आतंकियों की जन्मभूमि और अन्य आतंक की गतिविधियों के देश पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार अक्सर ही आवाज उठाती आयी है। ये आवाज अक्सर दक्षिण दुनिया में अनसुनी रह जाती थी। ये स्थति तब बहुत तेजी से बदली जब डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने। 2018 के फरवरी महीने में पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की हुई बैठक में एक विधेयक के तहत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय आतंकी फंडिंग करने वाले देशों की निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में शामिल किया गया था, जोकि आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नियंत्रण करने में नाकाम रहा है। यह विधेयक अमेरिका ने सामने रखा था जिसका ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने समर्थन किया था, सऊदी अरब के द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देने पर अमेरिका नाखुश था और अंत में इस विधेयक को पास कर दिया गया। सऊदी अरब के अलावा चीन और तुर्की ही दो ऐसे देश हैं जिन्होंने शुरुआत में इस विधेयक का विरोध किया था ।
आतंकवाद पर काबू पाने में नाकाम पाकिस्तान को सजा देने के लिए अमेरिका के सख्त रुख को देखते हुए पहले इस विधेयक के खिलाफ रहे चीन ने अपने कदम पीछे खींच लिए जबकि सऊदी अरब अपनी बात पर कायम रहा। इस विधेयक के पास होने के बाद से अब पाकिस्तान को पश्चिमी कंपनियां व्यापार और निवेश के लिए अनुकूल नहीं मानेंगी और पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उधार लेना और भी कठिन हो गया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहले ही ऐलान किया था पाकिस्तान को दी जाने वाली 2 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता राशि पर रोक लगा दी गयी है जिसका वादा अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए सहायता देने के तौर पर किया था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के अपमान के बाद पाकिस्तान को 1 अप्रैल को एक और झटका लगा है और इस बार दुबई के एक उच्च पदाधिकारी द्वारा पाकिस्तान को अपमानित होना पड़ा। दुबई के डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धाही खल्फान ने अपने अधिकारिक ट्विटर अकाउंट से पाकिस्तान के पूरे कार्यबल को अपमानित करते हुए लिखा, “पाकिस्तानी खाड़ी समुदायों के लिए एक गंभीर खतरा है क्योंकि वे हमारे देश में ड्रग लेकर आ रहे हैं”, ये ट्वीट यही नहीं रुका बल्कि उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर भारतीय श्रमिकों को उच्चस्तरीय का बताया वहीं पाकिस्तानियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये देश से निष्कासन के योग्य हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा, “हमने देखा है कि पाकिस्तानी हमारे खाड़ी देशों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं”, अपने दुसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, “क्यों भारतीय अनुशासित हैं ? जबकि पाकिस्तानी समुदाय में अपराधी और तस्कर बड़े पैमाने पर हैं।”
दुबई के एक महत्वपूर्ण पद को धारण करने वाले धाही खल्फान अपने साहसिक और तेज तरार आवाज के लिए जाने जाते हैं। यह बयान दुबई के अधिकारियों द्वारा ड्रग और तस्करी करने वाले पाकिस्तानी गिरोह के पकड़े जाने के बाद सामने आया है। पाकिस्तानी समुदाय खाड़ी देशों में सबसे बड़े प्रवासी हैं और पाकिस्तानी नागरिक यहां व्यासायिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पदों को धारण करते हैं, जबकि वह कुशल मजदूरों के रूप में भी कार्यरत हैं। इस तरह की टिप्पणी और एफएटीएफ विधेयक से पाकिस्तानियों के गिरते मनोबल पर जोदार प्रहार हुआ है। पाकिस्तान सरकार को अब अपनी नीतियों में बदलाव कर उनकी सरजमीं पर पलते इस्लामिक संगठनों से निपटने के लिए बड़े बदलाव करने चाहिए। यदि इस पर तुरंत कदम नहीं उठाये गए तो पहले से गिरती पाकिस्तान की साख और बदतर हो जाएगी। ऐसे में वो समय दूर नहीं जब पाकिस्तान का नागरिक ही अपने देश के प्रति बनी छवि की वजह से अपने देश से जुड़ना नहीं चाहेगा।