जब भी ऐसा लगता है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी अब हार मान चुकी है तभी वो मैदान में किसी न किसी तरीके से वापस आ ही जाते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारी जीत दर्ज करने के बाद भी केजरीवाल को कोई लाभ नहीं मिला और साथ ही अभी हाल ही में मेघालय और नागालैंड में चुनावों में आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली है। इतना कुछ होने के बाद भी आम आदमी पार्टी एक बार फिर से अगले साल हरियाणा में अक्टूबर माह में होने वाले चुनाव में अपनी दूसरी हार की तैयारी कर रही है।
रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य में चुनाव होने के ऐलान के कुछ दिनों बाद ही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने हिसार में मजदूरों को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी। पार्टी ने मजदूरों को आम आदमी पार्टी की रैली में शामिल करने के लिए 350 रुपये, उपहार, भोजन इत्यादि देने की बात कही, इस खबर के लीक हो जाने के बाद से पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। वैसे ये पहली बार नहीं है जब किसी राजनीतिक पार्टी ने लोगों को लुभाने के लिए ऐसे वादे किये हों और पार्टी का लक्ष्य हासिल कर उन्हें खाली हाथ लौटा दिया हो। चुनावी रैलियों में ऐसा होना आम बात है। आम आदमी पार्टी की रैली में शामिल मजदूरों ने कथित तौर पर दावा किया है कि आप के नेता 350 रुपए और खाना देने की बात कर केजरीवाल की रैली में लेकर आए लेकिन रैली समाप्त होने के बाद न तो खाना दिया और न ही पैसे। ये विडंबना है कि जो राजनीतिक पार्टियां खुद को गरीबों का मसीहा बताती हैं वही पार्टियां अपने चुनावी प्रचार के लिए गरीब मजदूरों का उत्पीड़न करती हैं। लोगों को गलत साधनों का लोभ देकर अपनी पार्टी की ओर आकर्षित करना देश की राजनीतिक पार्टियों का एक जरिया बन गया है।
निर्दोष और गरीबों को धोखा देने के बाद भी अरविन्द केजरीवाल अपनी रैली में जनता से झूठे वादे करते रहे हैं। उन्होंने औपचारिक रूप से घोषणा की कि अगले साल होने वाले चुनावों में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा उन्होंने रैली के दौरान प्रतिज्ञा की कि अगले साल राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनायेंगे। साथ ही कहा कि वो राज्य में बड़े बदलाव करेंगे जो पूर्व सरकार करने में विफल रही है। हालांकि, किसी को ये समझ नहीं आया कि वो केजरीवाल के किये वादों पर कैसे भरोसा करे जिसने अपनी रैली के दौरान किये एक छोटे से वादे को ही पूरा न किया हो? जो पार्टी अभी से अपने वादों पर कायम नहीं रह पायी वो भविष्य में अपने वादों को कैसा पूरा करेगी ? दिल्ली में केजरीवाल सरकार द्वारा किये गए कार्य स्वयं ही उनके द्वारा किये गए वादों और कार्यों की पोल खोलता है।
इसमें कोई शक नहीं है कि इस घटना ने पहले ही आम आदमी पार्टी की छवि को एक बड़ा झटका दिया है लेकिन इससे ये तो साफ़ है कि वो दिन दूर नहीं जब आम आदमी पार्टी भारत की राजनीति का सबसे बड़ा मनोरंजन का स्त्रोत बन जाएगी।
वैसे इस घटना ने लालू प्रसाद यादव की रैलियों से जुडी यादों को जरुर ताजा कर दिया है। लालू यादव ने अपने गरीब रैली, जिसे वो रैला कहते थे उसमे कथित तौर पर नकदी, भोजन और शराब, साड़ी और कंबल भारी मात्रा में बांटे जाते थे ताकि उनकी रैली में ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो सकें। वह लगभग अपनी हर रैली में भीड़ एकत्रित करने के लिए ऐसे लुभावन तरीके इस्तेमाल किया करते थे। लगता है आज केजरीवाल भी वही करने की कोशिश कर रहे हैं जो लालू यादव दो दशक पहले किया करते थे हालांकि वो केजरीवाल से इस मामले में बेहतर जरुर थे। क्योंकि ना उनके रैलियों से भीड़ कम हुई ना ही किसी मजदूर ने पेमेंट नहीं मिलने की शिकायत की!
आम आदमी पार्टी का उदय एक आंदोलन से हुआ था जिसका लक्ष्य था देश को भ्रष्टाचार की राजनीति से मुक्त करना। हालांकि बीतते समय के साथ इस पार्टी ने अपना असली रंग दिखा दिया। पार्टी द्वारा देश की राजनीति को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का वादा भी एकमात्र दिखावा ही था। जरा गौर करें तो पाएंगे कि जो पार्टी देश की राजनीति को भ्रष्टाचार मुक्त करने के मकसद से वजूद में आयी वही पार्टी भ्रष्टाचार में लिप्त हो गयी। चुनाव से पहले ही पार्टी पर शैल कंपनियों से पैसे लेने के आरोप लगे, बाद में उत्पीडन से लेकर सैक्स सीडी तक, दंगा भड़काने से लेकर नकली डिग्री तक, पार्टी के विधायकों पर तरह तरह के आरोप लगते रहे। जब सवाल किये गए तो पार्टी और उसके नेता (जो मुख्यतः एक ही चेहरे हैं) सभी ने इसपर चुप्पी साध ली। सच तो ये है कि आम आदमी पार्टी खुद जो अवैध तरीके से धन अर्जित करती है उससे बाहर निकालने का वादा जरुर कर सकती। खैर, आम आदमी पार्टी जनता की उम्मीद बनकर तो उभरी थी लेकिन आज यह पार्टी उसी मकसद में लिप्त है जिससे जड़ से खत्म करने का वादा किया था।