पिछले एक दशक से कर्नाटक की राजनीति पर तीन राजनैतिक दलों, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) या जेडीएस का वर्चस्व रहा है। हालांकि, कर्नाटक के लोगों का तीनों दलों से विश्वास हट सा गया है। लोगों को ऐसा लगता है कि कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों ने कर्नाटक का इस्तेमाल एक एटीएम कार्ड की तरह किया है और इसके सभी संसाधनों को दुरुपयोग किया है। जेडीएस पूरी तरह से कर्नाटक केंद्रित पार्टी नहीं है क्योंकि कर्नाटक के उत्तर और तटीय क्षेत्रों में इलकी उपस्थिति नगण्य है। कर्नाटक के लोग वास्तव में कर्नाटक या कन्नड़ केंद्रित पार्टी के लिए क्रमशः एआईएडीएमके और तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के पड़ोसी राज्यों के तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के लिए कामना करते रहे हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि एक ऐसा राजनीतिक दल शायद अस्तित्व में आया आ गया है, कन्नड़ सिनेमा में सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में से एक, “सुपरस्टार” या “रीयल स्टार” उपेंद्र ने राज्य में एक नये राजनीतिक दल की शुरुआत की है। नई पार्टी का नाम कर्नाटक प्रज्नवंथ जनता पार्टी (केपीजेपी) है और इसे अंततः 31 अक्टूबर, 2017 को कन्नड़ राज्योत्सव या कर्नाटक राज्योत्सव दिवस से शुरू किया गया था, जो कि कर्नाटक राज्य के गठन की तिथि है।
उपेंद्र ने स्पष्ट रूप से अगस्त में खुद को राजनीति में प्रवेश करने और कुछ महीने पहले पार्टी बनाने की योजना की घोषणा की थी और आखिरकार कुछ दिन पहले ही 31 अक्टूबर को इसे आधिकारिक रूप दिया गया था। भारत भर में कई अभिनेताओं ने राजनीति में प्रवेश किया है और कर्नाटक इसके लिए कोई अपवाद नहीं है। राजनीति में प्रवेश करने के बाद एमजी रामचंद्र (एमजीआर), जयललिता, एनटी रामा राव (एनटीआर) जैसे कुछ लोग सफल हुए हैं और कुछ विफल हुए हैं। राजनीति में उपेंद्र का प्रवेश दिलचस्प क्यों है, वह यह साबित कर चुके हैं कि वह एक रचनात्मक प्रतिभा है जहाँ तक सिनेमा का संबंध है। थोड़े समय में ही उपेन्द्र अत्यन्त बौद्धिक, मनोरंजक और शैक्षिक फिल्मों में कार्य करने के कारण, कन्नड़ सिनेमा के सबसे लोकप्रिय अभिनेता और निर्देशकों मे से एक बन गए हैं। उपेंद्र की सृजनात्मक प्रतिभा उनकी उपेंद्र और उप्पी 2 जैसी फिल्मों में काफी स्पष्ट है जिसमें उन्होंने अत्यधिक जटिल उपनिषद और पुराणों की अवधारणाओं को शामिल किया और इसे एक मनोरंजक फिल्म के रूप में आम जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। फिल्म सुपर में, उन्होंने अपनी कल्पना का इस्तेमाल करके, भारत को भविष्य के दृष्टिकोण में प्रस्तुत किया, जिसमें भारत एक महाशक्ति है और बेंगलुरू एक अति उन्नत शहर है। ये शंकर द्वारा निर्मित और रजनीकांत द्वारा अभिनीत सुपरहिट फिल्म रोबोट से काफी पहले बनाई थी।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उपेंद्र एक श्रेष्ठ रचनात्मकता वाले व्यक्ति है और यह उनके अंदाज़ से स्पष्ट होता है कि जिस तरह उन्होंने अपने दल की शुरूआत की और राजनीति में कुछ शुरुआती कदमों की योजना बनाई। वह un महत्वपूर्ण मुद्दों को भली-भाँती जानते हैं जिनसे कर्नाटक पीड़ित है और वर्तमान राजनीति कालसा-बंदरी जैसे मुद्दे को हल करने में नाकाम रही है। अगस्त में राजनीति में आने के अपने इरादे की घोषणा के बाद, उन्होंने तुरंत अपने दल की शुरुआत नहीं की। कर्नाटक में सुधार लाने के लिए कुछ विचारों को व्यक्त करने के लिए उन्होंने दो महीने का इंतजार किया।
