TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ‘डॉ हेडगेवार’

    आधुनिक भारत को जोड़ने वाले ‘योग पुरुष’ हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ‘डॉ हेडगेवार’

    केरल में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा ‘राज्यपाल के अधिकारों’ का चैप्टर, जानें क्या है मामला?

    केरल में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा ‘राज्यपाल के अधिकारों’ का चैप्टर, जानें क्या है मामला?

    सीएम हिमंत का आरोप

    हिंदू नामों से कांग्रेस के लिए किया जा रहा है ‘ऑनलाइन जिहाद’! असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने समझाया पूरा खेल

    1991 में हुआ सैन्य सूचना समझौता

    विश्वास के नाम पर खुली रणनीति: 1991 समझौता बना भारत की सुरक्षा में सेंध

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    GDP

    क्रिसिल का अनुमान: FY26 में फिर घटेंगी ब्याज दरें, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर टिकी

    इस साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है

    RBI Repo Rate Cut: 50 बेसिस पॉइंट घटाया गया रेपो रेट, EMI में आएगा ये बदलाव

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    1991 में हुआ सैन्य सूचना समझौता

    विश्वास के नाम पर खुली रणनीति: 1991 समझौता बना भारत की सुरक्षा में सेंध

    महिला सशक्तिकरण

    जम्मू में लड़कियों के लिए 15 दिवसीय आत्मरक्षा शिविर, घरेलू सामान से रक्षा की ट्रेनिंग पर ज़ोर

    ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट

    क्यों 4 दिनों से भारत में फंसा है ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट?

    Falcon 2000 जेट (Photo- Blade.com)

    भारत में पहली बार बनेंगे Falcon 2000 जेट: रिलायंस और Dassault की ऐतिहासिक साझेदारी

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    खामेनेई और डोनाल्ड ट्रंप

    ईरान पर अमेरिका का हमला: क्या ‘स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़’ को बंद कर बदला लेंगे खामेनेई?

    अमेरिका के हमलों को जहां नेतन्याहू ने ऐतिहासिक बताया है तो वहीं ईरान ने इनकी निंदा की है

    ईरान में न्यूक्लियर साइट्स पर US की स्ट्राइक: जानें कहां व कैसे हुए ये हमले और ट्रंप, नेतन्याहू व ईरान ने क्या कहा?

    2025 के इंडो-पाक युद्ध

    भारत-पाकिस्तान संघर्ष ने अमेरिका की छवि को किया धूमिल

    पिज़्ज़ा = युद्ध?

    युद्ध और पिज़्ज़ा: क्या पेंटागन की भूख भविष्य के टकरावों की भविष्यवाणी करती है?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पुरी की रथ यात्रा ना केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि यह एक सांस्कृतिक यात्रा भी है

    हाथी रूप में दर्शन, मौसी के घर विश्राम और रसगुल्ला से मनुहार: पढ़ें पुरी रथ यात्रा की अनकही कहानियां

    हर एक ग्रह को 3 नक्षत्र का स्वामी माना गया है

    केवल ग्रह ही नहीं नक्षत्र भी बनते हैं कर्म, स्वभाव और भाग्य के कारक

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    संगीत सम्राट तानसेन के जीवन के अज्ञात पहलुओं को जानने का खजाना है राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर बढ़ा विवाद; थरूर बोले-'मतभेद पार्टी के भीतर ही उठाऊंगा'

    थरूर ने कांग्रेस से मतभेदों को स्वीकारा, गांधी परिवार से वैचारिक दूरी के दिए संकेत

    घड़े का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है: एक्सपर्ट

    गर्मियों में ‘अमृत’ के समान है घड़े का पानी; मिलते हैं ये फायदे

    अमेरिका में iPhone बनाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है

    अमेरिका में बनने लगे iPhone तो क्या हो सकती है कीमत?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ‘डॉ हेडगेवार’

    आधुनिक भारत को जोड़ने वाले ‘योग पुरुष’ हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ‘डॉ हेडगेवार’

    केरल में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा ‘राज्यपाल के अधिकारों’ का चैप्टर, जानें क्या है मामला?

    केरल में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगा ‘राज्यपाल के अधिकारों’ का चैप्टर, जानें क्या है मामला?

