भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और राज्य में राज्यपाल का शासन लागू हो गया। राज्यपाल एनएन वोहरा ने उत्कृष्ट लोगों को सलाहकार के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त किया है। सुपरकॉप के विजय कुमार ने कश्मीर घाटी का चार्ज संभाला है। राज्य में चल रहे आतंकवादी गुटों के खिलाफ संघर्ष शुरू हो चुका है और इसलिए घाटी में आतंकियों की सफाई प्रक्रिया शुरू हो गई है। जम्मू-कश्मीर इस्लामी राज्य के प्रमुख (आईएसजेके) दाऊद अहमद सोफी को 22 जून को सशस्त्र बलों ने मार गिराया था। आईएसजेके और उसके सदस्यों के तार सीधे इस्लामी राज्य (आईएस) से जुड़े हैं लेकिन वो कश्मीर घाटी में इस्लामी मातृभूमि बनाने के आईएस प्रोपेगेंडे से प्रभावित हैं। दाऊद अहमद सोफी और आईएसजेके के अन्य सदस्य शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा पर हमला करने की योजना बना रहे थे। ये ऑपरेशन एलिट राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) कमांडो द्वारा अंजाम दिया गया था और इसी के साथ इस एलिट बल ने कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत कर दी है। ये घाटी में पनपते कट्टरपंथी तत्वों के लिए बड़ा झटका है और अमरनाथ यात्रा के महत्व और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के संबंध में एक बड़ी सफलता। केंद्र सरकार की योजना काम कर रही है।
पुलिस महानिदेशक एस पी वैद ने आतंकवादियों के निष्कासन के लिए बनाई जा रही योजनाओं का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि, चार आतंकवादियों मार गिराया गया है। आतंकवादियों को घर में छुपाकर रखा गया था जानकारी मिलने के बाद उन्हें चारों तरफ से पहले घेरा गया और फिर उन्हें ढेर कर दिया गया। मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया और घर के मकान मालिक की भी मौत हो गयी। ये घर श्रीगुफवाड़ा गांव में स्थित है जो अमरनाथ के तीर्थ के मार्ग में पड़ता है। हथियार और गोला बारूद के साथ मुठभेड़ स्थल से कुछ और संदिग्ध साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं। इस ऑपरेशन को विश्वसनीय स्रोतों से मिली ख़ुफ़िया जानकारी के बाद अंजाम दिया गया था। 28 जून से शुरू हो रहे अमरनाथ यात्रा के दौरान खतरे को खत्म करने के लिए इस तरह की त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता थी।
अमरनाथ यात्रा के दौरान खतरों को कम करने के लिए एनएसजी कमांडो की कार्रवाई वास्तव में सराहनीय हैं। केंद्र सरकार ने घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करते हुए उनपर नकेल कसने के लिए एनएसजी कमांडोज को घाटी में तैनात किया था और उन्होंने अपने पहले ही ऑपरेशन में उत्कृष्ट परिणाम दिए हैं। केंद्र सरकार का जम्मू-कश्मीर सरकार से समर्थन वापस लेने और राज्य राज्यपाल शासन लागू करना अच्छे परिणाम दे रहा है। यही वजह है कि बीजेपी के लिए जम्मू-कश्मीर में गठबंधन से बाहर आना जरुरी हो गया था। महबूबा मुफ्ती और उनके लापरवाह रवैये ने घाटी में आतंकवादियों और अलगाववादियों के मनोबल को बढ़ावा दिया था। राज्य में राज्यपाल के शासन ने बीजेपी को घाटी में खतरों को खत्म करने का मौका दिया है और ये भी दिखाया है कि वो भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं। घाटी में जारी आतंक विरोधी अभियान में अब सुरक्षा बलों को खुली छूट दी गयी है जिससे वो घाटी में खतरों को कम कर नागरिकों के लिए सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें। महबूबा मुफ़्ती की सरकार की तरह अब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथ नहीं बंधे हैं। तुष्टिकरण की राजनीति की जगह राष्ट्रीय हितों को तवज्जों दी जा रही है और एनएसजी और अन्य सशस्त्र बल बिना राज्य सरकार की रोक-टोक के घाटी में सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। कुडोस से एनएसजी और अन्य सुरक्षा बल तक सभी ने अमरनाथ यात्रा के खतरे को खत्म किया है और इस्लामी जिहादी तत्वों को खत्म कर वास्तविक धर्मनिरपेक्षता को दिखाया है। कश्मीर अब सुरक्षित हाथों में है और आतंकियों को उनकी सही जगह दिखाई जा रही है।