पिछले कई वर्षों से भारतीय रेलवे पटरी से उतरने जैसी दुर्घटनाओं के प्रति अतिसंवेदनशील रहा है जिससे उसकी छवि को झटका भी लगा है। अब ऐसा लगता है कि भारतीय रेलवे वापस पटरी पर आ गयी है। पियूष गोयल के मुताबिक रेलवे ने अभी तक के सर्वोत्तम सुरक्षा रिकॉर्ड के लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हुई है। वास्तव में यह पहली बार हुआ है जब रेलवे दुर्घटनाओं की संख्या दो अंकों तक सिमट गयी है, देशभर में 73 रेल दुर्घटनाएं हुईं हैं। रेलवे दुर्घटनाओं में 29 फीसदी की कमी दर्ज की गई है, जारी आंकड़ों के मुताबिक 30 मार्च तक देशभर में 73 रेल दुर्घटनाएं दर्ज की गयीं हैं जो वर्ष 2016-17 में 104 थीं।
दुर्घटनाओं को लेकर भारतीय रेलवे का रिकॉर्ड बहुत बुरा रहा है।1968-69 में पहली बार रेल हादसों के आंकड़े तीन डिजिट तक पहुंच गये थे। तबसे तीन डिजिट आदर्श आंकड़े थे । 1980-81 में ये आंकड़ा एक बार फिर 1,073 दुर्घनाओं के साथ चार अंकों में पहुंच गया था जो अपवाद है।
पिछले साल एक ही समय में कुल रेल हादसों में कमी भी दर्ज की गयी थी जोकि 68 से नीचे की 39 पर पहुंच गया था। उसी दौरान मानव रहित क्रॉसिंग पर दुर्घटनाओं की संख्या 15 से 8 दर्ज की गयी। ये आंकड़े बताते हैं कि रेलवे प्रशासन सुरक्षा में हर तरह से भारी सुधार किये गए हैं।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने इस उपलब्धि पर प्रकाश डाला है। उनके मुताबिक, रेलवे प्रशासन ने हर जगह सुरक्षा को सुधारने पर जोर दिया है और अब एक स्वैच्छिक रिपोर्टिंग प्रणाली बनाई गयी है जो हर रेलवे कर्मचारी को भारत में कहीं भी अज्ञात रूप से सुरक्षा संबंधी चूक की रिपोर्ट करने का अधिकार देती है। अधिकारियों की ओर से इस सक्रियता से रेल दुर्घटनाओं की संख्या में तेजी से कमी आयी है। रेल मंत्री पीयूष गोयल और बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी इस ममाले में बहुत ही सावधानी से आगे बढ़े और जरुरी सुरक्षा बदलाव किये। जिसमें सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है, कभी-कभी कई क्षेत्रों में गति प्रतिबंध या अन्य वजहों से अस्थायी रूप से सुधार कार्य प्रभावित भी हुए।
लगता है रेलवे में सुधार प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। यह वही रेलवे है जो पिछले कुछ साल पहले पटरी से उतरने और अन्य घटनाओं की वजह से यात्रा के लिए ‘असुरक्षित’ के तौर पर देखा जाता था। गति और आराम बहुत जरुरी है, लेकिन ऐसा लगता है कि पियूष गोयल के लिए अन्य कारकों से ज्यादा सुरक्षा सबसे अहम है। Rightlog.in ने पिछले हफ्ते एक कहानी साझा की थी कि कैसे मंत्रालय जल्द ही ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऑफ रोलिंग (OMRS) तकनीक को लागू करंगे, वह तकनीक जिसमें माइक्रोफोन और सेंसर होंगे जो कोच और लोकोमोटिव से उत्पन्न शोर को रिकॉर्ड करेगा जब वह पटरियों पर दौड़ेगी और कंट्रोल रूम किसी भी खामी की आशंका को दर्ज करलेगा। इससे पहले रेलवे मंत्रालय ने सेंटर बफर कपलिंग (CBC) की स्थापना को मंजूरी दे दी है, यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में कोच एक दुसरे पर न चढ़े। इससे साफ़ है कि किसी भी मुश्किल स्थिति को संभालने के लिए रेल प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है और यह जल्द ही इसके परिणाम सबके सामने भी होंगे।