    सीएम हिमंत का आरोप

    हिंदू नामों से कांग्रेस के लिए किया जा रहा है ‘ऑनलाइन जिहाद’! असम के CM हिमंता बिस्वा सरमा ने समझाया पूरा खेल

    1991 में हुआ सैन्य सूचना समझौता

    विश्वास के नाम पर खुली रणनीति: 1991 समझौता बना भारत की सुरक्षा में सेंध

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    मारन भाइयों की कहानी

    तमिलनाडु की राजनीति और मीडिया के ‘पावर प्लेयर्स’: मारन बंधुओं के संघर्ष और विवाद की पूरी कहानी

    बोईंग शेयर क्रैश

    प्लेन क्रैश के बाद धड़ाम हुए बोइंग के शेयर, प्री-मार्केट में 8% की गिरावट

    GDP

    क्रिसिल का अनुमान: FY26 में फिर घटेंगी ब्याज दरें, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% पर टिकी

    इस साल फरवरी से अब तक रेपो रेट में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है

    RBI Repo Rate Cut: 50 बेसिस पॉइंट घटाया गया रेपो रेट, EMI में आएगा ये बदलाव

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    1991 में हुआ सैन्य सूचना समझौता

    विश्वास के नाम पर खुली रणनीति: 1991 समझौता बना भारत की सुरक्षा में सेंध

    महिला सशक्तिकरण

    जम्मू में लड़कियों के लिए 15 दिवसीय आत्मरक्षा शिविर, घरेलू सामान से रक्षा की ट्रेनिंग पर ज़ोर

    ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट

    क्यों 4 दिनों से भारत में फंसा है ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट?

    Falcon 2000 जेट (Photo- Blade.com)

    भारत में पहली बार बनेंगे Falcon 2000 जेट: रिलायंस और Dassault की ऐतिहासिक साझेदारी

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    खामेनेई और डोनाल्ड ट्रंप

    ईरान पर अमेरिका का हमला: क्या ‘स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़’ को बंद कर बदला लेंगे खामेनेई?

    अमेरिका के हमलों को जहां नेतन्याहू ने ऐतिहासिक बताया है तो वहीं ईरान ने इनकी निंदा की है

    ईरान में न्यूक्लियर साइट्स पर US की स्ट्राइक: जानें कहां व कैसे हुए ये हमले और ट्रंप, नेतन्याहू व ईरान ने क्या कहा?

    2025 के इंडो-पाक युद्ध

    भारत-पाकिस्तान संघर्ष ने अमेरिका की छवि को किया धूमिल

    पिज़्ज़ा = युद्ध?

    युद्ध और पिज़्ज़ा: क्या पेंटागन की भूख भविष्य के टकरावों की भविष्यवाणी करती है?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पुरी की रथ यात्रा ना केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि यह एक सांस्कृतिक यात्रा भी है

    हाथी रूप में दर्शन, मौसी के घर विश्राम और रसगुल्ला से मनुहार: पढ़ें पुरी रथ यात्रा की अनकही कहानियां

    हर एक ग्रह को 3 नक्षत्र का स्वामी माना गया है

    केवल ग्रह ही नहीं नक्षत्र भी बनते हैं कर्म, स्वभाव और भाग्य के कारक

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    कैसे अग्नि उपासक ईरान बना इस्लामी गणराज्य?: जानें फारस की ऐतिहासिक यात्रा

    राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    संगीत सम्राट तानसेन के जीवन के अज्ञात पहलुओं को जानने का खजाना है राकेश शुक्ला की पुस्तक ‘तानसेन का ताना-बाना’

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    ‘शाकाहार को हिंसक’ बताने वाले IIT बॉम्बे के हिंदू विरोधी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस

    'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर बढ़ा विवाद; थरूर बोले-'मतभेद पार्टी के भीतर ही उठाऊंगा'

    थरूर ने कांग्रेस से मतभेदों को स्वीकारा, गांधी परिवार से वैचारिक दूरी के दिए संकेत

    घड़े का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है: एक्सपर्ट

    गर्मियों में ‘अमृत’ के समान है घड़े का पानी; मिलते हैं ये फायदे

    अमेरिका में iPhone बनाना एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है

    अमेरिका में बनने लगे iPhone तो क्या हो सकती है कीमत?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री: जैसे फिल्में बनाने वाले, वैसे ही फिल्में देखने वाले

EX-EMPLOYEE द्वारा EX-EMPLOYEE
22 June 2017
in चलचित्र
भारतीय सिनेमा बॉलीवुड
Share on FacebookShare on X

जब भी हॉलीवुड ‘ए ब्यूटीफूल माइंड’, या ‘द मैन हू न्यु इन्फ़िनिटि” जैसे यादगार फिल्म बनाते हैं, हमारे मन में एक सवाल आता है:- भारतीय सिनेमा बायोपिक्स बनाने में इतना धीमा क्यूँ है? प्रेम रस की सुंदरता बखान करने से आगे कभी हमारा भारतीय सिनेमा क्यों नहीं बढ़ पाया है?

