कठुआ में एक मासूम बच्ची दरिंदगी का शिकार हुई जिससे देश में आक्रोश भरा है लेकिन देश की राष्ट्रीय मीडिया का रवैय्या इस मामले में बिलकुल भी सही नहीं था। देश की मीडिया और लोगों ने पीड़िता की फोटो का बार बार कई जगहों पर इस्तेमाल किया। ये अनैतिक, अवैध और असंवेदनशील है जो वामपंथी-लिबरल और मीडिया में उनके सहयोगी द्वारा जानबूझकर किया गया। इस मामले को धर्म से जोड़कर दिखाया गया जिससे हिंदू-मुस्लिम के बीच संघर्ष बढाने की कोशिश की गयी।
इस शर्मनाक घटना में पीड़िता व दोषी का नाम बार-बार कई रिपोर्ट्स और समाचारों में इस्तेमाल किया गया। आपको दिल्ली का निर्भया रेप मामला तो याद ही होगा जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था, जिसके बाद ही रेप विरोधी विधेयक लाया गया था। आज भी हमारे देश के कई लोग ऐसे हैं जो निर्भया मामले में पीड़िता के असली नाम से अवगत नहीं हैं, सिर्फ दोषियों का नाम और चेहरा ही उन्हें पता है, लेकिन आज के कोई भी समाचारपत्र या मैगज़ीन या टीवी चैनल्स को देखें तो पाएंगे कि कठुआ मामले से जुडी बारीक जानकारियाँ भी सार्वजनिक की गयी है और हमें यकीन नहीं होता कि ये मात्र एक सयोंग है।
राष्ट्रीय मीडिया और हिंदू-विरोधी लोगों ने धड़ल्ले से बच्ची व दोषियों का नाम, धर्म और तस्वीरों का इस्तेमाल किया और इस जघन्य अपराध को सांप्रदायिक कोण देने की भरपूर कोशिश की। रेप और हत्या की वारदात को तो सभी ने दिखाया साथ इस मामले को एक अपराध से ज्यादा हिंदू-मुस्लिम धर्म से जोड़कर दिखाया। मामले में मुस्लिम पीड़ित थे और हिंदू दोषी थे। बस मीडिया को धार्मिक कट्टरवाद ही तो चाहिए था और इसका उसने भरपूर इस्तेमाल भी किया।
औसत तौर पर हिंदू या मुस्लिम इस रेप की वारदात की निंदा करते लेकिन मामले को धार्मिक कोण के साथ दिखाने की क्या जरूरत थी? 8 साल की लड़की के साथ रेप और हत्या की घटना को मात्र एक घटना के रूप में क्यों नहीं देख सकते? इसका जवाब मीडिया के पास ही है जो लम्बे समय से हिंदू को एक आतंकी के रूप में दिखाती आई हैं और अपने हिंदू विरोधी एजेंडे को मजबूत करने के लिए मीडिया ऐसा करती है।
बॉलीवुड के कुछ मंद दिग्गज भी ‘बौद्धिक’ मीडिया के समूहों और सांप्रदायिक तत्वों के साथ जुड़ गये। अचानक बॉलीवुड ने पीड़िता को समर्थन देने के लिए ‘हिंदुस्तान’ शब्द का प्रयोग क्यों किया? उन्होंने पहले की तरह ही इस मामले में भी देश को संबोधित करने के लिए भारत शब्द का प्रयोग क्यों नहीं किया? क्यों यही नाम उन्होंने आज चुना? क्या ये नाम सिर्फ 8 दोषियों के कृत्यों के लिए देश के सभी हिंदुओं को लक्षित करने के विचार से इस्तेमाल किया गया? क्या ये नैतिक रूप से सही है ?
लेकिन क्या उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है ? बॉलीवुड के दिग्गज सितारों ने इस मामले में बहुत तेजी से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की, क्या इसमें उनका सच में कोई दोष है यदि उन्हें 2 महीने से अधिक समय बाद इस घटना के बारे में पता चला? पीड़िता के प्रति उनकी प्रतिक्रिया पर व्यंग्य नहीं कसना चाहिए, बॉलीवुड कभी कभी ही तो फिल्म के क्षेत्र से बाहर की घटनाओं से अवगत होने का दावा करता है। आख़िरकार, कैमरे के फ़्लैश और चमक दमक से किसी की भी आँखें प्रभावित हो सकती हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा दिल्ली और केरल में एसएफआई के सदस्यों की प्रतिक्रिया ने चकित किया। एसएफआई के सदस्यों ने इस मामले को अपने हाथों में ले लिया और केरल के मंदिरों में तोड़-फोड़ की। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में आठ साल की पीड़िता के इंसाफ की मांग कर रहे लोगों द्वारा दक्षिणी केरल में स्थित मंदिरों में तोड़-फोड़ की जिससे ये तो जाहिर हो गया कि कैसे साम्यवादी और जिहादी आज की आधुनिक दुनिया में काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर नकारात्मक रूप से तस्वीरों में हिंदू देवी देवताओं को दिखाया गया और लोगों ने इसे धडल्ले से साझा भी किया।
वैधानिक चेतवानी: आप इन तस्वीरो को देख कर आहत हो सकते हैं, ये मात्र सत्य को दिखाने के लिए इस्तेमाल किया है
एक ऐसी खबर जिसे एक हत्या और रेप की घटना की जगह मीडिया ने सांप्रदायिक कोण दिया उसे क्या कहना चाहिए? हाँ, दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इस मामले से जो स्पष्ट सन्देश निकलता है वो ये है कि भारत में बलात्कार और बलात्कारी को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन क्या ऐसे मामलों के सामने आने पर हिंदू को अपराधी के तौर पर चित्रित करना चाहिए? क्या ये सही है कि जब भी कोई अपराध हो तब पूरे समूह या देश की आलोचना की जाए ?
Hindu temple in Vakkad in Tanur, Malappuram district of Kerala was vandalised by Jihadis.
Whats happening in Muslim majority areas is full fledged Jihad against Hindus, not mere protest about the murder in Kashmir.#ReclaimTemples pic.twitter.com/mpZYspz4cB
— Reclaim Temples (@ReclaimTemples) April 16, 2018
Hindu temples are being attacked and vandalised in Kerala by those protesting the murder of Asifa in Kashmir.
Hindus are facing full fledged jihadi terrorism against their beliefs, lives and livelihood.#ReclaimTemples pic.twitter.com/Rg9UDJRLYW
— Reclaim Temples (@ReclaimTemples) April 16, 2018
आतंकवादी घटनाओं के समय यही मीडिया उस आतंकवादी समूह और उनके धर्म से जुडी पहचान को छुपाने की कोशिश करती है तो उन्हें ये किसने अधिकार दिया कि वो हिंदू की भावनाओं को चोट पहुंचा सकें?
https://youtu.be/JevM8gQiq6o
बॉलीवुड, वाम मीडिया और वामपंथी संगठनों का आक्रोश जनता की प्रतिक्रिया से अलग था। वो लगातार मामले को तूल देने और फिर इससे नया मुद्दा बनाने की कोशिश में लगे हुए थे।
These are the same hypocrites who refused to call it Hindustan. Now the same gang calling India as Hindustan just to defame Hindus and Temple.
Shame on you gang.I urge in #Asifa case in #Kathua#CondemnRapeNotTemples pic.twitter.com/3ba1W83caK
— Chiru Bhat | ಚಿರು ಭಟ್ (@mechirubhat) April 14, 2018
देश के हर नागरिक को चाहे वो हिंदू, मुस्लिम या ईसाई ही क्यों न हो उन्हें इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की इस हरकत का विरोध करना चाहिए। इस घटना की रिपोर्टिंग और न्याय की मांग करने वाले लोगों के तरीकों को उनके दोहरे चरित्र के रूप में लिया जाना चाहिए जो इस मुद्दे को सांप्रदायिक कोण देने में लगे थे।
एक हिंदू या भारत अथवा हिंदुस्तान का नागरिक होने के नाते हम आपसे अनुरोध करते हैं कि अपनी आवाज इस अपराध के खिलाफ उठाएं साथ ही इस मामले में दोषी की आलोचना करें और कठुआ की मासूम बच्ची के लिए न्याय की मांग करें। इसे सांप्रदायिक कुश्ती का अखाड़ा ना बनाएं!