भारत में अभी भी कई राज्यों के बहुत से शहरों एवं नगरों तक सुचारू रूप से यातायात का प्रमुख साधन ‘सड़क मार्ग’ उपलब्ध नहीं है| जिसकी वजह से कभी कभी किसी आपात स्थिति में भी उन शहरों तक पहुंचना संभव नहीं हो पाता है| कहते हैं कि किसी देश के आर्थिक, सामाजिक विकास में सड़कों की भूमिका अहम होती है| एक सड़क सिर्फ डामर, कंक्रीट का मिश्रण मात्र नहीं होती है बल्कि वह जिन भी क्षेत्रों से निकलती है उसके लिए विकास, रोजगार और व्यापार के नए आयाम स्थापित करती है|
वर्षो पूर्व प्रधानमंत्री ‘अटल बिहारी बाजपेयी’ की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने देश की खस्ताहाल सड़कों को देखते हुए “स्वर्णिम चतुर्भुज” परियोजना के तहत देश में सड़क मार्ग को हर कोने तक पहुंचाकर यात्रा को सुगम बनाने का संकल्प लिया था| जिसको आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देशवासियों को एक दक्ष और सुगम परिवहन प्रणाली देने के लिए कुछ ही दिनों पहले सड़क मार्ग के लिए विशालकाय “भारतमाला परियोजना” को मंज्रूरी दे दी है|
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट:-
भारतमाला परियोजना देश को आतंरिक एवं बाह्य रूप से सक्षम बनाने की एक व्यापक सड़क परियोजना है| जिसके अंतर्गत भारत की सीमाओं, तटीय क्षेत्रों, बंदरगाहों, धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों को जोड़ने के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय संपर्क स्थापित करने के लिए हजारों किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जाएगा| इस योजना में सबसे पहले उन सड़क मार्ग योजनाओं को चुना जाएगा जो अभी तक अधूरे है मतलब कि यह वे प्रोजेक्ट है जिनके द्वारा बनाये जा रही सड़कें अभी तक पूरी नहीं हुयी हैं या फिर निर्माणाधीन कार्य को किन्हीं कारणों से रोक दिया गया था|
कुछ महत्वपूर्व बिंदु:-
1. पूर्वी भारत को पश्चिमी भारत से जोड़ने का अपने आप का यह एक पहला प्रोजेक्ट है जिसमे कि चीन से लगी सीमा पर भी सड़क बनाने का काम होगा|
2. हिन्दुओं के प्रसिद्ध चार धामों को सड़क मार्ग द्वारा जोड़ा जाएगा|
3. सागरमाला परियोजना के अंतर्गत आने वाले सभी बंदरगाहों और तटीय क्षेत्रो को इस योजना द्वारा बेहतर संपर्क के लिए सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा|
4. इस अति विशाल परियोजना से रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे|
सड़कों के प्रकार—————————— कि०मी०
आर्थिक कॉरिडोर —————————— 9,000
अंतर गलियारे और फीडर मार्ग —————————— 6,000
राष्ट्रीय कॉरिडोर दक्षता कार्यक्रम —————————— 5,000
सीमा और अंतर्राष्ट्रीय संपर्क —————————— 2,000
तटीय एवं बंदरगाह संपर्क —————————— 2,000
ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे 800
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भारतमाला परियोजना के अंतर्गत कुल —————————— 24,800
एनएचडीपी के अंतर्गत शेष राष्ट्रीय राजमार्ग —————————— 10,000
पहले चरण के अंत तक कुल विकसित सड़क —————————— 34,800
साभार:-
https://hi.wikipedia.org/…/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A…
गुजरात से प्रारंभ होकर राजस्थान, पंजाब, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम तक को जोड़ने वाली इस महत्वकांक्षी परियोजना पर लगभग 7 से 10 लाख करोड़ खर्च आने का अनुमान है|
भारतमाला परियोजना के लिए 2.09 लाख करोड़ रूपए बाजार से, 1.06 लाख करोड़ रुपये प्राइवेट निवेश से और 2.19 लाख करोड़ रुपये टोल संग्रह(टीओटी) के जरिये आएगा| टीओटी का अर्थ है टोल, ऑपरेट एंड ट्रान्सफर जिसके अंतर्गत ठेका प्राप्त करने वाली कंपनी 20 या 30 वर्ष के लिए टोल संग्रह करेगी और फिर उसे वापस सरकार को सौंपेगी| इसके तहत कुल 82 क्रियान्वित परियोजनाओं के ठेके टीओटी को दिए जायेंगे|
साभार:-
http://www.jagran.com/…/national-jagran-special-on-bharatma…
https://www.bhaskar.com/…/NAT-NAN-what-is-bharatmala-projec…
मोदी सरकार कनेक्टिविटी बढाने के मामले में अभी तक सबसे अव्वल सरकार रही है| फिर चाहे वो रेलवे का क्षेत्र हो या फिर बिजली उत्पादन का, चाहे सड़क निर्माण का क्षेत्र हो या फिर बंदरगाहों से जुड़े व्यापारिक मार्गों के विकास का, हर क्षेत्र की गति को तीव्र करने के लिए कुछ न कुछ प्रयास किये जा रहे हैं|
एक लेख के अनुसार 2013-14 की यूपीए सरकार के समय 3621 किमी० की हाईवे परियोजनाओं को मंजूरी मिली जबकि सिर्फ 2014-15 के कार्यकाल में 120% वृद्धि के साथ मोदी सरकार ने 7980 किमी० की हाईवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी थी| इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 2013-14 की यूपीए सरकार के समय 25,262 किमी० सड़क का निर्माण किया गया जबकि 2014-15 में मोदी सरकार के समय 20% वृद्धि के साथ 36,883 किमी० सड़क निर्माण किया गया| लेख के ही अनुसार यात्रियों की सुविधा के लिए मोदी सरकार ने 62 टोल संग्रहों से शुल्क लेना बंद कर दिया है|
साभार:-
http://www.pmindia.gov.in/…/connecting-india-like-never-be…/
वास्तविकता में पिछली सरकारों के समय रेलवे, सड़क और विमान पट्टी ऐसी चीजें थी जिन्हें मंत्री और सरकारें अपने अपने राजनैतिक क्षेत्रों और व्यक्तिगत विकास के अनुसार सीमित रखती थी परन्तु अब ‘सबका साथ, सबका विकास’ की नीति देश के सर्वांगीण विकास की नयी इबारत लिख रही है|