TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    मुजफ्फरपुर का गोलू हत्याकांड: जंगलराज की सबसे भयावह दास्तान

    मुजफ्फरपुर का गोलू हत्याकांड: जंगलराज की सबसे भयावह दास्तान

    INDIA-Pakistan match

    BCCI के लिए संदेश: ‘काली पट्टी’ बांधो या न बांधों- पहलगाम के जख्म ‘हरे’ ही रहेंगे

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    Operation Polo

    ऑपरेशन पोलो: जब दिल्ली में बम गिराने जा रहा था पाकिस्तान

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    अदालत का बड़ा फैसला: वक्फ़ अधिनियम पर बरकरार रहा अस्तित्व, लेकिन कई धाराओं पर लगी रोक

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    मुजफ्फरपुर का गोलू हत्याकांड: जंगलराज की सबसे भयावह दास्तान

    मुजफ्फरपुर का गोलू हत्याकांड: जंगलराज की सबसे भयावह दास्तान

    INDIA-Pakistan match

    BCCI के लिए संदेश: ‘काली पट्टी’ बांधो या न बांधों- पहलगाम के जख्म ‘हरे’ ही रहेंगे

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य

    “डील नहीं, डिज़ाइन, दलाली नहीं, डिलीवरी: बदलेगा भारत का रक्षा भविष्य”

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    क्या फिर तिलमिलाएगा चीन? LAC के पास भारत का बड़ा दांव और पाकिस्तान की बढ़ी बेचैनी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी

    बैटल ऑफ सारागढ़ी: दुनिया का सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड- जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे, लेकिन पहचान सिर्फ 21 सिख जवानों को ही क्यों मिली ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    Operation Polo

    ऑपरेशन पोलो: जब दिल्ली में बम गिराने जा रहा था पाकिस्तान

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    कोहिनूर: भारत की धरती से ब्रिटिश ताज तक – लूट और अपमान की गाथा

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

देवदत्त पटनायक – महाज्ञानी या एक बहुत बड़ा पाखंडी?

Kapil Routray द्वारा Kapil Routray
6 July 2017
in संस्कृति
देवदत्त पटनायक

Image Courtesy: The Hungry Reader, Wordpress

Share on FacebookShare on X

सीमित सोच का एक जीता जागता उदाहरण है देवदत्त पटनायक

सभी आधुनिक भारतीय इतिहासकार, सभी आधुनिक भारतीय शिक्षाविद, सभी आधुनिक भारतीय विचारकों मे एक समानता है, वे हिन्दू धर्म को हमेश अब्राहमिक या सेमिटिक चश्मे से देखते है। इसी सीमित सोच और विचारधारा के इर्द गिर्द मंडराकर ये लोग अपने आप को बुद्धिजीवी समझते हैं। इसी मानसिकता का एक जीता जागता उदाहरण है देवदत्त पटनायक।

देवदत्त पटनायक भारतीय पौराणिक इतिहास के परिदृश्य पर पिछले दो दशकों से अपने पैर जमाये बैठे हैं। इन दो दशकों के अधिकांश अवधि में पुराणों को काम-चलाऊ शैली में समझाने वाले श्री पटनायक इस श्रेणी के अविवादित विजेता रहे हैं, आप किसी भी पुस्तक भवन या पुस्तकालय मे जाये, प्राचीन इतिहास के अनुभाग मे जिसे अंग्रेज़ mythology की संज्ञा देते हैं, वहाँ आपको केवल और केवल देवदत्त पटनायक की पुस्तके ही दृष्टिगोचर होंगी।

संबंधितपोस्ट

अकबर का हिन्दू प्रेम : सत्य बनाम मिथ्या!

चारण : राजपूताना के “योद्धा कवि”

मुगल नहीं चालुक्य, पल्लव और राष्ट्रकूट वंश हमारे इतिहास की किताबों में अधिक ध्यान देने योग्य हैं

और लोड करें

देवदत्त पटनायक books

भारतीय सोच को इब्राहिमी साँचे में समाहित करने की क्रिया, जिसे पूर्ण करने के लिए ये बुद्धिजीवी, विशेषकर देवदत्त पटनायक जैसे लोग, जो जुगत भिड़ा रहे हैं, उनके इस लक्ष्य के पीछे के तीन कारण मैं आपको विस्तार से समझाता हूँ।

देवदत्त पटनायक book

पहला कारण है नकली आधुनिकीकरण

पटनायक जैसे स्वघोषित पुराणविशेषज्ञ बारंबार हमारे पूर्वजों का न सिर्फ मूल्यांकन करते हैं वरन पूरा का पूरा न्यायालय ही बैठा देते हैं, जहां आधुनिक भारतियों को अपना पक्ष रखने का भी अधिकार तक नहीं है।

कुछ वर्ष पहले ब्राह्मणों के खिलाफ देवदत्त पटनायक अनाप शनाप बकने लगे थे, इसलिए क्योंकि मराठी कवि ज्ञानेश्वर और ओडिया कवि बलराम दास पर धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाने के सिलसिले में अभियोग चलाया गया था।

दोनों ही कवि ने अपनी मातृभाषा में लिखते था, दोनों ही ब्राह्मण थे और दोनों को उस समय के राजतंत्र से जिसमे ब्राह्मणों की बढ़ चढ़ कर भूमिका था, उनसे भरपूर सहायता मिली थी, इन बातों का वर्णन करना या तो देवदत्त पटनायक भूल गए थे या जानबूझ कर नहीं बताया था। अपने किताबों में श्री देवदत्त पटनायक आधुनिक मार्क्सवादी और उदारवादी सिद्धांतों के अनुसार पौराणिक नायकों को तोल कर में अपने आप को श्रेष्ठ समझते हैं!

ऐसी आलोचनाएं या तो पूर्णतया निराधार होती हैं, या त्रुटिपूर्ण तथ्यों पर आधारित होती हैं नहीं तो सदोष अनुवाद का परिणाम होती हैं। अधिकांश आधुनिक भारतीय इतिहासकारों और पौराणिक ठेकेदारों को संस्कृत का स भी नहीं आता, सुरसेनी जैसे शास्त्रीय भाषाओं की समझ तो दूर की कौड़ी है। जब आईआईएम बेंगलूर से स्नातक श्री नित्यानन्द मिश्रा, जो एक संस्कृत विद्वान एवं लेखक भी हैं।

उन्होने देवदत्त के पुस्तकों और लेखों की आधारभूत कमियाँ गिनाई, तो देवदत्त ने ट्विट्टर पर रोना धोना मचा दिया, कोई भी ये बात भालिभांति समझ सकता है देवदत्त और इनके जैसे स्वघोषित पुराणविशेषज्ञ कितने विद्वान हैं और वेद पुराणों का उन्हे कितना ज्ञान है?
पर देवदत्त जो कर रहे हैं , उसके परिणाम भयानक हो सकते हैं।

देवदत्त पटनायक का सीमित संस्कृत ज्ञान

देवदत्त पटनायक ने अपने सीमित संस्कृत ज्ञान को सॉफ्टवेयर द्वारा किए गए अनुवाद के साथ मिला कर एक अधपकी खिचड़ी तैयार की है। इस तरह से वे अपने स्वयं के बनाए जाल मे फँसते ही जाते हैं। अपनी लेखनी में देवदत्त पटनायक बौद्ध धर्म को वैराग्य, मठवास, नारिवादिता, अहिंसा और जाति विरोध जैसे लोकप्रिय विचारों का जनक बताते हैं, जो की असत्य है। अगर हम हर एक बात का खंडन करने लगे तो एक नहीं दो तीन पुस्तकें लिखनी पड़ेगी।

पौराणिक ज्ञान के स्वघोषित ठेकेदारों द्वारा हमारे प्राचीन इतिहास की मिट्टी पलीद करना आजकल फ़ैशन बन गया है। मनुस्मृति को ही ले लीजिये, जिससे उदारवादी भयंकर घृणा करते हैं। इनमें से किसी एक ने भी इस पुस्तक को आद्योपांत पढ़ा हो, तो मैं अपना नाम बदल लूँ। अगर पाठक एक दृष्टि इस किताब पर डालें, तो उन्हे मालूम होगा ये पुस्तक आत्मविरोधी, अराजक और बेसिर पैर के सिद्धांतों से भरा हुआ है, जिसमे न कोई संगठित विचार दिखता है, और न ही कोई ठोस कारण।

असल में मनु स्मृति उत्तर भारत से ली गई कई ग्रन्थों की एक पोटली है जिसे अंग्रेज़ी सरकार और उनके पोषित बुद्धिजीवियों द्वारा गलत तरीके से अनुवादित और संकलित किया गया है। आर्य साहित्य, जिसे 3000 ईसा पूर्व से लगभग 500 ईस्वी तक सींचा गया हो, ऐसे विशाल ज्ञान की कुंजी को घटिया अनुवाद के आधार पर चार पाँच पुस्तकों मे ठूंसना महान मूर्खता है पर ऐसा करने में श्री देवदत्त पटनायक काफी हद तक सफल रहे हैं।

भारतीय साहित्य की विदेशी साहित्य से तुलना करना

बाइबल आधारित सीधे और सामान्य साहित्य का भारतीय पौराणिक साहित्य के गूढ और क्लिष्ठ पंक्तियों की तुलना करने में जो तिलमिलाहट देवदत्त पटनायक जी के मस्तिष्क में पल रही है, उसकी हम अभी सिर्फ कल्पना मात्र ही कर सकते हैं।

पाठकों को सिर्फ इनके ग्रीक और भारतीय साहित्य पर इनके विचार से अवगत होना ही काफी है; श्री पटनायक के लिए यूनानी धार्मिक साहित्य, मतलब की सदियों की कटाई पिटाई और इसाइकरण के बाद जो भी इसका अवशेष बचा है , उसे समझना हिन्दू धर्म के सहस्त्र फनो वाले अनंत शेष सदृश गूढ इतिहास को समझने से कहीं सरल है।

वैसे भी, ऐसी आलोचनाएं तार्किक तो छोड़िए, व्यववहारिक भी नहीं प्रतीत होती, क्योंकि पटनायक जैसे लोग आज की तुला से प्राचीन सभ्यताओं के कर्मों को तोलते हैं और तुरंत अपना विचार सोशल मीडिया पे रख छोडते हैं। भारतियों को छोडकर दुनिया भर में ऐसी नौटंकी कोई नहीं करता। चीनियों को कभी अपने भूमि में दासों के क्रय विक्रय के बारे में लिखते हुये देखा है? या यूरोपियन देशों को अपने यहाँ व्याप्त चुड़ैल जलाओ समारोह के बारे में बकते हुये देखा है?

सभ्यता पर सवाल

पर यह भारतीय और केवल भारतीय ही हैं, जो आर्य-जीवनशैली के कथित पापों पर सवाल उठाते हैं और स्वघोषित और तथाकथित इतिहासकारों जैसे डॉ. वेंडी डोनिगर के टटपुंजिया विचारों को खुशी खुशी सह लेते हैं, जिसमें से एक है उनकी भगवद गीता को हिंसक ठहराना।

हर सभ्यता को उसे उसके समय-काल के हिसाब से आंकना चाहिए, पर जो देवदत्त पटनायक जैसे लोग करते हैं, वो है सम्पूर्ण भारतीय इतिहास की एक पोटली बना उसका उपहास करना और अपने एजेंडा को ऊंचा रखना।

परिणामस्वरूप हमारे पास एक विचित्र परिस्थिति है, यहां जो भारतीय शास्त्रों में पारंगत थे, वो सालों पहले स्वर्गलोक सिधार गए और बचे हैं तो बस पटनायक जैसे लोग। हरयांक महलों को ढूँढने में कोई अपनी कमर क्यूँ तोड़ें, जब द्रौपदी के एक और काल्पनिक चित्रण पर कोई बकैती झाड सकता है?

देवदत्त पटनायक का सिद्धांतो से खिलवाड़

एक रामायण है, जिसे वाल्मीकि ने रचा है, और फिर कई रामायण है, जिनमें कमबन रामायण, उड़िया रामायण, जावा की रामायण इत्यादि हैं। अब तर्क तो यह होना चाहिए की इन सभी को अलग पढे और वाल्मीकि रामायण से उनकी भिन्नता को समझे। पर श्री पटनायक ने क्या किया है, इन सभी को मिलाकर कुछ ऐसा बनाया, जो तर्कसंगत तो बिलकुल ही नहीं है, हास्यास्पद अवश्य है।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमानजी विद्वान, ब्रह्मचारी, शांत और साधु समान है।

जावा संस्करण वाले हनुमानजी सदियों के मिश्रण और मिलावट का शिकार। इस संस्करण मे हनुमानजी रसिक-प्रवित्ति के योद्धा है जो हंसमुख भी हैं, हंसमुख तो हनुमानजी वाल्मीकि रामायण मे कभी कभार दिख जाते हैं पर रसिक-प्रवित्ति, ये थोड़ा ज़्यादा नहीं हो गया? और तो और, श्री पटनायक ने इन दोनों संस्करणों को मिला कर सीता नामक पुस्तक में हनुमानजी का जो चरित्र बनाया है, वो ना सिर्फ अतार्किक है बल्कि अत्यंत लज्जाजनक।

बौद्ध धर्म पर पटनायक जी के विचार

बौद्ध धर्म का जो लोकप्रिय संस्कारण जो भारत में प्रचलित है, वो अधिकतम अंग्रेज़ी इंडोलोजिस्ट अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा रचित है, जो बुद्ध ने बौद्ध धर्म के सिद्धान्त समझाये, उससे तो इस पंथ का दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं, यहाँ तक की महान परिषदों की बौद्धिकता और शास्त्रीय भारत के महा-सिद्धों से भी पूरी तरह अनभिज्ञ है ये वर्तमान बौद्ध पंथ।

यकीनन बौद्धधर्म शब्द अपने आप में निरर्थक है, क्योंकि संगठित धम्म का विचार एक ईसाई संकल्पना है , जो तरसूस के पॉल से शुरू होती है। भगवान बुद्ध इसके सर्वथा विरुद्ध थे। भारत में जो व्याप्त था, वो असल में दर्शन शस्त्र का एक विद्यालय था, जिसके जैसे सैकड़ों और थे। प्राचीन बौद्ध उन्ही देवताओं की पूजा करते थे, उन्ही सामाजिक रीतियों और उन्ही सिद्धांतों का पालन करते थे जो अजीविका, जैन, समन, यहाँ तक कि केशाकांबली दार्शनिक भी करते थे।

आज भी कुबेर, जो हिन्दूओं के धन देवता है, उन्हे जापान में पूज्य माना जाता है। इसीलिए, जब हम श्री देवदत्त पटनायक के कार्यों की समीक्षा करते हैं, तो हम उन्हे लोकप्रिय तो ज़रूर पाते हैं, पर असलियत में उनकी कृतियाँ कूड़े के समान होती है।

बिना प्रमाण के भारतीय संस्कृति पर आक्षेप लगाना

देवदत्त पटनायक अपने किरदारों को काल्पनिक लोक देते हैं, जिनका भारत के धार्मिक ग्रन्थों से कोई लेना देना नहीं है, और जो ऐसे संस्करणों पर आधारित है जिनमे न कोई तुक है और न ही कोई ठोस कारण। वो कुछ पाद लेख यानि फूटनोट लिख देते हैं कि ये फलां फलां ग्रंथ पे आधारित है, जिससे पाठक को लगे कि वो सच पर आधारित कथाएँ पढ़ रहा है। पटनायक की पुस्तकों और लेखों का निष्कर्ष असहनीय और दुविधा से परिपूर्ण होता हैं, जिससे प्राचीन आर्यवर्त की एक गलत छवि बनती है।

इसके साथ एक भयानक तथ्य और भी जुड़ा है, जिसे पहले ही हमने बताया है – श्री पटनायक को संस्कृत और बाकी शास्त्रीय भाषाओं का वास्तव में कोई ज्ञान नहीं है। इसलिए जब हम श्री पटनायक के कार्य में मूलभूत गलतियों की भरमार देखते हैं, तो इनके वैदिक विशेषज्ञ होने के दावे पर निस्संदेह एक प्रश्न चिन्ह लग जाता है।

इसी कारण से नकली विद्वान देवदत्त पटनायक और श्री राजीव मल्होत्रा जैसे असली विद्वान के बीच परस्पर हमेशा ठनी रहती है। इसके अलावा पटनायक पर चोरी और नकल के दोष भी लगते रहे हैं।

