TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    ‘जंगलराज नहीं चाहिए’: बिहार की जीविका दीदियों ने किया साफ, नीतीश पर भरोसा, तेजस्वी के वादे पर नहीं यकीन

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    अग्निवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी : ‘अस्थायी’ से ‘स्थायी’ की ओर भारत की नई सैन्य सोच

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइनों से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    ‘अग्नि से सजे हथियार’: 4.25 लाख स्वदेशी CQB कार्बाइन से सजी भारतीय सेना बनेगी आतंकियों के लिए काल

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशियाकी नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत की कूटनीति अब ‘वर्चुअल’ नहीं, रणनीतिक है: आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का डिजिटल नेतृत्व और एशिया की नई शक्ति-संतुलन रेखा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए आखिर क्यों हो रहा ऐसा

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द: 15 से 16 फीसदी तक हो सकती है टैरिफ, जानिए क्या होंगे इसके असर

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    गुलामी से कफाला तक: सऊदी अरब के ‘प्रायोजक तंत्र’ का अंत और इस्लामी व्यवस्था के भीतर बदलते समय का संकेत

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

हंसमुख सा दिखने वाला आपका डॉक्टर अन्दर से कितना टूटा हुआ है, क्या ये आपको पता है?

Abhilash Kumar Jain द्वारा Abhilash Kumar Jain
9 November 2017
in मत
डॉक्टरों-चिकित्सा
Share on FacebookShare on X

सरकार द्वारा किए गये सुधारों से चिकित्सा प्रणाली में कई बदलाव आए हैं, फिर भी कुछ समस्याएं बनी हुई हैं जिनकी जवाबदेही छात्र और माता-पिता दोनों चाहते हैं। किए गए परिवर्तनों में, परीक्षाओं का केन्द्रीकृत होना, विभिन्न शहरों में परीक्षा के उत्कृष्ट केन्द्रों की स्थापना और एक नए चिकित्सा निकाय की स्थापना शामिल हैं।

जबकि, कुछ राज्यों में तो पहले से ही एकल परीक्षा के विरोध में प्रदर्शन हुआ है, और अब कोई भी स्पष्ट रूप से देख सकता है कि इस एकल परीक्षा प्रणाली के संदर्भ में असंतोष क्यों है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पाठ्यक्रम लागू हैं, जबकि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने सभी छात्रों को एक स्तर में लाए। इस बात पर राज्य न केवल सुस्त रवैया अपना रहे हैं बल्कि वो खुलकर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं और साथ ही अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए केंद्र को दोषी ठहरा रहे हैं। सबको समझना चाहिए कि क्यों केंद्र को राज्यों की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की विफलताओं को समझाने के लिए कठोर कदम उठाना पड़ा, इसकी जरूरत इसलिए भी थी क्योंकि नवजात मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के आंकड़े काफी उतार चढ़ाव भरे थे जो कई राज्यों में काफी भिन्न हैं।

संबंधितपोस्ट

‘संजय रॉय ही महिला डॉक्टर के रेप-हत्या का गुनहगार’: CBI की चार्जशीट, चिकित्सकों का अनशन जारी

पुणे मामले में डॉक्टर बने अपराधी

“Family Trip to Ibiza” कैसे डॉक्टर फँसते हैं बिग फार्मा के मायाजाल में

और लोड करें

अब हम क्षेत्रीय लोगों और जनता तक पहुँच के आधार पर आकड़ों की पुष्टि कर सकते हैं, दोष नियोजन के शीर्ष अधिकारियों का है जो कि गलत क्या है इसका विश्लेषण करने में विफल रहे हैं। दोष शिक्षा की लचर व्यवस्था में है जो छात्र को केंद्रीकृत परीक्षा के लिए तैयार नहीं करती है। केंद्र और राज्य सभी स्तरों पर निराशाजनक विफलता जैसी स्थिति है। शैक्षणिक व्यवस्था ने तैयारी किन्हीं अन्य बिन्दुओं की कराई और उनका आंकलन उन बिन्दुओं पर किया जो कभी पढ़ाये ही नहीं गए। कोई भी नया व्यक्ति ये पूछ सकता है की ये कैसे संभव है? सच्चाई यह है कि ऐसा हो रहा है और आप ही सोचिए कि कैसे। समस्या अभिस्वीकृति में है क्योंकि जब तक अभिस्वीकृति नहीं होगी तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती। अब हम अभी तक हुए आन्दोलनों के सार के विषय में बात करते हैं जिससे पता चलता है: कि छात्रों के विषय में किसी ने कुछ नही किया, केंद्र और राज्य ने एक दूसरे को दोषी ठहराया और जातीय रंग दिया।

