भारतीय वायु सेना की ओर से चलाये जा रहा युद्धाभ्यास पूरे विश्व और कुछ अप्रत्याशित क्वार्टरों द्वारा सराहा जा रहा है। गगन शक्ति भारतीय वायुसेना का सबसे नया युद्धाभ्यास है और अभी तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास भी है । भारतीय वायुसेना अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और संचालन क्षमताओं को प्रदर्शन कर रही है। ये युद्धाभ्यास सैन्य की शक्ति प्रदर्शन को बढाने और जहां कोई कमी है उसमें सुधार करने के मकसद से किया जा रहा है।
ये युद्धाभ्यास भारत और चीन के सीमावर्ती क्षेत्र में किया गया, लेकिन आश्चर्य की बात है कि चीनी मीडिया ने अनिच्छा के साथ ही सही लेकिन भारतीय वायुसेना की क्षमताओं की प्रशंसा की। चीन में, मीडिया रिपोर्ट्स सरकार द्वारा सत्यापित की जाती है और ऐसे में मीडिया की कोई भी टिप्पणी इस मामले में राज्य के दृष्टिकोण को दिखा सकती है। प्रमुख समाचार एग्रीगेटर Zhaizao की एक रिपोर्ट में मुश्किलों के बावजूद युद्धाभ्यास के सफलतापूर्वक परिणामों की घोषणा की और सिर्फ यूएस जैसे ही कुछ ऐसे देश हैं जिन्होंने इस तरह के वायु सेना के युद्धाभ्यास में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने ये भी दावा किया कि रूस की तुलना में गगन शक्ति युद्धाभ्यास में करीब 1100 विमानों-हेलीकॉप्टर शामिल थे और भारत ने अपनी आसमानी ताकत और अपनी युद्ध की क्षमताओं को प्रदर्शित किया है जिसके बाद चीन को भारत की ताकत का एहसास हो गया होगा।
भारत के सुखोई-30, एमकेआई, मिग-21, मिग-29, मिग-27, जगुआर, नेवी मिग-29 केएस, एलसीए फाइटर सहित कई विमानों-हेलीकॉप्टरों ने हिस्सा लिया और संकेत मिले हैं कि ये बड़ा युद्धाभ्यास तीन चरणों आर्मिंग-डिटेक्शन- रिफ्यूलिंग में चलेगा और इसे ‘पिछले दस सालों में हुए विकास परिणामों का प्रदर्शन’ कहा जा रहा है।
गगन शक्ति पर टिप्पणी करते हुए पूर्व एयर वाइस मार्शल, आईएएफ कपिल काक ने कहा-
“जटिलता, समय सीमा, भूगोल और प्राकृतिक पैमाने पर ये सक्रीय वायुसेना का लड़ाकू मशीन है, गगन शक्ति 2018 महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि इसमें अलग अलग विमानों जोकि भारी और हल्के होने के साथ आईएएफ संपत्तियों की पूरी श्रृंखला का उपयोग किया जा रहा है। ये स्पष्ट रूप से ‘तेज, तीव्र और संक्षिप्त‘ टू फ्रंट संघर्ष को बढ़ाना है । ये सिर्फ एक अभ्यास नहीं बल्कि वास्तविक युद्ध का अनुकरण हैं।”
इस रिपोर्ट से ये तो स्पष्ट हो गया कि चीन कहीं न कहीं भारतीय वायुसेना की क्षमता और ताकत को देखकर आश्चर्यचकित है और स्वाभाविक है कि इससे चीन के मन में थोड़ा डर जरुर भर गया होगा। भारत अपनी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताओं का अधिग्रहण और निर्माण कर रहा है जिसमें लॉजिस्टिकली और टेक्निकली दोनों ही क्षमताओं पर जोर दिया जा रहा है। ये धीमी लेकिन स्थिर क्षमता का निर्माण है जिसने चीन को कुछ हद्द तक परेशान कर दिया है जो कहीं न कहीं ये सोचता है कि वो भारत की रक्षा क्षमताओं को कम कर देगा।
मंदारिन से अनुवाद की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है, “हम इन वर्षों में भारत की प्रगति की पुष्टि नहीं कर सकते हैं। 2008 में, भारतीय सेना ने अपनी घोषणा में कहा था कि घरेलू सुखोई-30 एमकेआई की परिचालन उपलब्धता दर केवल 50 प्रतिशत थी, और 10 साल बाद ये 90 प्रतिशत तक पहुंच गयी, इसे प्रेषित किया जा सकता था, इससे पता चलता है कि भारतीय सैन्य ने रखरखाव कार्य और अन्य क्षमताओं पर जोर दिया है।”
ऐसा कहा जाता है कि केवल जनशक्ति के आधार पर कोई युद्ध नहीं जीता जा सकता और ये सही भी है और युद्ध को जीतने वाली आवश्यक आपूर्ति जब जवानों को दी जाती है तब युद्ध की क्षमता बढ़ जाती है। इसीलिए ये हर राज्य के लिए जरुरी हो जाता है कि उसके पास बहुत संगठित उपकरण हो जो किसी भी वक्त युद्ध के लिए तैयार रहे। तथ्य ये है कि लगभग 10,000 ज़मीनी एक साथ काम कर रहे हैं और 3,000 से अधिक वायु विमान की योजना बनाई जा रही है। इससे ये तो साफ़ है कि भारत जिस प्रभावशाली तरीके से अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ा रहा है उससे हमारे प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बनाने में और कामयाबी हासिल हो सकेगी। रिपोर्ट ने भारतीय वायुसेना की योग्यता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि – “ये दिखता है कि आईएएफ ने एक पूर्ण लॉजिस्टिक प्रणाली स्थापित की है”।
गगन शक्ति का मुख्य उद्देश्य आईएएफ की योग्यता का मूल्यांकन करना था जोकि “छोटा, तीव्र और तेज़” है। जैसा की भविष्य में होने वाले युद्ध छोटे और तीव्र होने की सम्भावना है क्योंकि दुनिया अब तकनीकी रूप से काफी आगे बढ़ चुकी है और समय के साथ ये और भी ज्यादा बहु-ध्रुवीय बन रहा। लम्बे और महंगे युद्ध की अवधारणा अब समय के साथ खत्म हो रही है। आईएएफ ने दुनिया को दिखाया कि भारत किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।