प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज एक बार फिर से अच्छे कारणों से चर्चा में है। 22 जून को अहमदाबाद जिला अधिकारीयों ने पाकिस्तान के 90 हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता से सम्मानित किया। ये शरणार्थी सालों से राज्य में रह रहे थे जो पाकिस्तान में अपने जीवन और आजीविका पर बढ़ते खतरे के बाद भारत आ गये थे। अहमदाबाद जिला कलेक्टर विक्रांत पांडे ने खुद शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता के प्रमाण पत्र सौंपे। ये प्रमाण पत्र नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के अनुसार जारी किए गए थे। हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना जिला प्राधिकरण के लिए 2016 में केंद्र सरकार द्वारा लिए गये फैसले के बाद संभव हो पाया जिसमें दूसरे देश के अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता प्रदान करने की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया गया। डीसी विक्रांत पांडे ने कहा, ” 2016 में केंद्र ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों- हिंदुओं और सिखों को नागरिकता जारी करने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण किया था।”
दिसंबर 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा जारी किये गये एक गजट अधिसूचना के तहत गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर और कच्छ के जिलाधिकारियों को राज्य में रह रहे इन समुदायों के आवेदकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने की शक्तियां दी गई थीं। भारतीय नागरिकता के लाभार्थी अब भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित आधार, पासपोर्ट और अन्य सभी लाभों के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की गयी है उनके नाम मतदाता सूची में भी जोड़े जाएंगे और वो वोट डालने के हकदार होंगे। पांडे ने स्पष्ट करते हुए कहा कि , “नागरिकता के 90 प्रमाण पत्र देकर अहमदाबाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान से हिंदुओं और सिख जैसे अल्पसंख्यक धर्मों के शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने में देश के सभी जिलों में अग्रणी बन गया है। साल 2016 से अहमदाबाद अहमदाबाद जिला कलेक्टरेट 320 लोगों को नागरिकता प्रदान कर चुका है। उनमें 90 फीसदी पाकिस्तान से हैं और बाकी बांग्लादेश से हैं।” नागरिकता पाने वाले शरणार्थियों ने प्रशासन को अपना आभार व्यक्त किया और उनमें से कुछ ने पाकिस्तान के अपने बुरे अनुभव को साझा किया जिसकी वजह से वो अपने कारोबार और प्रियजन को छोड़कर पाकिस्तान से भागने के लिए बाध्य हुए थे।
देश में बहुत लंबे समय से उदारवादी और कम्युनिस्ट बांग्लादेश और अन्य देशों के अवैध प्रवासियों की नागरिकता की मांग कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें आवासीय स्थिति प्रदान करना उनके लिए एक जीत होगी क्योंकि निश्चित रूप से उनका वोट बैंक इससे बढ़ा होगा। अहमदाबाद जिला प्राधिकरणों ने अपने इस कदम से बता दिया है कि वो उन लोगों को अधिकार देने में विश्वास रखते हैं जिन्हें सच में इसकी जरूरत है न कि उन लोगों को जो बाहर से आते हैं और देश की सामाजिक स्थिति को बिगाड़ने का प्रयास करते हैं। मीराबेन महेश्वरी (70), एक शरणार्थी जिसे भारतीय नागरिकता दी गई थी, उन्होंने भारत से पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अपने अनुभवों को साझा किय। महेश्वरी ने कहा कि, “मेरी बेटी को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अगवा कर लिया गया था और उसे मुसलमान बना दिया गया था। हालांकि मैंने वहां एक अदालत में अपनी आवाज उठाई थी लेकिन मुझे अपनी बेटी कभी वापस नहीं मिली। स्थानीय लोगों ने जबरदस्ती हमारे घर और दुकान पर कब्जा कर लिया। मेरे पा मीराबेन जैसे हज़ारों लोग हैं जो इस तरह के भयानक अनुभवों से गुजरे हैं। उन्हें सभी तरह के सम्मान और प्यार की जरूरत थी यदि उन्हें छद्द धर्मनिरपक्षों पर छोड़ दिया जाए तो वो उन्हें कट्टरपंथी तत्वों में बदलने की कोशिश करेंगे। बीजेपी सरकार ने दुनिया भर से परेशान हिंदुओं को अधिकार देने की नीति में बदलाव करने की कोशिश की है, जो उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। यह विश्वव्यापी हिंदू समुदाय के लिए एक छोटी सी जीत है जो खतरा होने पर भारत का रुख करते हैं। अन्य अधिकारियों को अहमदाबाद जिला प्राधिकरण से सीख लेनी चाहिए और उनसे वास्तविक धर्मनिरपेक्षता से जुड़ी एक या दो ही बातें सीखनी चाहिए।