गेहूं की खरीद राज्य सरकारों के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है क्योंकि ये खाद्य वितरण सुनिश्चित करता है। सरकार के स्टॉक में अनाज की मात्रा जितनी अधिक होगी, उतना ही सब्सिडी दरों पर सार्वजनिक वितरण प्रतिबद्धता को पूरा करने में लाभ होगा। इसके अलावा, ये खाद्य की कमी और उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने का प्रयास किया है। दरअसल, योगी ने किसानों को भुगतान करने और ऑनलाइन विवरण अपलोड करने के लिए सख्त मानदंड बनाए हैं साथ ही इन मानदंडों की अवहेलना करने वाली सहकारी समितियों ने अपने केंद्र बंद कर दिए हैं। योगी सरकार ने दो मल्टी-स्टेट सहकारी समीति, उपज उपार्जन, प्रसंस्करण एवं रिटेलिंग सहकारी संघ मर्यादित (NACOF) और एडीसीओ द्वारा संचालित लगभग 100 खरीद केंद्रों के संचालन को बंद करने के आदेश दिए हैं। इनपर आरोप हैं कि इन केन्द्रों ने खरीद नियमों का पालन नहीं किया जिसके तहत किसानों से फसल की खरीद के बाद 72 घंटे के अंदर-अंदर भुगतान करना और 24 घंटे के अंदर फसल की खरीद का विवरण ऑनलाइन दर्ज करना शामिल था।
इसके अलावा राज्य में माफियाओं पर नकेल कसने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। सरकार ने बिचौलियों पर भी नजर रखने की योजना बनाई है जो गरीब लोगों और किसानों के लिए निर्धारित कीमतों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने गेहूं की खरीद में शामिल बिचौलियों के खिलाफ 50 एफआईआर दर्ज कराए हैं। उत्तर प्रदेश यूपी खाद्य और नागरिक आपूर्ति अतिरिक्त आयुक्त ए के सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि, “हमने राज्य भर में 100 बिचौलियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।“ उन्होंने ये भी कहा, “चूंकि गेहूं की खरीद तेजी से बढ़ रही है, इसलिए अब हम क्वांटिटी की खरीद की बजाय क्वालिटी खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।” ये योगी सरकार की ख़ास बात है जो प्रभावी रूप के साथ और निडरता से माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। कई वर्षों के भ्रष्टाचार और अयोग्यता के साथ, यूपी में माफियाओं की जडें मजबूत हो गयी थीं और यही वजह है कि माफियाओं की कालाबाजारी बेखौफ थी। जबसे योगी जी सत्ता में आये हैं वो इन माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं और उन्हें कालाबाजारी करने से रोक रहे हैं। उनके इस कदम से किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा।
मार्च 2018 में, योगी आदित्यनाथ सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1735 रुपये प्रति क्विंटल और इसपर 10 रुपये प्रति क्विंटल उतराई की घोषणा की थी। योगी सरकार ने राज्य में लगभग 6,400 खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। अब तक, 750,000 से अधिक किसानों से गेहूं की खरीद की गई है, जिन्हें रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (आरटीजीएस) के माध्यम से 69 अरब रुपये का भुगतान किया गया है। अब तक, राज्य एजेंसियां सफलतापूर्वक 4 मिलियन टन (एमटी) गेहूं खरीद चुकी हैं जो निर्धारित लक्ष्य का 80% है। वर्ष 2018 में, यूपी में गेहूं का उत्पादन लगभग 35 मिलियन टन (एमटी) था। दरअसल, अधिकतर किसान गेहूं को स्थानीय बाजार में बेच देते हैं या वो इसे अपने निजी खपत के लिए रखते हैं। किसानों को खरीद केंद्रों पर अपनी फसलों को बेचने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए योगी सरकार ने सभी किसानों को गेहूं की खरीद के 72 घंटे के भीतर भुगतान करने की घोषणा की थी। साथ ही इस प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए अधिकतर केंद्र ऑनलाइन प्रक्रिया से जोड़े गये हैं। अत्यधिक विनियमन और भुगतान में देरी के कारण, किसान अपने गेहूं को राज्य एजेंसियों को बेचने से बचते हैं। ऐसे में योगी सरकार किसानों को मिलने वाली सुविधा में सुधार के लिए कई नीतियां और तरीके तैयार कर रही है। यूपी सरकार ने लाखों किसानों के ऋण को माफ कर दिया है। चाहे वो किसान हो, व्यापारी हो, छात्र हो, निजी कर्मचारी हो, या महिलाएं हों योगी सरकार समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए दिन-रात काम कर कर रही है। योगी की इन्हीं कोशिशों से उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश की दिशा में बढ़ रहा है।