2018 की शुरुआत में ही बीजेपी ने कम्युनिस्ट के चुंगल से त्रिपुरा को आजाद कर अपनी सत्ता कायम की। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने त्रिपुरा पर 25 वर्षों तक शासन किया और उसके शासन के दौरान राज्य में रोजगार अवसर भी कम होते गये। राज्य में संसाधनों की कमी और खराब प्रशासन के साथ सरकार के कुप्रबंधन ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी कि त्रिपुरा के युवाओं को आदर्श जीवन जीने के लिए अपना घर तक छोड़ना पड़ा था। जब बिप्लब देब ने 9 मार्च, 2018 को त्रिपुरा में सीएम पद की शपथ ली थी तब उनके सामने समस्याओं की एक लंबी सूची प्रस्तुत की गई थी। वह समझ गए कि सभी उपयुक्त उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियां देना कठिन होगा। नौकरशाही और राज्य मशीनरी की समस्याओं का सुधार करने में थोड़ा वक्त लगेगा। हालांकि, वामपंथी मीडिया और विपक्षी उन्हें पिछली सरकार द्वारा उत्पन्न की गयी समस्याओं को सुलझाने के लिए वक्त नहीं देना चाहते। जिसके बाद मीडिया और विपक्ष ने बिप्लब पर हमले के लिए उनके बयानों पर निशाना साधना शुरू कर दिया। अब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गये उनके एक बयान पर निशाना साधा जा रहा है। दरअसल, उन्होंने अपने बयान में युवाओं को डेयरी और पोल्ट्री खेती में शामिल होने की बात कही थी।
अगरतला में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में बिप्लब देव ने त्रिपुरा के युवाओं से गायों, मुर्गी और सूअरों के पालन में शामिल होने के लिए कहा था। उन्होंने युवाओं से ग्रामीण विकास के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया था। उन्होंने युवाओं को सरकारी नौकरी प्राप्त करने की उम्मीदों पर कहा कि उन्हें बैंकिंग की बजाय आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए। दरअसल, बिप्लब देब अपने इस बयान से ये बताने की कोशिश कर रहे थे कि किसी भी देश का कोई भी राज्य अपने सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी नहीं दे सकता। वो वास्तव में त्रिपुरा के युवाओं के लिए सफल होने का उद्यमी मार्ग दिखाने की कोशिश कर रहे थे। बिप्लब देब के बयान को मीडिया ने तोड़-मोड़ कर पेश किया और इसका मज़ाक भी उड़ाया। मीडिया ये भूल गयी कि उनके अपने ही राजनीतिक सहयोगी थे जिनकी वजह से रोजगार के अवसर में कटौती हुई थी। जबकि लेफ्ट बिप्लब देब का उपहास करने में व्यस्त थी और बिप्लब त्रिपुरा को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य में व्यस्त थे लेकिन अब उनके समर्थन में अमूल डेयरी के एमडी आरएस सोढ़ी आ गए हैं।
It's a very practical and logical idea as Tripura is importing crores of Rs milk from other states including Gujarat . A youth can earn RS 6-7 lacs per annum by rearing 10 cows or buff by taking loan from banks , in Gujarat more than 8000 such farms . R S Sodhi AMUL
— R S Sodhi (@Rssamul) April 30, 2018
अमूल डेयरी के एमडी आरएस सोढ़ी ने बिप्लब देब के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, लोगों में ये गलत धारणा है कि सिर्फ अनपढ़ लोग ही डेयरी फार्मिंग करते हैं क्योंकि इसमें गोबर की सफाई और जल्दी उठने जैसी चीजें शामिल हैं लेकिन अब ये फार्मिंग भी आधुनिक और मशीनीकृत हो गई है। ये बहुत ही आकर्षक और स्थिर व्यवसाय है। गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) जो अमूल का सर्वोच्च संगठन है, आधुनिक डेयरी फार्मिंग का बेहतरीन उदाहरण है। जिसका कारोबार 4 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक रहा है, ये डेयरी फार्मिंग की क्षमता को दर्शाता है जो देश के बाज़ार में लगातार बढ़ रहा है। अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी का ये बयान उन लोगों का मुंह बंद करने के लिए काफी होगा जो बिप्लब देब का मज़ाक उड़ा रहे थे।
Before criticising Tripura CM for advice to the jobless to breed cows it is better to listen to a dairy expert who says Tripura is a milk deficit state and a youth having 10 cows can earn in lacs … https://t.co/oqITWbaZnD
— S Gurumurthy (@sgurumurthy) April 30, 2018
त्रिपुरा एक कम आबादी वाला भूमिगत राज्य है जो भारत की कुल आबादी का लगभग 0.3% है, और बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करता है जहां कई शरणार्थी अक्सर सीमा को पार कर यहां बस जाया करते हैं। प्रमुख उद्योगों की कमी की वजह से शिक्षित युवाओं के लिए समस्याएं बढ़ गयी हैं , जिन्हें अपने शैक्षिक योग्यता के आधार पर नौकरी के लिए अपना घर छोड़ना पड़ता है। त्रिपुरा एक उच्च साक्षर राज्य है जिसमें 95% आबादी साक्षर श्रेणी के अंतर्गत आती है। राज्य की आधी आबादी कृषि करती है, जबकि पहाड़ी इलाके और जंगल का 27% भूमि भाग भी खेती के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। आजीविका को आसानी से चलाने के लिए डेयरी फार्मिंग एक बढ़िया जरिया है जो त्रिपुरा और उसके नागरिकों में समृद्धि और खुशी को बढ़ावा देगा। सोढ़ी ने बिप्लब देब की टिप्पणियों का समर्थन करते हुए कहा कि त्रिपुरा राज्य में डेयरी सेक्टर के लिए अनुकूल भौगोलिक स्थिति होने के बावजूद दूध की कमी है और हर साल ये अन्य राज्यों से करोड़ो रुपये का दूध आयात करता है। उन्होंने ये भी कहा कि डेयरी फार्मिंग में व्यस्त व्यक्ति 10 गायों के साथ प्रति वर्ष छह से सात लाख रुपये आसानी से कमा सकता है।
वामपंथी और उसके सहानुभूति के साथ समस्या ये है कि जब वो सत्ता में रहते हैं तब राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने में असफल रहते हैं और जब सत्ता से बाहर होते हैं तब रोजगार की मांग करते हैं। सीएम बिप्लब देब ने त्रिपुरा के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए रास्ता दिखाने की कोशिश की। विशिष्ट वर्ग का समर्थन करने वाली मीडिया ने देश के युवाओं की आजीविका हेतु एक इमानदार रास्ते को बेकार रास्ता बताने की चेष्टा की है। वैसे सोचने वाली बात तो ये भी है की आखिर कब कम्युनिस्टों और वामपंथियों को ईमानदार, कड़ी मेहनत की अवधारणा समझ आई है जो आज समझ आएगी।