परंतु एक प्रश्न बार बार मुझे चौंका देता है कि श्री पटनायक इतनी लोकप्रिय क्यों हैं और दूसरे प्रतिस्पर्धी लेखक और विचारक क्यों नहीं? ये विद्वत्ता का मसला तो नहीं ही हो सकता, क्योंकि इनसे बड़े बड़े विचारक हैं, जब मेरे जैसा तुच्छ प्राणी ही इनके लेखों में कई कमियाँ निकाल लेता है।

 देवदत्त पटनायक का बचकनापन

आधुनिक भारतीय इतिहासकार एक विशेष और विचित्र जाति है, जो अपने परदादाओं के नाम या अपने शहर के स्थापक का नाम आपको भले ही न बता पाएँ, पर जो 6000 साल पहले घटना हुई थी, उसपर अपना ज्ञान बाँचने से बाज़ भी नहीं आएंगे। कुछ विशेष कारणों से ऐसे चील्पकौव्वा पूरे 1200 साल लंबे प्राचीन भारत के इतिहास को दरकिनार करने के लिए तैयार खड़ा है, जब कला, विज्ञान और तकनीक अपने चरम पर थी, और उसके बजाए आर्यों के आक्रमण की अजीब कहानियाँ सुनाने में अपने आप को श्रेष्ठ समझते हैं।
इस तरह का मार्क्सवादी विचार एक खंडित भारत के विचार को आगे बढ़ाता है।

ऐसी घटिया समीक्षा के कारण ही भारतीय इतिहास आत्ममंथन और आत्मचिंतन करने का मंच न बनकर स्वयं के आस्तित्व को नकारने का एक साधन बन जाता है। एक समय अपने पूर्वजों को पूजने वाले लोग आज हम ऐसे निकृष्ट प्राणी बन चुके हैं जो आधुनिक कहलाने के लिए अपनी ही सभ्यता का मखौल उड़ाते हैं और उन्हे उनसे दूसरी बनाए रखने का हर संभव प्रयास करते हैं।

ऐसे विचारक और चिंतक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को पितृसत्ता के प्रतीक कहते हैं

रक्षा बंधन का बहिष्कार करने को कहते हैं क्योंकि ये भाइयों का बहनों पर अत्याचार समान है!

जल्लीकट्टू पर बैन लगाते हैं क्योंकि ये जानवरों के प्रति क्रूरता है!यह सब सफ़ेद झूठ है,

पर इन्ही झूठों की महिमा गाते हैं ये तथाकथित पुराण विशेषज्ञ दिन रात दिन। और इन्ही ठेकेदारों का चेहरा है देवदत्त पटनायक।

Tags: इतिहासकारदेवदत्त पटनायक
शेयर1ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

एक देश एक बोर्ड: भारत में व्याप्त समस्त बोर्डों का विलय कर एक बोर्ड का निर्माण 

अगली पोस्ट

इजराइल का मोदी प्रेम इनकी आँखों में सबसे ज्यादा खटक रहा है

संबंधित पोस्ट

गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा
इतिहास

गोवा मुक्ति संग्राम और नारायण आप्टे: बलिदान, संघर्ष और भारतीय राष्ट्रवाद की अपराजेय गाथा

15 September 2025

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में कई मोर्चे हैं—कुछ किताबों के पहले पन्नों पर दर्ज हैं, तो कुछ हाशिये पर दबे रह गए। 1947 में...

भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम
अमेरिकाज़

भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

15 September 2025

जब भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस त्रिकंद भूमध्यसागर की लहरों पर उतरा, तो यह सिर्फ एक साधारण तैनाती नहीं थी। यह उस भारत की पहचान...

पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक: भागवत को बधाई, विपक्ष को ‘बाय-बाय’
चर्चित

पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक: भागवत को बधाई, विपक्ष को ‘बाय-बाय’

11 September 2025

दिल्ली की गलियों में कुछ हफ़्तों से चर्चा थी-क्या संघ और भाजपा के बीच सब कुछ ठीक नहीं? विपक्ष को तो जैसे मुद्दा मिल गया...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37

Epic Battle of Saragarhi : A Tale of Unmatched Bravery That Every Indian Should Know

00:07:14

Why PM Modi Is Compared to The Indus Valley Priest King! Amid uncertainty in India’s Neighbourhood!

00:06:42

‘The Bengal Files’ Exposing Bengal’s Darkest Chapter – What Mamata Won’t Show!

00:05:37
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited