ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजू जनता दल (बीजेडी) संकट की स्थिति से जूझ रही है। कहा जा रहा है कि ये संकट की स्थिति पार्टी के नेताओं पर तमिलनाडु के एक 2000-बैच के आईएएस अधिकारी, बी कार्तिकेयन पांडियन की मनमानी की वजह से उत्पन्न हुई है। वो 2011 से मुख्यमंत्री पटनायक के निजी सचिव हैं। मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में सचिवालय में शामिल होने से पहले वो पटनायक के गृह जिले के गंजम में कलेक्टर के रूप में कार्य कर चुके हैं। बी कार्तिकेयन पांडियन के प्रशासनिक मामलों में बढ़ते हस्तक्षेप की वजह से उन्हें आजकल सुपर सीएम कहा जा रहा है। इन्हें ‘तीसरी मंजिल’ के डर (उनका कार्यालय राज्य सचिवालय की तीसरी मंजिल पर है) के रूप में भी संदर्भित किया जा रहा है। पांडियन से न केवल साथी नौकरशाह बल्कि कैबिनेट मंत्री भी डरते हैं। समाचार रिपोर्टों की मानें तो उनके कार्यालय के बाहर कैबिनेट मंत्रियों ने उनसे बातचीत करने के लिए लाइन लगा रखी है। यहां तक कि पार्टी के नेता भी उनके उपर अच्छा प्रभाव डालने की कोशिश में लगे हैं और शीर्ष नौकरशाह राजनीतिक रूप से पांडियन से निर्देश ले रहे हैं।
ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कैसे एक नौकरशाह निर्वाचित नेताओं पर अपनी इच्छा थोप रहा है। ओडिशा मामले की स्थिति को देखते हुए तो यही लगता है कि बी कार्तिकेयन पांडियन सीएम नवीन पटनायक के साथ अपनी करीबी का बहुत आनंद उठा रहे हैं। हालांकि पार्टी के कई नेताओं ने जब पांडियन के खिलाफ जंग शुरू करने की कोशिश की तो उन्हें इस संघर्ष के खिलाफ कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ा। पांडियन नवीन पटनायक के करीबी हैं और यही वजह है कि वो उनपर भरोसा करते हैं साथ ही उनके प्रति सम्मान की भावना भी रखते हैं। पांडियन के लिए वो अपने पार्टी के नेताओं के खिलाफ भी जाने के लिए तैयार हैं।
पार्टी के बीच ये दरार तब खुलकर सामने आई जब केंद्रापड़ा निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य जे पांडा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आधार पर बीजेडी से निलंबित कर दिया गया। दरअसल, जय पांडा को पांडियन के बढ़ते अधिकार के खिलाफ जाने के बाद ही बर्खास्त किया गया था। जय पांडा ने शक्तिशाली नौकरशाह के खिलाफ लगाये गये आरोपों का नेतृत्व किया था और इसके अलावा पार्टी और राज्य प्रशासन के मामलों में प्रभारी पांडियन के दखल का विरोध किया था। जय पांडा पार्टी के निष्ठावान नेता रहे हैं और 1977 बीजेडी के गठन के बाद से ही वो पार्टी से जुड़े हैं। तथ्य ये है कि जय पांडा जब उनके नौकरशाह पांडियन के विरुद्ध गये तो सीएम नवीन पटनायक ने तेजी से कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया और ये निलंबन राज्य में पार्टी की स्थिति का एक उदहारण है।
A lone woman detained for wanting to protest outside the home of Pandian, yet police doing nothing to control mob of violent protestors who have surrounded a company employees' colony in S.Odisha, with hundreds of families, women & children now trapped for 4 days!
(chk TL below) https://t.co/7smBnIMp81— Baijayant Jay Panda (Modi Ka Parivar) (@PandaJay) April 26, 2018
True. I'm ready to face any political opposition, but violent non-local protestors confining women & children inside their housing complex (today is the 5th day!), with police & district administration refusing to intervene. It's sickening. & tragic that national media ignores… https://t.co/2hV7nOD9OI
— Baijayant Jay Panda (Modi Ka Parivar) (@PandaJay) April 27, 2018
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, जो पहले से ही राजनीतिक पर्यवेक्षकों द्वारा अनिच्छुक पार्टी नेता और प्रशासक के रूप में प्रसिद्ध हैं वो पांडियन पर कुछ ज्यादा ही निर्भर रहते हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने पूरी तरह से पार्टी और प्रशासनिक शक्तियों को भरोसेमंद नौकरशाह के हाथों में सौंप दिया है, जबकि वो खुद निजी आकर्षण और लोकप्रिय योजनाओं की सहायता से मतदाताओं को लुभाने में व्यस्त हैं।
बीजेडी पार्टी में ये दरार न सिर्फ जय पांडा और पांडियन की वजह से बढ़ी है बल्कि पार्टी के अन्य नेताओं द्वारा उठायी गयी आवाज़ों की वजह से भी बढ़ी है। सभी अप्रत्यक्ष रूप से पांडियन के पार्टी मामलों में बढ़ते दखल और निर्वाचित नेताओं पर अधिकार स्थापित करने का विरोध कर रहे हैं। दरअसल, जो भी पांडियन के पार्टी के मामलों में बढ़ते दखल के खिलाफ आवाज उठाता है उसे सीएम नवीन पाठक दंडित करते हैं, हाल ही में रायगढ़ के ठेरुबली के इंडियन मेटल्स एंड फेरो अलॉयज लिमिटेड प्लांट में हुई हिंसा इस बात की पुष्टि करती है। हिंसक विरोधों में कई परिवारों को बंधक बना लिया गया, हालांकि, सरकार विरोध प्रदर्शन पर चुप रही। इसलिए मासूम परिवार गंदी राजनीतिक का शिकार हो गये। पुलिस ने मुख्यमंत्री के निजी सचिव के आधिकारिक निवास के सामने धरना प्रदर्शन की कोशिश करने वाली एक महिला को गिरफ्तार किया था, वहीं इस मामले में बी कार्तिकेयन पांडियन ने इस गंभीर स्थिति पर कोई भी कदम उठाने से इंकार कर दिया। इस बीच, जिला जनजातीय संघ ने हिंसक विरोधों की निंदा की और दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा विरोध प्रदर्शन किये गये थे। ये दावे भाजपा नेता जयराम पंगी द्वारा पार्टी पर लगाये गये आरोपों को और मजबूत करता है कि विरोध “तीसरी मंजिल” (पांडियन) की वजह से है। कर्मचारियों की कॉलोनी में सैकड़ों महिलाओं और बच्चों को हिंसक प्रदर्शनकारियों की हिंसा से बचाने में सरकार की निष्क्रियता सामने आई थी और सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों को समर्थन देने के भी संकेत मिले थे।
Another 'third floor' critic.
How many more will speak up? https://t.co/IYDkXiEfpc— Pratyasha Rath (@pratyasharath) April 27, 2018
ओडिशा के मुख्यमंत्री के कार्य करने का तरीके से नौकरशाहों का प्रशासनिक मामलों में बढ़ता हस्तक्षेप अब सामने आ गया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने पहले ही संकेत दे दिया है कि उन्हें प्रशासन और पार्टी के काम में कोई दिलचस्पी नहीं है जो अपने कार्यो की गति के लिए नौकरशाहों पर निर्भर है। या यूं कहें कि एक सेवारत नौकरशाह को पार्टी के मामलों में दखल देने और यहां तक कि लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित नेताओं को चुनौती देने की छूट दी गई है। गौर हो कि जय पांडा बीजेडी के शीर्ष नेताओं में से एक हैं फिर भी पांडियन को बचाने के लिए उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया जोकि यही दर्शाता है कि पटनायक नौकरशाह पर अधिक निर्भर होने के कारण सही व्यक्ति को अहमियत देने में सक्षम नहीं रहे। ये बीजेडी में एक अपरिवर्तनीय विभाजन को जन्म देगा। ऐसे में हो सकता है कि ये हालात बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए एक सुनहरा मौका साबित हो, ऐसे में वो पूर्वी राज्य में अपनी सत्ता बनाने के मौके को हाथ से नहीं जाने देंगे।