भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी के बीच चल रही तनातनी के बीच आखिरकार भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन से हटने का फैसला ले लिया है। ये एक नया विकास है जिसका मतलब है कि महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व वाली सरकार राज्य में समय से पूर्व ही गिर गयी है। कई गंभीर मुद्दों को लेकर दो अलग विचारधाराओं की पार्टियों के बीच तनाव बढ़ता गया और ये टकराव कुछ हफ्ते पहले महबूबा मुफ्ती को बीजेपी मंत्रियों द्वारा दिए गये इस्तीफे के बाद से और बढ़ गया था। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कल जम्मू-कश्मीर में बीजेपी विधायकों और कार्यकर्ताओं की एक बैठक बुलाई थी और विचार-विमर्श के बाद ही उन्होंने सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया।
#BJPDumpsPDP | It's Over! BJP pulls out of alliance with PDP in Jammu and Kashmir. Full details here https://t.co/XE2SfZtw8W
— Republic (@republic) June 19, 2018
कठुआ रेप मामले के बाद से ही गठबंधन में दरार पड़ चुकी थी जब राज्य के भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाया था कि वो बीजेपी के नेताओं को इस मामले में दोषी ठहराकर अपना राजनीतिक अंक साधने की कोशिश कर रही हैं। बीजेपी मंत्रियों का इस्तीफा ही महबूबा मुफ्ती की सरकार में अस्थिरता और राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में उभरकर सामने आने लगा था। दोनों पार्टियों के बीच बढ़ते मतभेद का दूसरा कारण जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों को स्थापित करने का मुद्दा था। भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाया था कि मुफ्ती सरकार रोहिंग्या शरणार्थियों को जम्मू के हिंदू बहुमत वाले क्षेत्र में बसाने की योजना बना रही थीं जोकि बीजेपी का मतदाता आधार है, पिछले विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान इस क्षेत्र में बीजेपी को बढ़त मिली थी और महबूबा मुफ्ती अपनी इस योजना से यहां के डेमोग्राफिक में बदलाव लाना चाहती थीं।
#BREAKING: BJP pulls out of J&K alliance Govt after repeated attacks on forces and civilians. J&K Govt to fall. PDP-BJP alliance over in J&K. BJP to make announcement shortly, decision taken after soft approach of PDP towards terrorism. pic.twitter.com/w0B1z8lYLM
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 19, 2018
मुफ्ती सरकार ने हाल ही में रमजान के महीने के दौरान केंद्र सरकार से घाटी में आतंक-विरोधी ऑपरेशन को रोकने की मांग की थी जिससे बीजेपी का मतदाताआधार और कार्यकर्ता खुश नहीं थे। इस सीजफायर के फैसले ने बीजेपी समर्थकों के बीच निराशा को बढ़ावा दिया और इसके बाद बीजेपी के गठबंधन को तोड़ने के फैसले को मजबूती और मिली।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्य में अब राज्यपाल शासन लगाया जायेगा।
गठबंधन से भारतीय जनता पार्टी ने अपना समर्थन वापस लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने दिखा दिया है कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ अपने फायदे के लिए सत्ता में नहीं बनी रहती। एक समय जब विपक्ष का एकमात्र एजेंडा किसी भी माध्यम से सत्ता हासिल करना है जैसा कि हाल ही में कर्नाटक में देखा गया था उस समय में बीजेपी ने ये दिखाया है कि ‘राष्ट्र धर्म’ ‘गठबंधन धर्म’ से ऊपर है।