नग्न-सत्य श्रृंखला के विडियोज़ को यूट्यूब के माध्यम से, उपेंद्र ने कर्नाटक में सुधार करने के विभिन्न तरीकों के बारे में बात की। एक और विडियो में उन्होंने एक स्मार्ट गांव की धारणा के बारे में बात की और बेहतर गांवों के निर्माण के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है इसके बारे में बताया। एक अन्य वीडियो में, उन्होंने उस समाधान के बारे में बात की, जिनको बेंगलुरु तथा कर्नाटक के अन्य शहरों में जल निकासी प्रणाली को सुधारने के लिए लागू किया जा सकता है। उनका संदेश जनता के पास पहुँचने के बाद ही उन्होंने अपनी पार्टी का विमोचन किया।
इस विमोचन के दौरान, उपेंद्र ने पुन: अपने रचनात्मक कौशल को प्रदर्शित किया, जब उन्होंने मीडिया को मंच पर बिठाया और स्वयं अपने समर्थकों के साथ में दर्शकों में बैठ गए। यह वहाँ पर उनकी भूमिका के उलट था और उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनावों में अपने आप को ज़मीन से जोड़े रखा तथा स्वयं और पार्टी के लिए यथार्थवादी लक्ष्य रखे।
हालांकि, वास्तविकता रील का तरह नहीं है और राजनीति, फिल्म जगत से काफी अलग है। उपेंद्र अपने कॉलेज के दिनों में एवीबीपी के नेता थे जो अब उनके सामने एक बड़ी चुनौती है।
कर्नाटक में तीन प्रमुख राजनीतिक दल, कांग्रेस, भाजपा, और जेडीएस पहले से ही अपना वर्चस्व कायम किए हुए हैं और उन्हें जनता का बहुत मजबूत समर्थन प्राप्त है। किसी नई पार्टी के लिए यह बहुत मुश्किल होगा इन सभी दलों की सामूहिक शक्ति का सामना कर सके और यह केवल समय ही बताएगा कि उपेंद्र इसमें कैसे और कितना सफल होंगे।
यह माना जाता है कि करीब 30 साल पहले, महान अभिनेता शंकर नाग जो भारतीय सिनेमा में महानतम दूरदर्शी थे, इन्होंने मलेशिया और सिंगापुर के दौरे किए और वहाँ की मेट्रो रेल प्रणाली का अध्ययन किया। उन्होंने प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट भी प्राप्त किया और मैट्रो की सुविधा बेंगलुरु में कैसे शुरू की जा सकती है, इसके बारे में बात की थी उन्होंने पवन ऊर्जा के बारे में भी पता लगाया तथा इसके बारे में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े और उनके उत्तराधिकारी एसआर बोम्माई से भी चर्चा की थी। दुर्भाग्य से, एक दुर्घटना में शंकर की असामयिक मृत्यु के कारण ये योजनाएं कभी कार्यन्वित नहीं हो पाईं।
उपेंद्र को उनकी विलक्षण बुद्धि के कारण व्यापक रूप से शंकर नाग के उत्तराधिकारी के रूप देखा जा रहा है और यह केवल समय बताएगा कि क्या वह केपीजेपी के लिए कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं या नहीं और रील की कहानी को वास्तविकता में उतार सकते हैं। समय यह भी बताएगा कि क्या केपीजेपी वास्तव में कर्नाटक का ध्यान देने वाली क्षेत्रीय पार्टी है जिसकी कर्नाटक के लोग उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।