जबकि चिकित्सा क्षेत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट जारी है और साथ ही महाराष्ट्र जैसे राज्यों द्वारा इसे और गिराने की कवायद चल रही है, उन के लाये गए कानूनों की पर दोबारा सोचने की आवश्यकता है और वो भी जल्दी ही।

सरकार भी छात्रों की इन समस्याओं से अनजान लग रही है, जोकि अंतहीन हैं और साथ ही छात्रों को देरी से मिल रही आर्थिक स्वतंत्रता जिससे कि अभी तक अधिकतर छात्र अपने माता-पिता पर ३० साल की उम्र तक आर्थिक सहयोग के लिए निर्भर हैं। अलग अलग राज्यों के कानून, छात्रों को अपने हिसाब से विभिन्न समुदायों के लिए समय-समय पर इस्तेमाल करते हैं। ये सभी जाँचें बेसिक मेडिकल ट्रेनिंग के अंत में होती हैं जैसे कि (ऍम.बी.बी.एस) स्नातकोत्तर। ये किसी को मजाक लग सकता है कि कोई छात्र जिसने प्रशासनिक ट्रेनिंग ले रखी है (एक अपेक्षाकृत नई शाखा जो केवल चयनित संस्थानों पर ही की जाती है) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में तैनात किया जा सकता है) या फिर कोई छात्र जिसने इंटरवेंशनल रेडियोलोजी में विशेषज्ञ प्रशिक्षण ले रखा हो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पी.एच.सी) में तैनात किया जा सकता है जहाँ एक्स-रे के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होतीं, उसके बाद काफी लम्बे समय तक मुलाकातों और रिश्वत देने के बाद छात्र/छात्राओं (जोकि प्रशिक्षित है) को अपने मन की तैनाती मिलती है और इसके बाद भी उन्हें सामाजिक तानाशाहों के आगे बार बार मिन्नतें करनी पड़ती हैं और रोना गिड़गिड़ाना पड़ता है।

जबकि डॉक्टरों के खिलाफ सार्वजनिक “शासक” के अत्याचार  की कहानियाँ, अक्सर सुर्खियाँ बना देती हैं, हमें यह भी पता होना चाहिए कि नियुक्त किए गए डॉक्टरों से क्या उम्मीद की जाती है: पीएचसी को पेंट करवाना, निर्माण करवाना, प्रत्येक संकेत की रिपोर्टिंग और जनता के शासक को संपूर्ण जानकारी देना, स्थानांतरण के लिए या स्थानांतरण से बचने के लिए भीख मांगना, पंचायत के मुखिया से हाथ जोड़कर अपनी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करना, जब बिजली चली जाए तो अँधेरे में बैठना, और यदि उनके बच्चे हों तो उनकी शिक्षा के लिए सर खपाना। ये सभी कुछ उन्हें अपने अन्य साथियों की तुलना में जिन्हें अन्य क्षेत्रों में बराबर का अनुभव प्राप्त है, उनसे कम तनख्वाहों में करना पड़ता है। हालांकि, केंद्र में सर्कार के परिवर्तन के साथ चिकित्सा पेशेवरों की नियुक्ति के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया में एक उल्लेखनीय परिवर्तन हुआ है; परन्तु उन लोगों के विषय में क्या विचार है जिन्होंने अभी अभी अपना प्रशिक्षण पूरा किया हैं? अनुरोध पर स्थानान्तरण (पारस्परिक समझौतों सहित) के लिए एक केंद्रीय पारदर्शी प्रणाली होने की आवश्यकता है और ऑक्सीजन सिलेंडर, बिल्डिंग की पेंटिंग, निर्माण और व्यवस्था जैसी नौकरियों को किसी और को सौंप दिया जाना चाहिए। मुझे पूरा यकीन है कि उस क्षेत्र में डॉक्टरों को कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।

डॉक्टरों का “दानवीकरण” एक सामान्य प्रवृत्ति रही है जहाँ हर कोई डॉक्टरों पर आरोप मढ़ने के लिए स्वतंत्र है, और इस सूची में सामान्य जनता से लेकर अभिनेता, राजनेता और मीडिया तक शामिल हैं।

