हिंदू मंदिरों को किये जाने वाले दान पर अक्सर सवाल उठाया जाता है- “लोग गरीबों को खिलाने के बजाय पैसा मंदिरों में क्यों दान करते हैं?” यह एक सामान्य धारणा है कि मंदिर में दान किये गए सभी पैसे, ब्राह्मण पुजारी की अध्यक्षता वाले मंदिर समिति की जेब में जाते हैं। सामाजिक कल्याण के लिए विभिन्न मंदिरों द्वारा किए गए योगदान के बारे में लोग शायद ही जानते हैं और वे इस तथ्य से अनभिज्ञ हैं कि कई हिंदू मंदिर अनाथालय, वृद्धावस्था गृह, विद्यालय और दवाखाना आदि संचालित करते हैं।
कर्नाटक के उडुपी जिले में कोल्लुर का मुकाम्बिका मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जो कई विद्यालयों को चलाने में मदद करता है। 2007-2008 से 2016-2017 तक, मंदिर ने दो हिंदू विद्यालयों- कल्लाडका में श्री राम विद्या केंद्र और पुंछ में श्री देवी विद्या केंद्र को 2.83 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
दोनों विद्यालय श्री राम विद्या केन्द्र ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं, जिनका संचालन दक्षिण कन्नड़ जिले में आरएसएस के एक कार्यकर्ता कल्लाडका प्रभाकर भट्ट के नेतृत्व में किया जाता है। अनुदान औपचारिक रूप से तब किया गया था जब भाजपा-जद (एस) गठबंधन की सरकार थी। अनुदानित राशि का प्रयोग विद्यार्थियों के दोपहर के भोजन, पाठ्यपुस्तकों और कपड़ों के लिए किया गया था।
मुकाम्बिका मंदिर उडुपी जिले के कुंदापुर तालुक के 7 अन्य विद्यालयों का प्रबंधन करता है, इनमें से एक सरकारी विद्यालय है जबकि अन्य छह गैर-अनुदानित विद्यालय हैं। इस वर्ष, मंदिर ने श्री राम विद्या केंद्र और श्री देवी विद्या केंद्र के अनुदान का विस्तार करने का निर्णय लिया।
हालांकि, कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक राज्य सरकार ने दोनों हिंदू विद्यालयों का मंदिर अनुदान बंद कर दिया। 31 जुलाई 2017 को कर्नाटक सरकार ने दो विद्यालयों का अभिग्रहण रद्द करने का आदेश पारित किया।
आदेश में दावा किया गया है कि हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ दान अधिनियम (एचआरआईसीईए), 1997 के अनुसार, कोई मुज्राई मंदिर किसी भी निजी शैक्षणिक संस्थान को नहीं अपना सकता है। सरकार ने दावा किया कि दान किया जाने वाला धन मंदिर पर बोझ होगा। कर्नाटक राज्य धार्मिक परिषद ने कर्नाटक सरकार का बचाव किया और किसी भी मुज्राई मंदिर के लिए ऐसे अनुदान प्रदान करना अवैध बताया। धर्मिक परिषद के सदस्यों ने निष्कर्ष निकाला कि कदबा सरस्वती विद्यालय सहित ऐसे कई विद्यालयों के लिए धन का अनुदान बंद कर देना चाहिए।
आरएसएस कार्यकर्ता और श्री राम विद्या केंद्र ट्रस्ट के प्रमुख श्री कल्लाडका प्रभाकर भट्ट ने जिला प्रभारी मंत्री बी रामनाथ राय पर उनके विद्यालयों के खिलाफ भेदभावपूर्ण राजनीति खेलने का आरोप लगाया।
अगर हम 1997 के एचआरआईसीईए खंड का विश्लेषण करते हैं तो कर्नाटक सरकार का पाखंड काफी स्पष्ट होता है। अधिनियम में अध्याय III की धारा 7 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विभाग में काम कर रहे सभी लोग हिंदू धर्म को मानने वाले होने चाहिए [खंड से लिंक करें]। हालांकि, विभाग में सात मुस्लिम और ईसाई कर्मचारी थे जो नौकरी का आनंद ले रहे थे जो कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन था। सरकार और धर्मिक परिषद ने समझाया कि मुज्राई मंदिर किसी भी निजी विद्यालय को अनुदान नहीं प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, एक कन्नड़ स्थानीय दैनिक ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें दावा किया गया है कि कतील परमेश्वरी मंदिर से धन को 5 ईसाई निजी विद्यालयों में ले जाया गया।
Heres the Proof! pic.twitter.com/N5b3qUIF88
— Girish Bharadwaj (@Girishvhp) August 23, 2017
मंदिर ने विभिन्न विद्यालयों को 25 लाख रुपये दिए। सीधे मंदिर द्वारा संचालित विद्यालयों को 10 लाख रुपये दिए गए, जबकि 6 अन्य विद्यालयों को 15 लाख रुपये दिए गए। इनमें से कुछ ईसाई विद्यालय थे।
विद्यालयों के नाम इस प्रकार हैं: –
· सेंट एग्नेस स्कूल, मैंगलोर
· सानिध्य आवासीय विद्यालय, मैंगलोर
· लॉयन्स स्पेशल स्कूल, सूरतकल
· सेंट मेरीज़ स्पेशल स्कूल, किनिगोली
· चिस्तराज नवचेतन स्पेशल स्कूल, वेनूर बेलथांगड़ी
· संदीप स्पेशल स्कूल सुल्या आदि।
