उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में एक शर्मनाक और चौंका देने वाली घटना सामने आई है जहां एक दलित लड़की को एक चर्च के एक पादरी ने लालच देकर उसका धर्म बदला और फिर उसे लुधियाना में बाजीगर बस्ती के रहने वाले फुलचंद्र नाम के एक व्यक्ति को 1 लाख रुपये में बेच दिया। उसे बेचने से पहले, पादरी ने ईसाई अनुष्ठानों के अनुसार फुलचंद्र के साथ उसकी शादी की व्यवस्था की थी।
अपर पुलिस अधीक्षक वंशराज यादव के मुताबिक पंजाब के लुधियाना में पीड़िता के साथ फूलचंद ने कई बार रेप किया। पीड़िता के परिजन को इस बारे में की कोई जानकारी नहीं थी। लड़की किसी तरह से मौका पा कर वहां से भागने में कामयाब रही। इसके बाद पीड़िता ने अपने परिजन को पूरे मामले की जानकारी दी। अपनी लड़की के साथ इस तरह का भयावह कृत्य सुनने के बाद परिजनों ने इस बात की शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने मामले में सख्ती दिखाते हुए तुरंत आईपीसी अधिनियम के तहत पादरी के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। फुलचंद के खिलाफ भी मामला पंजीकृत किया गया है। पुलिस के मुताबिक, मामले की जांच चल रही है फिलहाल मामला दर्ज कर पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
चर्च के पादरियों पर बच्चों के खिलाफ अपराध करने का रिकॉर्ड रहा है। चर्च में बाल शोषण की ये समस्या पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही है। 1950 से 2010 तक ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाले सभी पादरियों में से लगभग सात प्रतिशत पर बच्चों का यौन शोषण करने का आरोप लगा था। पोप फ्रांसिस ने बिशप जुआन बैरोस का बचाव किया था जिसपर बच्चों के यौन शोषण का आरोप है। विभिन्न लोगों ने माना है कि कैथोलिक चर्च के भीतर बाल यौन शोषण एक व्यवस्थित समस्या है। फादर माइकल बेकर पर चर्च में 30 वर्षों के कार्यकाल के दौरान 23 बच्चों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है।
भारत भी कोई अपवाद नहीं है। भारत में स्थित चर्चो में बाल यौन शोषण तेजी से फैला है। 2014 में केरल के थ्रिसुर, थैक्कात्तुस्सेरी में सेंट पॉल चर्च के विकार राजू कोकण को नौ वर्षीय लड़की से रेप के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2017 में, कन्नूर में सेंट सेबेस्टियन चर्च के फादर रॉबिन उर्फ मैथ्यू वडक्कंचेरिल को कोच्चि में एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जिसने बाद में एक बच्चे को जन्म दिया था। हाल ही में जयपुर में, चर्च के पादरी जॉर्जिश ब्रिटो के लिए ‘उपवास और प्रार्थना करने के लिए अपील की गयी थी जिसपर पोक्सो कानून (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस ऐक्ट) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इससे बाल यौन शोषण के अपराध के प्रति चर्च की गंभीरता का पता चलता है।
ये चौंकाने वाली घटनाएं धार्मिक गुरुओं द्वारा नाबालिग लड़कियों के खिलाफ बढ़ते अपराध का संकेत देता है जो एक सभ्य समाज के लिए घृणित है। कम से कम इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए अब कानून तो है। हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय में मोदी सरकार ने पोस्को एक्ट के तहत ऐसे बलात्कारियों को मौत की सजा देने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 12 साल से कम उम्र के मासूम के साथ रेप करने के दोषियों को मौत की सजा देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी थी। बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी।
सरकार बाल यौन शोषण के अपराधियों पर कड़ा शिकंजा कसने के लिए सख्त कदम उठा रही है। ऐसे अपराधी जो बच्चों की निर्दोषता का लाभ उठाते हैं और उनका यौन शोषण करते हैं। बाल विद्रोहियों और बलात्कारियों ऐसे अपराधों के लिए सख्त सजा के लायक हैं।