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों को पैसे नहीं लेने चाहिए, कुछ लोगों ने महंगे उपचार के लिए डॉक्टरों को मारने का सुझाव दिया है, कुछ ने दवा के नाम / घटकों को लिखते समय सामान्य (जेनेरिक) दवाओं का सुझाव दिया है। जबकि बाकी हर पोशेवर को मनचाहा शुल्क लेने की आजादी है जो वह उचित समझता है, पर डॉक्टर की यह एक नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि: सब्सिडी वाले मूल्य पर समुदाय की मदद के लिए इलाज करे। इसके अलावा, डॉक्टर को करों का भुगतान भी करना चाहिए: (जमीन, पानी, बायोमेडिकल कचरे, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्नि सुरक्षा और लाइसेंसों से भरी फाइल भी शामिल है जबकि दैनिक जीवन व्यय जैसे बच्चों की शिक्षा, बुजुर्गों की देखभाल, कार और अपार्टमेंट आदि के लिए ईएमआई) बिना किसी भी सब्सिडी के।

जनता इस तथ्य से अनजान नहीं है कि दवा की कीमत एक चिकित्सक के हाथों में नहीं है और जबकि सरकार ने दवा की कीमतों पे लगाम लगाने की एक पहल की है, वे मूल “गुणवत्ता” को को भूल ही गए हैं जोकि केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होनी चाहिए और यदि गुणवत्ता में कमी पाई जाए तो कंपनी और राज्य को कानून के तहत दण्डित करना चाहिए।

एक डॉक्टर के पास दवा की गुणवत्ता का परीक्षण करने का कोई तरीका नहीं है, “मूल्य निर्धारण” की पूरी छूट फार्मासिस्ट के पास होती है जो बढ़ती लागतों या गुणवत्ता के लिए भी जिम्मेदार होगा। कॉर्पोरेट अस्पतालों में इलाज की लागत एक और मुद्दा है जो बहुत द्वेष पैदा करता है। जहाँ कॉर्पोरेट अस्पतालों के मालिक गोल्फ खेलते हैं और आराम करते हैं, वहाँ के डॉक्टर मजदूरों की तरह कार्य करते हैं, इन्हें अदालतों का जवाब देना होता है, इन्हें ही महंगे बिलों के लिए मार और दुर्व्यवहार मिलता हैं। कॉर्पोरेट अस्पताल के मालिकों द्वारा चालित प्रणाली से ऐसा प्रतीत होता है कि महंगे शुल्क के लिए डॉक्टर जिम्मेदार हैं, जबकि वास्तव में अस्पताल ही महंगे शुल्क के लिए जिम्मेदार है। जब किसी छूट की घोषणा की जाती है तो सबसे पहले डॉक्टरों को ही अपना हिस्सा गवाना पड़ता है। कॉरपोरेट सिस्टम इस तरह से विकसित किया गया है कि छूट डॉक्टरों के शुल्क पर है अस्पताल के शुल्क पर नहीं, अर्थत् प्रदान की गयी छूट देखभाल प्रदाता द्वारा है, न कि देखभाल संस्थान (कॉर्पोरेट कंपनी) द्वारा, जबकि अनुमान इसका उल्टा लगाया जा रहा है। एक चिकित्सक को उसके नाम पर बने बिल में लगाये गये शुल्क का केवल कुछ प्रतिशत ही मिलता है, इस प्रकार आरोप कॉर्पोरेट कंपनी पर होना चाहिए। तो दोषी डॉक्टर को क्यों ठहराया जाता है? मुझे हैरानी होती है। और सबसे मत्वपूर्ण बात यह है कि, यदि सरकार इतनी चिंतित है, तो “स्वास्थ्य” देखभाल विभाग में निजी खिलाड़ियों (कंपनियों) को अनुमति क्यों देती है?

हाल ही में सरकारी डॉक्टरों को निजी प्रैक्टिस करने की इजाजत न देने का एक कड़ा निर्देश दिया गया था। आइए इसे सीधी तरह समझते हैं: काम से मुक्त होने के बाद किसी को क्यों काम करना चाहिए? पैसे के लिए। वे अधिक कार्य करते हैं और कम भुगतान पाते हैं इसलिए विदेश जाने का रास्ता चुनते हैं। कर्नाटक में परामर्श मूल्य को छिपाने के नए सुझाव एक अन्य ताजी खबर है। यह सरकार की “स्वास्थ्य” प्रणाली की विफलता की शुरुआत है, जहां वे अस्पताल में बीमारों को गुणवत्ता की सुविधा प्रदान नहीं कर सकते हैं और अब वे परामर्श कैप (डाक्टरी परामर्श के लिए दी जाने वाली अत्यधिक राशि) के विचार के साथ आए हैं। 3 नवंबर को कर्नाटक में इसके खिलाफ एक राज्य व्यापी हड़ताल भी हुआ था। अभी कुछ और प्रश्न बाकी हैं:

  1. अगर सरकार उपचार की लागत के बारे में बहुत संवेदनशील है तो निजी अस्पताल चलाने के लिए लाइसेंसों की अधिकता क्यों है?
  2. एक और शिकायत निवारण प्रणाली की क्या आवश्यकता है, क्या उन्हें लगता है कि अतिरिक्त कानूनी दबाव डालने से कीमतों में कमी आएगी?

