TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे

    गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

    अटल बिहारी वाजपेयी

    संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की गूंज: अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक संबोधन

    वे चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने

    मदन मोहन मालवीय: BHU की नींव रखने वाले ‘महामना’, जिन्होंने निजाम की जूती को कर दिया था नीलाम

    भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति को कथित तौर पर ध्वस्त किए जाने की घटना पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी

    कंबोडिया में भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़े जाने पर भारत का कड़ा विरोध, थाईलैंड–कंबोडिया से शांति और संवाद की अपील

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूर फरार

    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    ऑटो-दा-फे” नामक सार्वजनिक हत्याओं के आयोजन किए जाते थे

    गोवा इन्क्विज़िशन: पुर्तगाली शासन में हिंदुओं पर हुआ अमानवीय अत्याचार

    अटल बिहारी वाजपेयी

    संयुक्त राष्ट्र में हिंदी की गूंज: अटल बिहारी वाजपेयी का ऐतिहासिक संबोधन

    वे चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने

    मदन मोहन मालवीय: BHU की नींव रखने वाले ‘महामना’, जिन्होंने निजाम की जूती को कर दिया था नीलाम

    भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति को कथित तौर पर ध्वस्त किए जाने की घटना पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी

    कंबोडिया में भगवान विष्णु की मूर्ति तोड़े जाने पर भारत का कड़ा विरोध, थाईलैंड–कंबोडिया से शांति और संवाद की अपील

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या

    कनाडा में भारतीय महिला हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूर फरार

    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

बरखा दत्त ने एनडीटीवी के खिलाफ जो बताया वो सुन लिया हो तो अब ये सुनिए जो उसने नहीं बताया

Kannan द्वारा Kannan
23 October 2017
in मत
बरखा दत्त, एनडीटीवी, मीडिया
Share on FacebookShare on X

अच्छा, तो सर्कल पूरा हो गया है। आखिर, (यहाँ तक कि) बरखा दत्त ने दक्षिणपंथ के शब्दावलियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। एनडीटीवी के लिए उनकी हालिया पोस्ट यह थी, “मैं निश्चित रूप से एनडीटीवी को पीड़ित या योद्धा के रूप में नहीं देखती हूं। ओह प्लीज़, यही नकली उदारवाद है।”

बरखा दत्त अपने पूर्व सहयोगियों के बारे में बात कर रही थी जो जाहिर तौर पर समाचार आउटलेट के प्रबंधन के खिलाफ नहीं खड़े हो सकते। सभी पक्षों के लिए यह बात स्वीकार्य है कि हमेशा ”संपादक” का फैसला होता है कि क्या प्रकाशित किया जाएगा और क्या नहीं किया जाएगा। लोग अक्सर दूसरों पर एक प्रकार का अधिकार जताकर लगातार खुश होते हैं और उन्हें लगता है कि यही उनकी शक्ति है। समाचार आउटलेट के संपादकों को हमेशा सभी प्रभावित पक्षों द्वारा प्रलोभन देने की आशंका होती है; यह ठग, चोर, अधिकारी, मशहूर हस्तियां और निश्चित रूप से हमारे प्रिय राजनेता हो सकते हैं। एक वक्त था जब कई राजनीतिक, दार्शनिक विचारक अपने स्वयं के समाचार पत्र प्रकाशित करते थे। तिलक का केसरी, गांधी का युवा भारत, राजा जी का स्वराज्य, सीपीआईएम का गणशक्ति, मरन का मुरासोली, ठाकरे का सामना, रामोजी राव का इनाडु, जैसे कई अखबारों ने अपने संपादकों के विचारों के आधार पर आम जनता की राय को ढाला।

संबंधितपोस्ट

आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

बेमतलब युद्ध के सायरन बजा रहे मीडिया चैनल्स के लिए सरकार ने जारी की एडवाइज़री

धर्म पूछकर जिन्होंने मार दिए 26 मासूम, उन्हें BBC-अल जजीरा बता रहे बंदूकधारी-चरमपंथी; ‘वायर’ ने भी दिखाई बेशर्मी

