आप जब जूलिया रॉबर्ट्स का नाम सुनते हैं, तो आपके दिमाग में क्या आता है? एक ऑस्कर विजेता अभिनेत्री? प्रीटी वुमन, एरिन ब्रोक्कोविच, और ईट प्रे एंड लव जैसी फिल्मों में वो सुंदर चेहरा, है न? पर क्या हो, अगर मैं बताऊँ की ये हिन्दू धर्म की भी एक अनन्य भक्त है? जी हाँ, वही धर्म या संस्कृति [जैसा भी आप समझना चाहें] जो किसी उदारवादी, विशेषकर एक प्रसिद्ध सेलेब्रिटी के लिए अनुसरण करना तो छोड़िए, इसका पठन भी हराम है।
जी हाँ, ये कहानी 7 साल से भी ज़्यादा पुरानी है, पर इसके पीछे भी एक रोचक कथा है की कैसे कैथोलिक माँ और बैप्टिस्ट बाप के घर पैदा हुयी जूलिया रॉबर्ट्स सनातन धर्म की तरफ मुड़ी।
ऐसे पंथ की तरफ इन्हे किस वस्तु ने आकर्षित किया? ऐसा क्या हुआ जिससे इन्हे लगा की इनके कई प्रश्नों का उत्तर इस धर्म में मिल सकता है, जिससे इन्हें अंदरूनी शांति मिल सकती है, और इसके भी ऊपर, इन्हे इतनी हिम्मत मिले की वे सरेआम इस पंथ को गले लगा सके? जिस राह पर अब आप पाठक जाने वाले हैं, इससे न सिर्फ आप अभिभूत होंगे, अपितु सनातन धर्म की शांति और उसकी महिमा की तरफ भी आकर्षित होंगे, जिसे सारा विश्व हिन्दू धर्म के नाम से जानता है
बेट्टी लू ब्रेदेमुस और वाल्टर ग्रेडी रॉबर्ट्स के घर शनिवार, 28 अक्टूबर 1967 को पैदा होने वाली जूलिया रॉबर्ट्स में यूके, जर्मनी, और स्वीडन तीनों का खून मिला है। इनका बचपन काफी कष्टों में बीता था; इनके माता पिता ने तब तलाक की अर्ज़ी दी जब ये महज 5 वर्ष की थी, इनके पिताजी पाँच साल बाद ही कैंसर के कारण चल बसे। पाँच साल की जब ये थी, तभी इनकी माँ ने माइकल मोटेस नाम के व्यक्ति संग ब्याह रचाया, जो काफी समय बेरोजगार रहता था, और जूलिया रॉबर्ट्स के लिए, एक अशोभनीय और गाली गलौज में लिप्त व्यक्ति। एक समय के बाद खुद इनकी माँ को माइकल को तलाक देना पड़ा, और इस शादी को अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलतियों में से एक के तौर पर स्वीकार भी किया।
ऐसी पृष्ठभूमि से आने के बावजूद भी जूलिया ने हार नहीं मानी और अपना मुकाम बनाने के लिए प्रयासरत रहीं। कभी फिल्मों में छोटे छोटे भूमिका अदा करने वाली जूलिया का नाम सबसे पहले 1989 की फिल्म स्टील मग्नोलियास में आया, जहां इनहोने डायबेटीस से पीड़ित महिला का किरदार बखूबी निभाया, जिसके कारण इनको ऑस्कर में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के लिए नामित भी किया गया। पर इन्हे प्रसिद्धि मिली 1990 की फिल्म प्रीटी वुमन से, जिसने जूलिया का नाम घर घर में मशहूर कर दिया।
इन्हे तब भी अपने पहले सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के ऑस्कर के लिए दस साल की प्रतीक्षा करनी पड़ी, जो इन्हे एरिन ब्रोक्कोविच में एक सशक्त आंदोलनकारी की भूमिका करने के लिए मिला।
2010 में जूलिया रॉबर्ट्स एक महान अदाकारा बन चुकी थी। इनके सशक्त अभिनय ने क्रिटिक्स और दर्शकों, दोनों का हृदय जीत लिया। इसी बहुमुखी प्रतिभा को बनाए रखने के लिए इनहोने ईट, प्रे एंड लव नामक फिल्म के लिए हामी भरी, जिसके लिए इनहोने भारत का दौरा किया। यही वो क्षण था, जब जूलिया ने सनातन धर्म के प्रति अपने मोह और आकर्षण को खोज निकाला।
इसी दौरे में इन्हे एक आध्यात्मिक गुरु, लक्ष्मी नारायण शर्मा के चित्र ने आकर्षित किया। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, की लक्ष्मी नारायण शर्मा वही नीम करौली बाबा हैं, जिनकी महिमा सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनिया भर में प्रसिद्ध थी। इन्ही से मिलने के लिए कभी एपल इंक के संस्थापक, स्टीव जॉब्स काफी बेताब थे। 1973 में ही हालांकि नीम करौली बाबा परलोक सिधार गए थे, पर इनकी महिमा ने ही जूलिया को सनातन धर्म के प्रति आकर्षित किया। जो आरंभ इस बाबा के प्रिय देवता, पवनपुत्र हनुमान को खोजने से शुरू हुआ, वो योग जैसे सनातन रीतियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हुये जूलिया रॉबर्ट्स को हिन्दू धर्म को अपनाने और उससे प्रेम करने में ज़्यादा समय नहीं लगा।
प्रसिद्ध फ़ैशन मैगज़ीन एल्ले(Elle) के उस समय के संस्कारण, जिसमें जूलिया कवर गर्ल थी, ने इस मुद्दे से जुड़ी सारी शंकाओं पर विराम लगाते हुये इस बात पर अपना ठप्पा भी लगाया। इनके अनुसार, ‘सम्पूर्ण रॉबर्ट्स मोडर परिवार मंदिर जाकर प्रार्थना करता है, मंत्र जपता है, और जीवन के उत्सव मनाता है।। इस मायने से मैं निस्संदेह एक सच्ची हिन्दू कहलाई जा सकती हूँ…..”
मज़े की बात, हिन्दू धर्म में परिवर्तन के बाद, पटौदी में आश्रम हरी मंदिर में स्वामी धरम देव की कृपा से जूलिया रॉबर्ट्स ने अपने बच्चों का हिन्दू नामकरण भी करवाया :- अपनी बेटी के लिए लक्ष्मी, अपने बेटे फिनेयस और हेनरी के लिए गणेश और कृष्ण बलराम के नाम रखवाए।
चौंकिए मत। ये तो सिर्फ शुरुआत है, रोबर्ट डाउनी जूनियर, जो स्पाईडर मैन – द होमकमिंग में विधिवत एक हिन्दू शादी में हिस्सा लेने गए थे, अपने हिन्दू और बौद्ध प्रेम के लिए भी काफी प्रसिद्ध हैं। जिनको यह लगता है की हिन्दू धर्म में परिवर्तन से काफी पैसा मिलता है, उन्हे या तो इस धर्म का ज्ञान नहीं है, या फिर बहुत भोले हैं। परिवर्तन छोड़िए, हिन्दू धर्म में वापसी भी बाकी धर्मों के मुक़ाबले बहुत सरल है। आपको सिर्फ अपने कर्म और प्रकृति के हर वस्तु में ईश्वर की खोज करना आवश्यक है, बस।