भारतीय सिनेमा, खासकर हिन्दी सिनेमा, अपने देश के वीरों की गाथाएँ सुनाने का एक उचित माध्यम बनने में काफी असफल रहा है।

जो उद्योग दुनिया में सबसे ज़्यादा फिल्में बनाता हो, वो एक भी ऐसा सिनेमा नहीं बना पाये, जो दुनिया को अपने देश के उच्च विचार और संस्कारों से नतमस्तक करने पे मजबूर कर दे, तो ये तो चुल्लू भर पानी में डूब मरने के बराबर है।

संबंधितपोस्ट

सलमान से शाहरुख तक, ऑपरेशन सिंदूर पर क्यों खामोश रहे ‘रील हीरोज़’?

वैष्णो देवी मंदिर के पास रशियन छोरी संग शराब पी रहा था ‘बॉलीवुड का लाल’ ओरी, पुलिस ने दिए गिरफ्तारी के आदेश

प्रीती जिंटा ने लगाई कांग्रेस को फटकार, कांग्रेस ने लगाए थे ₹180000000 लोन को लेकर झूठे आरोप

और लोड करें

और अगर ऐसी कोई फिल्म है, जिसने अपने नायकों के जीवन को पर्दे पे उतारने की कोशिश की हो, तो उनके उपलब्धियों की पोटली बना कर एक विकिपीडिया पेज के बराबर का ही मसाला परोसा जाता है, उससे आगे कुछ नहीं, जैसा अभी सचिन तेंदुलकर की कथित बायोपिक में हुआ था। इस कथित फिल्म [डौक्यूड्रामा ज़्यादा लग रही थी] में कुछ भी दूर दूर तक विवादास्पद नहीं था। हो सकता है ऐसे किसी भी तथ्य को सामने ला कर निर्देशक और निर्माता उनके कट्टर समर्थकों का क्रोध भी झेल सकते थे, जिसका अंत हमारी सोच से भी परे है।

महान हस्तियों का जीवन हो या इतिहास की एक झलकी हो, ये एक विडम्बना है की क्षेत्रीय सिनेमा को अगर हटा दिया जाये, तो बॉलीवुड ऐसी फिल्मों में प्रेम कथा का जमाल गोटा हमारे दिमाग में मसालेदार तड़के के नाम पर ठूँसना चाहते हैं। चाहे मराठवाडा की शान में चार चंद लगाने वाले वीर पेशवा बाजीराव बालाजी बल्लाड़ को एक नशे में धुत आशिक के तौर पर दिखाना हो, या एक निश्छल ब्राह्मण और स्वतन्त्रता संग्राम के वीर योद्धा, सिपाही मंगल पांडे का एक कथित वेश्या के साथ प्रेम प्रसंग, या फिर आने वाली फिल्म पद्मावती में चित्तौड़ की रानी पद्मिनी और आततायी सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के बीच एक काल्पनिक, पर अश्लील दृश्य दर्शाना हो, ऐसा कोई पाप नहीं, जो बॉलीवुड ने इतिहास दिखाने के नाम पर न किया हो।

इससे ज़्यादा दुखदायी तो यह है, की जिसने भी सच्चे इतिहास को दिखाने का प्रयास मात्र भी किया, उसे सिरे, और बदकिस्मती से हमारी जनता ने नकार दिया। जो हश्र राजकुमार संतोषी के ‘दि लेजेंड ऑफ भगत सिंह’, और नवोदित निर्देशक बेदाब्रता पाइन के 1930 के महान चटोग्राम क्रांति को समर्पित ‘चटगाँव’ के साथ हुआ है, वो किसी से नहीं छुपा है। शायद इसीलिए हमारे फिल्म निर्माता और निर्देशक ऐसे विषयों पर जोखिम लेने से बचते हैं [ये अलग बात है की 1971 युद्ध पर ‘द ग़ाज़ी अटैक’ और पूर्व एथ्लीट और बागी, सूबेदार “पान सिंह तोमर” पर बनी उनकी जीवनी इसके अपवाद भी रहे हैं]भारतीय सिनेमा बॉलीवुड

