एक और बड़े बदलाव के तहत मोदी सरकार ने नौकरशाही में लैटरल एंट्री (पाश्र्विक प्रवेश) योजना शुरू की है। लैटरल एंट्री योजना के तहत केंद्र सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी। इन पदों पर आवेदन के लिए उम्मीदवारों की उम्र 1 जुलाई को न्यूनतम 40 साल होनी चाहिए और साथ ही उम्मीदवार मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से स्नातक होना चाहिए। इनकी नियुक्ति 3 साल के लिए होगी और अच्छा प्रदर्शन होने पर सरकार 5 साल तक के लिए इनकी नियुक्ति बढ़ा सकती है। संभावित पदों के लिए चुने गए उम्मीदवारों का वेतन केंद्र सरकार के अंतर्गत जॉइंट सेक्रटरी वाला ही होगा जोकि प्रति माह 1.44 -2.18 लाख रुपये होगा। उन्हें भारत सरकार के अधीन समतुल्य स्तर पर काम कर रहे अन्य अधिकारियों एक अनुरूप ही सारी सुविधा मिलेगी।
जिन पदों के लिए सरकार ने विज्ञापन जारी किए हैं वे 10 मंत्रालय और विभाग हैं, फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स। इसमें आवेदन करने वालों के लिए निर्देश दिए गया है, एक राज्य / संघ क्षेत्र के अधिकारी जो समतुल्य स्तर पर पहले से कार्यरत हों या वो अपने संवर्ग में समतुल्य स्तर पर नियुक्त किये जाने के योग्य हों, या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों स्वायत्त निकाय, वैधानिक संगठनों, विश्वविद्यालयों, मान्यता प्राप्त शोधसंगठनों में समतुल्य स्तर पर कार्यरत व्यक्ति शामिल हों और उनके पास कम से कम 15 साल का अनुभव हों। इसी प्रकार निजी क्षेत्र की कंपनियों में समतुल्य स्तर पर कार्यरत व्यक्ति भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं।
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ जारी की गयी अधिसूचना में सरकार के इस योजना के महत्व को बताया गया है। इसमें कहा गया है कि, भारत सरकार उन प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों को आमंत्रित करती है जो जॉइंट सेक्रटरी के स्तर पर सरकार में शामिल होकर राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान देने की इच्छा रखते हैं।” इसीलिए ये स्पष्ट है कि मोदी सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिये एक नए स्तर पर प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति करने का दृढ़ संकल्प किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने नौकरशाहों में सुधार और शासन में दक्षता के साथ-साथ नीतियों में सुधार पर जोर दिया है। उनका ये कदम दर्शाता है कि मोदी सरकार अपने वादे के प्रति कितनी दृण है। ये सच है कि आईएएस और अन्य सिविल सेवा कैडरों में कई कड़ी मेहनत करने वाले और सक्षम व्यक्ति शामिल हैं लेकिन ये भी सच है कि कई अधिकारी सुस्ती, अक्षमता और भ्रष्टाचार में भी प्रवीण रहे हैं। अब तक भारतीय नौकरशाही के लिए कोई प्रतिस्पर्धा नहीं थी। ये समय के साथ नौकरशाहों को और बेहतर बनाएगा। हम एक अक्षम सरकार को वोट दे सकते हैं लेकिन नौकरशाह लंबे समय तक रहते हैं। अब, सचिवों की एक समिति के साथ नीति आयोग द्वारा सिफारिश वाली ये लेटरल एंट्री योजना वर्तमान के नौकरशाहों पर दबाव डालेगी जिससे उनके प्रदर्शन रिकॉर्ड में सुधार होगा।
The primary reason why lateral entry to the IAS is critical is this: the IAS, while it has many hardworking and good people, is also the den of enormous lethargy, obstinacy and corruption. We can vote out netas but the babus are impossible to fire. The system needs a shake-up.
— HindolSengupta (@HindolSengupta) June 10, 2018
मोदी सरकार द्वारा मंत्रालय में इस बड़े बदलाव के कदम के बाद ऐसा लगता नहीं है कि कांग्रेस और इसी तरह का विचार रखने वाला विपक्ष कभी अपनी पार्टी लाइन से ऊपर उठेंगे। वो अपनी गन्दी राजनीति को जारी रखे हुए हैं और इस बड़े बदलाव पर भी राजनीतिकरण कर रहे हैं। राहुल गांधी, आरजेडी के तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि लैटरल एंट्री योजना ‘असंवैधानिक’ और ‘आरक्षण विरोधी’ है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि कल सरकार बिना चुनाव के ही प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों की नियुक्ति कर देगी। अब उनके बयान को समझना मुश्किल है कि वो आखिर किस तरह के समझ की बात कर रहे हैं और वो खुद पहले अपने बयान पर नजर डालें और समझायें कि कैसे उनका बयान सही है । एक और विपक्षी नेता, सीपीएम के अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने इसे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षणों को हटाने का प्रयास बताया है। 40 से अधिक वर्ष की उम्र वाले व्यक्तियों की नियुक्ति ऐसे उच्च स्तर पर आरक्षण के लिए कैसे हानिकारक हो सकती हैं? याद रखें कि यूपीएससी सिविल सेवाओं में आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है। इसका एससी / एसटी आरक्षण से दूर दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है। कांग्रेस इस बौद्धिक दिवालियापन में एक कदम आगे निकल गयी और घोषणा की है कि वो इस फैसले को अदालत में चुनौती देगी।।
इस गैर-क़ानूनी और अवैध आलोचना के साथ विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि ये सिर्फ बीजेपी है जो प्रशासनिक दक्षता और बेहतर शासन की परवाह करती है। दूसरी तरफ, संपूर्ण विपक्ष की सोच संकीर्ण है और वोट बैंक की राजनीति से ऊपर की नहीं सोचता है। ऐसे में ये स्पष्ट है की 2019 के चुनावों में प्रतिस्पर्धा विकास केंद्रित राजनीति का प्रतिनिधित्व करने वाले पीएम मोदी बनाम विकास के विपरीत अक्षम और सुस्त विपक्ष के बीच होगा।