और लोड करें

यह एक विशेषता है कि सफल संपादक अक्सर प्रदर्शित करते हैं। कभी शक्तिशाली राजनेता भी संपादकों पर निर्भर होते हैं, खासकर चुनावों के दौरान। हालांकि उन पुराने अच्छे दिनों में उन्होंने जो लिखा उसमें थोड़ी नैतिकता थी। फिर ड्राइंग रूम में खबरों, विश्लेषण और डिबेट के साथ उभरे टेलीविजन मीडिया के आगमन के साथ प्रिंट मीडिया को थोड़ा पीछे खींच लिया गया। आर्थिक सुधारों में एक बार स्थापित होने के बाद आपसी प्रतियोगिता बढ़ गई जिस वजह से अब केवल टीआरपी ही महत्वपूर्ण रह गया है।

आखिरकार मीडिया में काम करने वाले लोग भी इंसान है और प्रलोभन के लिए व्यक्तिपरक ही हैं। और हम जिस शानदार भ्रष्ट समाज में रहते हैं, राजनेताओं को बखूबी यह पता है कि कम वेतन वाले पत्रकारों के इगो को कैसे शांत करना है और कैसे उनकी इच्छाओं की पूर्ति करनी है।

हालांकि, समस्या तब शुरू हुई जब मीडियाकर्मियों ने यह मानना शुरू कर दिया कि वह सिस्टम से ऊपर है और चुनाव के मद्देनजर आम जनता को प्रभावित कर सकते हैं। इस ‘प्लेइंग गॉड’ सिंड्रोम ने बेहतरीन पेशेवरों को प्रभावित किया। वह दिन अब जा चुके हैं जब एक संपादक अखबार को चलाने के लिए लालायित था। अब प्रतिभा अत्यधिक रूप से उपलब्ध है, और एक छोटी सी बात पर लोग अपनी राय बदलने के लिए तैयार है। उनमें से बहुत से लोग इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि वह केवल सार्वजनिक राय को जनमत में प्रचार कर सकते हैं, उसे बना नहीं सकते। फिर भी वह कॉरपोरेट्स और राजनीतिज्ञों में से अपने लोगों को लुभाने के लिए ढोंग करते हैं कि वह लोग सार्वजनिक राय तैयार करते हैं।

चो रामास्वामी ने एक बार कहा था कि वह सरकार की आलोचना के लिए स्वतंत्र हैं क्योंकि उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, वहीं उनके विपरीत रामनाथ गोयनका जिनके पास अन्य व्यवसाय भी थे। लेकिन जब पत्रकार सैकड़ों करोड़ के मीडिया साम्राज्यों की स्थापना करने वाले व्यापारियों में बदल जाते हैं तो उनसे रिपोर्टिंग और विश्लेषण में निष्पक्षता और सुसंगत रहने की उम्मीद करना एक तरह की मूर्खता है। हर व्यक्ति को किसी भी धर्म शास्त्र, दर्शन, यहां तक कि राजनीतिक संबंधता की ओर झुकाव रख कर अपनी राय रखने का अधिकार है। उनमें जब कोई अपने प्राथमिक पसंद को स्पष्ट रूप से बताता है और इसे विस्तृत करता है, लोग इसे अपने दृष्टिकोण के रूप में समझते हैं। हालांकि, जब कोई चिल्लाते हुए यह कहता है कि वह “तटस्थ” है और वही एक पक्षपाती रिपोर्ट का प्रचार करता है, तब पाठक इन विसंगतियों को नोटिस करने के लिए बाध्य हो जाते हैं। समझदार संपादक अपनी सीमाओं को अच्छी तरह से समझते हैं यानी, वे केवल लोगों की राय को आगे बढ़ा सकते हैं लेकिन स्वयं से नहीं बना सकते।

नरेंद्र मोदी की जीत एक व्यक्ति के खिलाफ चलाये गए निरंतर अभियान की सीमा दिखाता है कि कैसे सार्वजनिक रुप से सबसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के लेखन में उनके खिलाफ राय बनाये गए। वहीं दूसरी ओर वीपी सिंह ने राजीव गांधी के बोफोर्स घोटाले का पर्दाफाश करने वाले अखबारों की मदद से अपने जीत का रास्ता तय किया था। इसका मतलब यह नहीं है कि मीडिया अब कमजोर है। वे अपने तरीके से मजबूत है। जब वे जो हैं उससे अलग करने की कोशिश करते हैं तभी कमजोर होते हैं।