अब सबसे महत्वपूर्ण बिंदु – स्वास्थ्य व्यवस्था राज्य की जिम्मेदारी है और रोगी के इलाज की देखरेख करने की जिम्मेदारी चिकित्सकों को दी जाती है। अधिकांश लोग इस तथ्य से अनजान रहते हैं और हम अक्सर डेंगू, संक्रामक (फ्लू) और मलेरिया की घटनाओं के लिए नेताओं द्वारा डॉक्टरों को अनायास निशाना बनाते हुए देखते हैं; यह उनकी ज़िम्मेदारी नहीं है? स्वच्छ वातावरण, भोजन, स्वच्छता और पानी की आपूर्ति बनाए रखने के लिए राज्य जिम्मेदार है। चिकित्सक उपचार के लिए उत्तरदायी है, शौचालयों की सफाई, बाथरूम के टूटे हुए दरवाजे, बरामदा आदि की सफाई के लिए नहीं। इन तस्वीरों को अक्सर अखबारों में देखा जाता है, जहाँ एक वरिष्ठ डॉक्टर हाथों को मोडे हुए मौन दिखाई पड़ता है, जब सार्वजनिक शासक द्वारा शौचालयों और गंदगी के बारे में बात की जाती है।

प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सकों अपना छुट्टी का समय ड्यूटी रूम में बिताते हैं, जो न तो साफ़ होते हैं और न ही ठीक से हवादार होते हैं। मेडिकल पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने वाले बहुत सारे छात्र क्षय (टीबी) और अन्य संक्रामक रोगों से संक्रमित हो जाते हैं, जो उन्हें अस्पताल से मिलते हैं। सरकार अपने अस्पतालों और कॉलेजों के भौतिक रख-रखाव पर ध्यान नहीं देती है, कार्य करने के उटपटांग समय और शिफ्ट पर भी ध्यान नहीं देती हैं जोकि युवा डॉक्टरों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

क्या एक नई चिकित्सा प्रणाली सभी समस्याओं का समाधान कर सकेगी? क्या कोई सोच सकता है कि शीर्ष पदाधिकारी कभी नीचे के लोगों की समस्याओं को देख सकता है?  मैं आशा करता हूँ कि वे ऐसा करने का लक्ष्य बनाएंगे और मुझे उम्मीद है कि वे सफल भी होंगे।

Tags: चिकित्साडॉक्टरनीट परीक्षा
शेयर609ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

दीदी गयीं थी कोर्ट केंद्र के इस फैसले का विरोध करने, कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार

अगली पोस्ट

मोदीजी ख़त्म कर रहे हैं इस पुरानी तुष्टिकरण प्रथा को, विपक्ष और उदारवादी अब कुछ नहीं कर सकते

संबंधित पोस्ट

मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई
क्राइम

मां काली का अपमान और ममता का मौन: बंगाल में तुष्टीकरण राज की भयावह सच्चाई

23 October 2025

जब मां काली की मूर्ति का सिर काट दिया जाए और सत्ता मौन रह जाए, तो यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि सभ्यता और श्रद्धा...

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने
चर्चित

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

22 October 2025

बिहार की राजनीति इस वक्त फिर उसी पुराने मोड़ पर लौटती दिखाई दे रही है, जहां गठबंधन एकता का ढोल तो पीट रहा है, लेकिन...

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प
इतिहास

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

22 October 2025

गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

और लोड करें

टिप्पणियाँ 2

  1. Dr Prakash dhapola says:
    8 years पहले

    Chutiyaaaapa…
    Dr ko sb PTA hota h dawaioo k bre m …sb conference attend krre h ..
    Khub motaa pesaaa lete h marijooo se……..
    Dr ilajjj nhi business krta h

    Reply
  2. Abhinesh says:
    8 years पहले

    Haa Bhai ..bhot paise chap like h Maine , it ki raid dalwa de agar ho sake to … Mat jao kisi Dr. Ke pass agar itna he dikkat h to ..dikha liya karo kisi jhhad phoonk wale ko

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

Bihar Files: When Scam Money Didn’t Reach Minister’s House but Landed at ‘Boss’ Residence

00:06:22

Why India’s 800-km BrahMos Is a Nightmare for Its Adversaries

00:06:22

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

00:07:39

How Bursting Firecrackers on Deepavali Is an Ancient Hindu Tradition & Not a Foreign Import

00:09:12

This is How Malabar Gold Betrayed Indians and Preferred a Pakistani

00:07:16
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited