नोटबंदी (विमुद्रीकरण) की घोषणा के बाद के दिनों को याद करें, जब विपक्ष और उदारवादी मीडिया ने अपनी आवाज को बुलंद करके इसका विरोध किया था कि यह सरकार की एक बहुत बड़ी असफलता है, सिर्फ इसलिए क्यूंकि 99 प्रतिशत पैसा बैंकों में वापस आ गया था? सरकार ने इस बारे में कई बातें कहीं कि कैसे वह कालेधन को सफेद धन में बदलेंगे और गरीबों को कई सुविधाएं भी प्रदान करेंगे, लेकिन कोई अन्य क्या स्वयं मोदी समर्थकों ने भी इसपर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। जीएसटी का पहले से ही अनुमानित ख़राब कार्यान्वयन इस बात की पुष्टि थी कि मोदीनोमिक्स देश को बर्बाद करने के रास्ते पर है जिसके परिणामों से हम कभी भी उभर नहीं पाएंगे। आपके लिए एक जानकारी – साल 2018 ऐसा साल होगा जब आपको खुद इसके परिणाम देखने को मिलेंगे।
नोटबंदी ने बैंक में जमा नोटों के के रूप में सरकार को एक मजबूत हथियार दे दिया, जिसे सरकार ने विश्लेषण करके डिपाजिट में अनियमितताओं को जांचने के लिए इस्तेमाल किया। प्रवर्तन निदेशालय और कर विभाग ने आय अनियमितताओं के साथ लगभग 18 लाख लोगों की पहचान की और उन लोगों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया। लेकिन यह पर्याप्त नहीं था क्योंकि इस नोटबंदी ने केवल बैंक डिपाजिट की अनियमितताओं के बारे में ही जानकारी दी थी। जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ, सरकार ने अब कंपनियों के व्यापारिक लेनदेन, उनकी आय और उनके प्रमोटरों और मालिकों की आय के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली है। सरकार एक डाटाबेस बनाने के लिए सूचना के ऐसे मार्ग का पालन करने के लिए काम कर रही है, जिसमें कंपनियों और उनके प्रमोटरों की आय का मिलान जीएसटी रिटर्न के साथ किया जा सके।
यह पहली बार है जब किसी सरकार को इस तरह से बड़े पैमाने पर आयकर दाखिल करने के साथ अप्रत्यक्ष कर का डेटा मिल जाएगा। डेटा के इस क्रॉस-सत्यापन में आय को कम रिपोर्ट करना या खर्च को बढ़ा चढ़ा कर दिखाना मुश्किल हो जाएगा।
आधार कार्ड, बैंक खातों, आयकर रिटर्न और मोबाइल की मदद से सरकार उपयोगकर्ताओं की आय पर नजर रख रही है, उनके खाते में नकदी प्रवाह और संपत्तियों या खर्चों की तुलना उनकी आय और कंपनियों की बैलेंस शीट से कर रही है जिन कंपनियों से वे जुडे हैं और करों से बच निकलने के हर रास्ते को अनिवार्य रूप से बंद कर रही है। यही कारण है कि सरकार इतने कम समय में इतनी सारी फर्जी कंपनियों पर बड़ी कार्यवाही करने और उनके निर्देशकों को इंगित करने में सफल हो सकी।
“प्रॉजेक्ट इनसाइट” सरकार का नया संस्करण है। आपने कभी सोचा है कि गूगल या फेसबुक जैसी बेबसाइटें कैसे आपकी रुचियों से मेल खाने वाले विज्ञापनों को दिखाती हैं? “प्रॉजेक्ट इनसाइट” आपकी ऑनलाइन गतिविधि को ट्रैक करता है। सरकार ने व्यय अनुभाग में ऐसा करने की योजना बनाई है। सरकार आपके व्यय को मॉनिटर करने के लिए डेटा विश्लेषिकी का उपयोग करके वित्तीय डेटा की बारीकी से छानबीन करना चाहती है। इसलिए, यदि आप कहीं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के कोटा के लिए आवेदन कर रहे हैं और उसी समय एक चमकदार नई कार खरीद रहे हैं तो आयकर विभाग को पता चल जाएगा और फिर वे आपसे इसके बारे में प्रश्न पूछेंगे। आयकर विभाग ने पिछले साल “प्रोजेक्ट इनसाइट” के क्रियान्वयन के लिए L&T InfoTech के साथ करार किया था, इसका मकसद कर अनुपालन में सुधार के लिए सूचनाओं को जुटाना है।
कृषि जैसे सुरक्षित क्षेत्रों के लिए यह अच्छा है, जहाँ लोगों को करों का भुगतान करने की जरूरत नहीं है और यह उन लोगों के लिए बेहद बुरा है जो लोग काले धन को सफेद धन में परिवर्तित करने के लिए अक्सर इसका प्रयोग करते हैं। कुछ भू-स्वामी, विक्रेताओं से नकली रसीद प्राप्त करके करों से बचने का प्रयास करते हैं और यह दर्शाते हैं कि वे खेतों में फसलें पैदा करके बाजारों में बेंच रहे हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है क्योंकि ऐसी कोई भी फसल वे पैदा ही नहीं करते हैं। सरकार ने इसकी पहचान करने का एक बहुत ही आसान रास्ता तलाश कर लिया है। आयकर विभाग जमीन पर स्थाई फसल की जाँच करने के लिए इसरो के उपग्रह द्वारा ली गयी छवियों को देख सकता है, जिससे यह पता चल जाएगा कि करदाता करों से बचने की कोशिश कर रहा है या नहीं।
वर्तमान सरकार सिर्फ स्मार्ट ही नहीं बल्कि तकनीक-प्रेमी भी है जिसे यह पता है कि नवीनतम तकनीक का अच्छा प्रयोग कैसे किया जा सकता है। इस प्रकार ईमानदार करदाताओं को अतिरिक्त कर भुगतान से बचाया जा सकता है, क्योंकि कुछ अमीर और चालाक लोग कर भुगतान से बचने का तरीका ढूँढ लेते हैं। आयकर अब एक अपरिहार्य निश्चितता है, लोग इसके लिए जल्द ही अभ्यस्त हो जाएँ वही बेहतर होगा।