इसलिए एक ओर सरकार सोचती है कि विद्यालयों के एक समूह के वित्तपोषण के कारण मंदिरों पर भारी बोझ पड़ रहा था, जबकि दूसरी ओर, विद्यालयों के दूसरे समूह को वित्तपोषित करने में मंदिरों पर कोई दवाब नहीं आता। हालांकि, सरकार दावा कर सकती है कि दिव्यांग बच्चों के लिए इन विशेष विद्यालयों को धन मुहैया कराया गया था, लेकिन यह इस तथ्य को नहीं बदलता है कि ये विद्यालय पिछले दो विद्यालयों की तरह ही निजी विद्यालय हैं। नियम सभी के लिए समान होने चाहिए।
श्री राम विद्या केंद्र ज्ञान प्रदान करने के अपने अनोखे तरीके के लिए प्रसिद्ध है। मशहूर अभिनेता गोल्डन स्टार गणेश ने विद्यालय और इसकी मानव मूल्यों एवं संस्कृति पर शिक्षा की प्रशंसा की। श्री राम विद्या केंद्र और श्री देवी विद्या केंद्र विद्यालयों के लगभग 94% छात्र अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों के हैं, जिनमें दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग भी शामिल हैं। मंदिर द्वारा मिल रहे अनुदान की वापसी ने लगभग 4000 छात्रों को प्रभावित किया है। विद्यार्थियों और उनके माता-पिता ने अनुदान वापसी के खिलाफ विरोध किया जो उनके बच्चों को पाठ्यपुस्तकें, यूनिफार्म और सबसे महत्वपूर्ण रूप से दोपहर का भोजन प्रदान करता था। खाली स्टील की थालियां और कटोरे उठाते हुए, छात्रों और उनके माता-पिता ने बी.सी. रोड पर बंतवाल तालुक कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
14 अगस्त को एक ट्विटर उपयोगकर्ता महेश विक्रम हेगड़े ने हैशटैग #भिक्षामदेहि और #जस्टिस फोर कल्लाडका के साथ एक ट्विटर अभियान शुरू किया। कल्लाडका प्रभाकर भट्ट ने घोषणा की थी कि वह बच्चों के भोजन की व्यवस्था के लिए भीख मांगेंगे। इस अभियान में भारी समर्थन मिला और पूर्व केंद्रीय मंत्री जनार्दन रेड्डी ने विद्यालयों का दौरा किया और 26 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का प्रस्ताव किया। 23 अगस्त तक, कई लोगों ने विद्यालय के लिए पैसा दान किया और अभियान ने विद्यालय के बच्चों के लिए 38 लाख रुपये और 5000 किलोग्राम चावल एकत्र किये।
क्या यह “घृणित राजनीति” है?
आरएसएस के कार्यकर्ता का आरोप है कि बी रामानाथ राय “घृणित राजनीति” करते हैं, इसमें कुछ कारण हो सकते हैं। बी रामनाथ राय दक्षिण-कन्नड़ में बंतवाल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। बंतवाल गांव के पुलिस स्टेशन के निकट कुछ अनजान हमलावरों ने सारनाथ मदिवाला नाम के आरएसएस कार्यकर्ता पर हमला किया। बाद में चोटों के कारण सारनाथ की मौत हो गई। सारनाथ के अंतिम संस्कार के दौरान, जुलूस पर पत्थर फेंके गए, जिससे तनाव बढ़ गया। कल्लाडका प्रभाकर भट्ट ने आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या और अपमानजनक कानून व्यवस्था के लिए प्रशासन की भारी आलोचना की। इसके जवाब में, बी रामानाथ राय ने दृढ़ता से कहा कि आरएसएस कार्यकर्ता विद्यालयों को सांप्रदायिकता के कारखानों में परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा था।
मुज्राई मंदिर क्या है?
धार्मिक और धर्मार्थ दान विभाग (डीआरसीई) एक सरकारी विभाग है, जो हिन्दू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ दान अधिनियम (एचआरआईसीईए) द्वारा निहित हिंदू मंदिरों, मठों और धार्मिक संस्थानों का संचालन करता है। उदाहरण के लिए, 2002 में, कर्नाटक सरकार ने 251,000 मंदिरों से 72 करोड़ रुपये एकत्र किए और मंदिरों को 10 करोड़ रुपये लौट दिए। बाकी फंड को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था जिसमें मद्रास के लिए 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता शामिल थी। डीआरसीई कर्नाटक में मुज्राई विभाग के नाम से भी लोकप्रिय है। ऐसे मंदिरो, जो एचआरसीईए के अंतर्गत हैं, को मुज्राई मंदिर कहा जाता है। “मुज्राई” शब्द का आविष्कार शायद टीपू सुल्तान द्वारा किया गया था।
पुरोहितों का वेतन, समिति का चयन, कर्मचारियों की नियुक्ति आदि सभी का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। आवश्यकता पड़ने पर सरकार मंदिर की संपत्ति या भूमि भी बेच सकती है।
चर्चा के अंत में, श्री राम विद्या केंद्र केवल कई गरीब बच्चों को शिक्षा ही नहीं प्रदान करता है, बल्कि जंगली जानवरों जैसे बंदरों, बारहसिंगा, हिरण, साही, मोर आदि की देखभाल भी करता है। यह विद्यालय जंगली घायल पशुओं को भी प्रोत्साहन देता है।