राजनेता बहुत चतुर प्रजातियां हैं। उन प्रजातियों की तुलना में कम से कम बहुत तेज हैं जो खुद को पत्रकार कहते हैं। जब कोई मीडिया आउटलेट किसी विशेष पार्टी के राजनीतिक विचार को अपनाता है तो यह केवल संपादक के विचारों का झुकाव दिखाता है। जब तक की राजनीतिक दल को किसी अप्रत्याशित लाभ की संभावना नहीं दिखती, यह जरुरी नहीं कि संपादक/मीडिया आउटलेट को अपने समर्थन के बदले कुछ मौद्रिक लाभ मिले। हालांकि की राजनीतिक संगठनों द्वारा अपने विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करने और उसके प्रसार के लिए मीडिया आउटलेट्स की छानबीन कर उसका चयन किया जाता है। और यहाँ से मीडिया हाउस की प्रभावशाली शक्ति और ऊपर तक पहुँच होती है, चाहे वह समाचार पत्र हो या एक टेलीविजन मीडिया हो और यहाँ तक कि कोई इंटरनेट मीडिया वेबसाइट हो। जब कोई राजनीतिक पार्टी एक निजी मीडिया आउटलेट का समर्थन करती है, तो यह पार्टी के चुनावी भाग्य को आगे बढ़ाने के एकमात्र लक्ष्य को लेकर उस मीडिया हाउस के साथ एक शुद्ध व्यापारिक लेन देन होता है।

यहां तक कि यदि मीडिया आउटलेट आर्थिक रूप से मजबूत है, इसमें काम कर रहे व्यक्ति भी वही रहते हैं, प्रत्येक अपने स्वयं के हितों को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसीलिए राजनीति और मीडिया के बीच गठजोड़ की शुरुआत होती है। जब मीडिया और लेट छोटा होता है लेकिन प्रभावी होता है तो इसे “लागत प्रभावशीलता” के सरल व्यवसाय के कारण चुना जाता है।

बड़े उद्यमों के कुछ व्यक्ति अलग-थलग होकर अपना खुद का उद्यम शुरू करेंगे – जाहिर है, किसी न किसी राजनीतिक समर्थन के साथ। इनमें से कुछ आगे बढ़ पाते हैं और कुछ नहीं। फिर भी ज्यादातर लोग पैसे कमाएंगे जो कुछ पीढ़ियों तक उनके काम आएंगे। और यही बीते युग के पत्रकारों और उन 90 के दशक से देखे जा रहे लोगों के बीच का फर्क है।

छोटे उद्यमों के साथ लेनदेन में, मीडिया हाउस का राजनीतिको द्वारा हर संभव मात्रा में शोषण किया जाएगा। जब तक मीडिया हाउस को यह पता चलेगा कि क्या हो रहा है, तब तक पार्टी का नियंत्रण पूरी तरह से हो चुका होगा। संपादक को यह भी नहीं पता चलेगा की कब उनकी विचारधारा एक राजनीतिक महत्वकांक्षा में बदल गई है, हालांकि यह छोटी भी हो सकती है। इसके बाद तो यह पार्टी के लिए मुखपत्र बन जाएगा। जब तक संपादक को यह एहसास होगा कि उसका केवल उपयोग या दुरुपयोग किया गया है, तब तक वह पार्टी से सवाल करने और अपनी स्वतंत्रता पर जोर देने की स्थिति पर नहीं होगा। नैतिक आधार और सिद्धांत बहुत पहले ही खत्म हो चुके होंगे। व्यवहारिकता खत्म कर दी जाएगी। ज्यादातर मामलों में, विशेषकर उन लोगों के साथ जो अपने विचारधारा को लेकर सही है उनको मिलने वाला मौद्रिक मुआवजा उनके अपने खर्चे को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं था।

कहानी तब खत्म होती है जब संपादक एक कॉफी हाउस के छोटे से कोने में धूम्रपान करते हुए अपने अनुभवों को अगली पीढ़ी तक साझा करता है। वह पुरानी यादों में रहता है। वह जानता था कि वह अच्छा था लेकिन उसे समय पर ही धोखा दिया गया। उसे (संपादक) क्या पता चलता है? वह पार्टी ही थी जिसे मीडिया आउटलेट की जरूरत थी और कुछ नहीं। पार्टी ने उसी प्रतिष्ठा को भुनाया जिसे मीडिया हाउस ने कई सालों से बना कर रखा था। लेकिन पार्टी ने इसे इस तरह समझाया जैसे उन्होंने मीडिया हाउस को साथ जोड़कर एक एहसान किया है, जो की पूरी तरह बकवास है।