ऐसे नौटंकियों से न सिर्फ फिल्म की अंदरूनी ताकत छूमंतर हो जाती है, बल्कि फिल्म के मूल उद्देश्य को ही मिटा देती है, क्योंकि जो अलाउद्दीन खिलजी अपने लालच में अपने खुद के सगे मामा का सत्ता के लिए कत्ल कर सकता था, जो इतना चालाक था की रानी पद्मिनी के पति, राणा रावल रत्न सिंह को खुले मैदान में लड़ कर नहीं, बल्कि छल से किले के बाहर ले जा कर बंदी बनाया, वो और कुछ भी हो जाए, एक प्रेम में डूबा आशिक नहीं हो सकता।

पर जिस तरह संजय लीला भंसाली इस खलनायक का महिमामंडन करना चाहते है [और शायद कथा लीक होने पर इसके लिए पिटे भी], शायद वही वजह थी की क्यों नवोदित निर्देशक ओमंग कुमार ने बजाए पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी नामी अभिनेत्री [जो इस फिल्म में सच्चाई ला सकती थी] के बजाए प्रसिद्ध मुक्केबाज़ एम सी मेरीकॉम पर बायोपिक के लिए प्रियंका चोपड़ा को चुना। उन्हे पूर्वोत्तर की छोरी दिखाने के लिए लगाया गया घटिया मेकअप भी दर्शकों को रिझाने में नाकाम रहा। अब इन कंजरों को कौन समझाये की जैसे एक श्वेत नेल्सन मंडेला, या एक हृष्ट पुष्ट विंस्टन चर्चिल नहीं हो सकता, पूर्वोत्तर से आई विश्व चैम्पियन बॉक्सर मेरीकॉम का पर्दे पर चित्रण करने के लिए आप किसी चमकते दमकते पंजाबी मूल के सितारे को नहीं ले सकते। सौ की सीधी एक बात।   भारतीय सिनेमा बॉलीवुड

अरे भाई, ये तो कुछ भी नहीं है। हमारे देश के गद्दारों और अपराधियों का जो महिमामंडन बॉलीवुड करता है, उसका सानी तो दुनिया में सबका बाप हॉलीवुड भी नहीं है। अपूर्व लाखिया की ही फिल्मों को देख लीजिये, दिखाते तो ऐसे हैं जैसे माया डोलास, मानया सुरवे, और दाऊद इब्रहीम तो मानो सद्भावना की मूर्ति थे, जिन्हे क्रूर शासन ने हथियार उठा कर तांडव करने पे मजबूर कर दिया । चाहे वो अब्दुल लतीफ़ की वीर गाथा ‘रईस’ हो, या यासीन मालिक और बाकी कश्मीरी पंडितों के कातिलों का गुणगान करती ‘लम्हा’, या फिर कभी मुंबई को आतंकित करने वाली बीआरए गैंग के मुखिया, अरुण गवली, बॉलीवुड ने इन लोगों को तो सिर पर चढ़ा के रखा हुआ है। ऐसे ही चलता रहा, तो आश्चर्य नहीं, अगर कल बुरहान वानी की भी वीर गाथा आपको देखने को मिले।

पर इतना ज्ञान बांटने का सार क्या? खबर है की प्रसिद्ध निर्देशक मधुर भंडारकर की आने वाली फिल्म ‘इन्दु सरकार’ आपातकाल के काले दिनों के दबे इतिहास को पर्दे पर जीवित करना चाहती है, जिसकी पुष्टि काफी हद तक उनकी फिल्म के ट्रेलर ने ही कर दी है। प्रोमो में दिखाया गया है की कैसे संजय गांधी, जिसका सफल रूपान्तरण अभिनेता नील नितिन मुकेश ने किया है, अपने पार्टी के कैडरों और चापलूसों को नसबंदी और झुग्गी झोपड़ियों के विध्वंस के नए लक्ष्य उन्हे सौंप रहे हैं। भाई, अभी तो पूरी फिल्म भी नहीं आई है, पर अभी से काँग्रेस के खेमे में खलबली मची हुई है। नहीं तो क्या वजह हो सकती है की काँग्रेस के अहम नेता, ज्योतिरादित्य सिंधिया, इससे संघियों की चाल बताए और इससे डर कर थर थर काँपने लगे?

इसके अलावा तो यह भी चर्चा गरम है, की अनुपम खेर संजय बारू की विवादास्पद किताब ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के फिल्मी रूपान्तरण में विवादास्पद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अभिनय करने जा रहे हैं। अगर फिल्म की पटकथा किताब के अनुसार रही, तो कई लोगों को हमारे देश में सत्ता का गलत बंटवारा और पीएम के पद का घोर अपमान अपनी आँखों के सामने चलता हुआ दिखेगा, जो कभी सत्ता में रह चुकी देशद्रोही काँग्रेस और उनके चाटुकारों की टोली कभी नहीं चाहेगी की हो। समझे बाबू?

भारतीय सिनेमा बॉलीवुड
Image Courtesy : The Quint

सौ की सीधी एक बात, ये दोनों फिल्म बॉलीवुड में स्थापित परम्पराओं के विरुद्ध जा ऐसे हस्तियों के अनछुए पहलू दिखाएगी, जिसके बारे में बोलना भी कुछ लोगों के लिए पाप है।

कुछ हद तक बॉलीवुड ने जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी का ज़रूरत से ज़्यादा महिमामंडन किया है, मानो हमें आज़ादी इन्ही दोनों ने दिलाई थी। हमने कभी अपने स्वतन्त्रता सेनानियों पर बायोपिक्स बनाने की नहीं सोची, जबकि उनमें कुछ ऐसे भी थे, जिनके ऊपर बॉलीवुड की ही शब्दावली में, कई पैसा वसूल फिल्में बन सकती थी, मसलन चन्द्र शेखर आज़ाद पे ही एक बना के देख लेते। अपने स्वतन्त्रता संग्राम के बाहुबली जो ठहरे, या 1942 में गया जेल तोड़के भागने वाले क्रांतिकारियों पर ही एक फिल्म बना लेते, जिसमें योगेंद्र शुक्ल, जय प्रकाश नारायण जैसे कई नामचीन हस्ती शामिल थे। अरे भाई, अगर 100-200 करोड़ पानी में बहके गलत और भौंडा इतिहास दिखा सकते हो, तो क्या तिग्मांशु धूलिया की तरह सिर्फ 5 करोड़ में काफी हद तक सटीक इतिहास नहीं दिखा सकते? पर उतनी मेहनत कौन करे?

यह हैरानी की बात है आखरी गोली तक लड़ने वाले सारागढ़ी के 21 सरदार सैनिक या 1962 में खुद प्राणो की आहुति देकर हजारों चीनी सैनिकों को अपनी धरती के रेजांग ला क्षेत्र में न घुसने देने का साहस दिखाने वाले 13 कुमाओं रेजीमेंट के चार्ली कंपनी के 120 वीर सैनिकों को अभी तक पर्दे पर क्यूँ नहीं दिखाया गया? रानी गाइडिंलिउ, प्रीतिलता वद्देदार या अहिल्या बाई होल्कर, यहाँ तक की विवादास्पद मराठवाड़े की वीरांगना एवं पूर्व शासक ताराबाई पे ही फिल्म बना लो, करोड़ों कमाएगी, पर दुख की बात यह है, की ऐसे कोई निर्माता या निर्देशक नहीं है, जो इसमें दिलचस्पी रखे। अगर होती, तो 1948 के लंदन ओलिंपिक्स में स्वतंत्र भारत का पहला ओलिम्पिक स्वर्ण पदक जीतने की कहानी दिखाने में हिन्दी सिनेमा को 70 साल न लगते।

ये जोखिम न लेना और फूहड़ कॉमेडी दिखाना तो मानो बॉलीवुड में परंपरा बन गयी है, जिसमें अलग सोच रखने वाले तीसरे लिंग के मनुष्य हों, या समलैंगिक, उन्हे कभी इज्ज़त से नहीं दिखाया गया, और उन्हे ही सबसे द्वियार्थी संवाद पकड़ा दिये जाते। हमारे यहाँ तो बायोपिक को ऑफबीट सिनेमा में फेंकने का रिवाज भी काफी प्रचलित है। 1993 में प्रदर्शित सरदार पटेल की जीवनी, जिसे प्रसिद्ध कलाकार परेश रावल ने अपने अभिनय से अमर कर दिया था, उसे भी कलात्मक फिल्म के नाम से जनता की नज़रों से दूर कर दिया गया, जबकि इस फिल्म का कोई सानी नहीं था उस वक़्त।

भारत में वीरों की कोई कमी नहीं है। ये तो हमारी विडम्बना है की इनकी कहानियां कभी रूपहले पर्दे पर नहीं दिखाई गयी, जिसके पीछे उन्हे घटिया तरीके से प्रदर्शित करना, और ऐसे मौके गँवाने की कुल्लत भी हमारे निर्माताओं और निर्देशकों ने पाल रखी हैं। इससे हॉलीवुड को अपने सहूलियत से फिल्में बनाने का मौका मिल जाता है, जैसे रिचर्ड अटेंबोरो ने गांधी के मसले में किया। अब वक़्त आ गया है की हमारी जनता भी असली इतिहास से भरपूर सिनेमा की प्रशंसा करना शुरू करे, जैसा उन्होने द ग़ाज़ी अटैक  और पान सिंह तोमर के साथ किया, क्योंकि अर्थशास्त्र का एक शाश्वत नियम है, की बिन आपूर्ति मांग पूरी नहीं हो सकती, वरना हम हमेशा इस मुद्दे पर टसुएँ बहाते रहेंगे, और हॉलीवुड उन विभूतियों पर फिल्म बनाएगा, जिन्हे हमने अनदेखा किया, जैसे श्रीनवास रामनुजन के साथ हुआ।

Tags: बॉलीवुडभारतीय सिनेमाहिंदी सिनेमा
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

ममता और लालू हुये गुजरे जमाने की बात, स्वागत कीजिये सबसे सेक्युलर नेता का

अगली पोस्ट

भारतीय क्रिकेट के सबसे चमकीले सितारे का अक्खड़पन बेहद घिनौना है

संबंधित पोस्ट

शारदा सिन्हा, लोकगायिका
चलचित्र

दुखवा मिटाईं छठी मईया… बिहार के प्रवासियों को संस्कृति से जोड़ती रही शारदा सिन्हा की आवाज़

5 November 2024

भारतीय फिल्मों में संगीत के फिर से प्रधान होने के 1990 वाले दौर में एक फिल्म आई - “मैंने प्यार किया”। आजकल खासे विवादों में...

‘नेपोटिज्म ने किया कबाड़ा’: लगातार फ्लॉप से बर्बाद हुए करण जौहर, धर्मा प्रोडक्शन का आधा हिस्सा बेचने को हुए मजबूर
चलचित्र

‘नेपोटिज्म ने किया कबाड़ा’: लगातार फ्लॉप से बर्बाद हुए करण जौहर, धर्मा प्रोडक्शन का आधा हिस्सा बेचने को हुए मजबूर

26 October 2024

खुद को बॉलीवुड की लॉबी के बादशाह समझने वाले करण जौहर का कथित जलवा ढलान की ओर बढ़ चला है। बॉलीवुड के निर्माता और निर्देशक...

कल्कि 2898 ई., भारतीय फिल्म उद्योग, फिल्म समीक्षा, समीक्षा, महाभारत, अमिताभ बच्चन, प्रभास, कल्कि अवतार
चलचित्र

फिल्म समीक्षा: ‘Kalki 2898 AD’ की विशेषताएं और कमजोरियां।

2 July 2024

‘Kalki 2898 AD’ भारतीय फिल्म उद्योग में एक क्रांति की तरह मानी जा रही है। यह फिल्म भविष्य की तानाशाही पर आधारित है, जहां विद्रोही...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

when the God leaves the temple to be with his devotees.

when the God leaves the temple to be with his devotees.

00:05:31

R.P. Singh Exposes AAP: Following Indira's Model of Separatist Appeasement?

00:11:04

kamakhya Devi and the Power of Menstruation: Ambubachi Mela Explained.

00:04:47

From love to murder- how five plots took down raja raghuvanshi

00:04:38

Marriage gone murderous: expert explains the gruesome murder case.

00:13:01
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited