कर्नाटक विधान सभा चुनाव जैसे जैसे पास आ रहा है, वैसे वैसे चुनाव के नतीजों को लेकर नए सर्वे सामने आ रहे हैं। अब जन की बात द्वारा किये गये एक सर्वे के मुताबिक कर्नाटक में बीजेपी 100 से अधिक सीटें जीतने में कामयाब होगी जबकि कांग्रेस पिछले विधान सभा की तुलना में महज 60 सीटों पर सिमट जाएगी। इस सर्वे में 1.2 लाख उत्तरदाता शामिल हुए थे। इसका मतलब ये है कि बीजेपी कांग्रेस पर बढ़त बनाते हुए राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। इस सर्वे के मुताबिक बीजेपी को लगभग 102-108 के बीच सीटें प्राप्त हो सकती हैं। पीएम मोदी, अमित शाह और कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा राज्य में पार्टी के लिए लगातार प्रचार कर रहे है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बड़े पैमाने पर बीजेपी के लिए राज्य में प्रचार कर रहे हैं। पहली रैली से, उन्होंने मौजूदा कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर कड़े हमले किये थे।
2013 में कर्नाटक के विधान सभा चुनावों में बीजेपी को 224 में से 40 सीटें मिली थीं जबकि 2008 में बीजेपी ने 110 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जन की बात सर्वे में कांग्रेस को जनता दल (सेकूलर) से दोगुनी सीटें मिलने का दावा किया गया है। इस सर्वे में मौजूदा कर्नाटक कांग्रेस सरकार को 72-74 सीटों पर सिमटा दिया गया है। वहीं, 2013 में, मौजूदा कांग्रेस सरकार 80 से 122 सीटों के उछाल के साथ जीत दर्ज कर सत्ता में आई थी। कांग्रेस अध्यक्ष, राहुल गांधी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आगामी कर्नाटक विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए चुनाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।
Result of Karnataka's Largest Opnion Poll on #KarnatakaElections2018 with the sample of 1 Lac is here-@pradip103#JanKiBaatinKarnataka #KarnatakaElections #Karnataka #JanKiBaatandRepublic pic.twitter.com/lRxNQSLn6d
— Jan Ki Baat (@jankibaat1) May 3, 2018
इस सर्वे के अनुसार इस बार चुनाव में बीजेपी को 40% वोट शेयर मिलेंगे जबकि कांग्रेस इस बार 38% वोट शेयर मिलेंगे। वहीं, जेडी(एस) पार्टी ने पिछले चुनावों में 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन इस बार पार्टी को 20% वोट मिलेंगे जिसमें पार्टी राज्य में 42-44 सीटें जीतने में सफल रहेगी। इस सर्वे में ये भी कहा गया है कि अन्य पार्टी 2-4 सीटों पर सिमट जायेंगी। पिछली बार हुए चुनावों में भी अन्य ने 2 सीटें ही जीती थीं।
इस सर्वे में 2008 के नतीजे दोहराए जाने की बात कही गयी है, किसी भी पार्टी को राज्य में पूर्ण बहुमत न मिलने की वजह से त्रिशंकु विधानसभा (हंग असेंबली) के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में जेडीएस आगामी सरकार में किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है। ये देखना दिलचस्प होगा कि जिसतरह से गुजरात में बीजेपी ने अपनी साख बचाई थी उसी तरह कांग्रेस राज्य में अपनी साख बचाने में कामयाब हो पाती है या नहीं या फिर कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में एक और हार का मुंह देखेगी। इस सर्वे के अनुसार राज्य में कांग्रेस के लिए जीत की राह बहुत कठिन है। राज्य में पांच वर्षों से सिद्धारमैया के दयनीय शासन की वजह से लोगों में सरकार के प्रति असंतोष की भावना है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन के प्रति सिद्धारमैया का नर्म दृष्टिकोण, राज्य में दंगे, आईएएस और पुलिस अधिकारियों की हत्या और बुनियादी ढांचे की बिगड़ती स्थिति, अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, जातिवाद राजनीति और हिंदुओं को बाटंने की नीति के प्रति सरकार का मूक रवैये से लोगों का सरकार से मोह भंग हो गया है। इसके अलावा, मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी 2013 की तरह अब रक्षात्मक स्थिति में नहीं है। ये चिक्कोडी निर्वाचन क्षेत्र से जुड़े तथ्य से भी स्पष्ट हो जाता है जहां कांग्रेस की पकड़ सबसे मजबूत मानी जाती है जो कांग्रेस और जेडी(एस) का गढ़ हैं वहां पीएम मोदी की रैली में 1.5 लाख लोग भाग लेने के लिए आ रहे हैं। इस तथ्य से ये तो स्पष्ट है कि विपक्षी पार्टी भले ही सभी तथ्यों को नकारती रहे लेकिन हवा का रुख बीजेपी के पक्ष में हैं।
#ModiDaresRahul | If Modi isn't a factor, then in Chikkodi, which is a JD(S), Cong bastion, why are 1.5 lakh people coming to his rallies?: Pradeep Bhandari, Founder, Jan Ki Baat, to Nishant Verma pic.twitter.com/CrNy9EjV1t
— Republic (@republic) May 1, 2018
ऐसे में कांग्रेस अपने कुशासन, गलतियों और सत्ता विरोधी कार्यों और बीजेपी के शासन के प्रति अपने कमजोर दृष्टिकोण से आने वाले चुनाव में हार की ओर अग्रसर होती नजर आ रही है। लोग राज्य में मजबूत विकास करने वाली सरकार चाहते हैं और बीजेपी एक बार फिर से कर्नाटक में अपनी सत्ता कायम करना चाहती है। इस तथ्य को हम सभी जानते हैं कि बीजेपी की स्थिति दक्षिणी भारतीय राजनीति में बहुत कम है और बीजेपी के लिए कर्नाटक चुनाव दक्षिण भारतीय राजनीति के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जा रहा है। यही वजह है कि अगर बीजेपी दक्षिणी राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहती है तो कर्नाटक चुनाव में जीत दर्ज करना उसके लिए बहुत जरुरी।