तथा पुरी स्थित दो होटलों को ‘सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड’ को अत्यंत सस्ते मूल्यों पर बेचने का आरोप लगा था। जिसके धन्यवाद ज्ञापन के रूप में सुजाता के निदेशक ने सगुना मोड़ के नजदीक दो एकड़ की भूमि डिलाइट को हस्तांतरित कर दी थी। उस वक़्त डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के शेयर्स में राजद के राज्यसभा सांसद तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता की धर्मपत्नी सरला गुप्ता की 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। बाद में वर्ष 2014 में लालू यादव के दोनों पुत्रों तेजस्वी और तेज प्रताप यादव को कंपनी का निदेशक नियुक्त कर दिया गया।
मोदी ने आरोप लगाया कि तेज प्रताप यादव के अधीनस्थ राज्य वन विभाग ने पटना जैविक उद्यान के लिए एक फ़र्ज़ी सौंदर्यीकरण परियोजना का प्रारूप तैयार किया जिससे मेरीडियन कंपनी से मिट्टी की खरीद फरोख्त में सहूलियत हो और सरकार की भागीदारी से तेज प्रताप यादव ने मिट्टी घोटाला का कार्य किया है।
इस पूरे प्रकरण को इतनी बेशर्मी से अंजाम दिया गया कि टेंडर निकालने की भी आवश्यकता नहीं समझी गई। मोदी के अनुसार, वन विभाग ने दावा किया था मिट्टी का उपयोग चिड़ियाघर के अंदर एक ट्रैक के निर्माण के लिए किया गया। ताजा स्थितियों में यह ट्रैक तीन फीट ऊँचा मिट्टी के पुलिंदा जैसा दिखाई देता है जिसकी कोई आवश्यकता ही नहीं थी।
क्या कोई मंत्री अपने विभाग के लिए अपनी व्यक्तिगत जमीन से मिट्टी खरीद सकता है ? और वह भी बिना टेंडर पास किए हुए ? यह सीधे तौर पर हितों के टकराव का मामला है।
बाप सेर तो बेटा सवा सेर
हर यादव यदुवँशी नहीं होते कुछ दोगले भी होतेँ हैँ