इस तरह मीडिया पंथ में व्यक्तिगत लालच के प्रभुत्व की कहानी चलती है। शायद बरखा दत्त ने अपने एनडीटीवी के सहयोगियों (पूर्व एवं वर्तमान) के बारे में जो लिखा था, वह सही था। बात यह है कि, उस व्यापार में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति प्रेस, राजनीति और कॉर्पोरेट के बीच के गठजोड़ को जानता है। सभी मीडिया हाउस (एनडीटीवी शामिल) ने जानकारियों को दबाया है और गलत समाचारों को प्रचारित किया है। उन्हें जब अनुकूल लगा उसके अनुसार उन्होंने इसे भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ इस्तेमाल किया।

बरखा दत्त ने एनडीटीवी के बारे में क्या लिखा था वह महत्वपूर्ण नहीं है। बरखा दत्त द्वारा क्या नहीं बताया गया वह महत्वपूर्ण था। एक व्यक्ति के रूप में, जो राडिया टेप में शामिल थी, क्या बरखा दत्त को नहीं पता था कि एनडीटीवी कैसे काम कर रहा था ? 80-90 के दशक में अखबारों द्वारा रिपोर्ट में दंगा पीड़ितों के धर्म का उल्लेख नहीं किया जाता था और एकतरफा आंकड़े नहीं पेश किए जाते थे। यदि बरखा दत्त सोचती है कि एनडीटीवी न तो पीड़ित है और ना ही योद्धा है, तो यह पूरे मीडिया के लिए लागू होता है। जब पेशेवर लोग व्यापार शुरू करते हैं तब वह व्यवसायी होते हैं। एनडीटीवी में उनके सहयोगियों, यहां तक की बरखा दत्त के पास भी समाचार सेंसर करने या राजनीतिक दबाव आदि के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। राजनेता और पत्रकार समाज से ही बाहर आते हैं। सार्वजनिक जीवन में सभी स्पॉटलाइट में है और सभी अपने बाथिंग सूट के साथ एक्सपोज़ हो रहे हैं।

Tags: एनडीटीवीबरखा दत्तमीडियासम्पादक
शेयर414ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

कांग्रेस के नैय्या डुबाने का पूरा प्रबंध कर लिया है राहुल जी ने, ये रहा सबूत

अगली पोस्ट

गुजरात चुनाव में अमित शाह के नए दाव ने किया विपक्षियों को चारों खाने चित्त

संबंधित पोस्ट

बांग्लादेश
चर्चित

हिंदू दीपू दास की इस्लामी भीड़ के हाथों बर्बर हत्या उस्मान हादी हत्याकांड का ‘साइड इफेक्ट’ नहीं है, ये मजहबी कट्टरता को आत्मसात कर चुके बांग्लादेश का नया सच है

20 December 2025

बांग्लादेश इस समय गहरी अस्थिरता से गुज़र रहा है। दुर्भाग्य से ये अस्थिरता सिर्फ राजनैतिक नहीं है, ये नैतिक और सामाजिक भी है। अलग भाषाई...

ऑपरेशन सिंदूर 2:0
मत

दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

21 November 2025

पाकिस्तान एक आतंकी मुल्क है और इसमें शायद ही किसी को कोई संशय हो, ख़ुद पाकिस्तान के मित्र भी न सिर्फ इसे अच्छी तरह जानते...

शशि थरूर पीएम की तारीफ कर अपनी ही पार्टी के अंदर निशाने पर आ गए हैं
चर्चित

कांग्रेस का नया नियम यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीएम मोदी/बीजेपी का हर क़ीमत पर विरोध ही करना है?

21 November 2025

कांग्रेस के नेता देश ही नहीं विदेशों में भी जाकर लोकतंत्र बचाने की दुहाई देते रहते हैं। लेकिन जब बारी आंतरिक लोकतंत्र की आती है...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited