‘वीरे दी वेडिंग’ आपत्तिजनक भाषा की वजह से पाकिस्तान में हुई बैन

वीरे दी वेडिंग पाकिस्तान

बॉलीवुड की दुनिया में भारतीय फिल्मस्टार अपनी फिल्मों के प्रचार प्रसार के लिए कुछ भी करते हैं और इसकी कोई सीमा नहीं है। प्रोमो, चुनौतियां, गिफ्ट देना आम तौर पर वो अपनी आने वाली फिल्मों को प्रचार के लिए करते हैं और कुछ लोग इससे कहीं आगे निकल जाते हैं। कुछ सितारे दूसरे धर्म, राष्ट्र, संस्कृति को अपमानित करने से पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं। वो अपनी गिरती छवि को ऊपर उठाने के लिए विवादों को जन्म देते हैं ताकि इससे मिले पब्लिसिटी स्टंट का इस्तेमाल वो अपनी आने वाली फिल्मों के लिए कर सकें। एक कम टैलेंट वाली अभिनेत्री सोनम कपूर जो सिर्फ अपने पिता अनिल कपूर की वजह से ही इस मुकाम पर पहुंची हैं, वो और स्वरा भास्कर ने बीते दिनों में कुछ ऐसा ही किया था। इन दोनों का बॉलीवुड की एक बड़ी अभिनेत्री करीना कपूर ख़ान ने समर्थन किया था जोकि बॉलीवुड के अग्रणी परिवार से हैं और उनकी आगामी फिल्म में सह-अभिनेत्री हैं। उनके प्लाकार्ड थामे हुए चेहरे ने उनकी कोई मदद नहीं की जिसमें एक देश और धर्म को लक्षित किया गया था बल्कि इसके विपरीत उन्हें इसके लिए आलोचनाएं मिली थीं। आमतौर पर अभिनेता अभिनेत्री ऐसे काम सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ही करते हैं। भारत ने उनके इस कदम को सिरे से नकार दिया! और अब उडती हुई खबर ये आ रही है की उनकी ये फिल्म पाकिस्तान में भी बैन हो गयी है।

पाकिस्तान ने वीरे दी वेडिंग फिल्म में अशोभनीय भाषा और आपत्तिजनक दृश्यों के इस्तेमाल के चलते सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में रिलीज़ पर बैन लगा दिया है। पाकिस्तान के सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सेंसर (सीबीएफसी) के चेयरमैन दानियाल गिलानी ने अपने सोशल मीडिया के जरिये आईएएनएस को कहा, “सीबीएफसी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से वीरे दी वेडिंग फिल्म को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है क्योंकि ये सेंसरशिप कोड ऑफ़ फिल्म 1980 की अवहेलना करता है।”

फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ को पाकिस्तान के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने ‘अश्लील भाषा’ का हवाला देते हुए बैन कर दिया। सीबीएफसी के लिए मंगलवार रात को आयोजित किये गये विशेष फिल्म स्क्रीनिंग के बाद पाकिस्तान सीबीएफसी ने ये फैसला लिया था। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, फिल्म के वितरकों ने भी पाकिस्तान में इस फिल्म को रिलीज करने संबंधी अपने आवेदन को वापस ले लिया है। सीबीएफसी के सदस्यों द्वारा व्यापक रूप से फिल्म की आलोचना किये जाने के बाद फिल्म के वितरकों ने अपने आवेदन को वापस लेने का फैसला किया था।

इससे पहले वीरे दी वेडिंग की अभिनेत्रियों ने समय-समय पर अपने ‘धर्मनिरपेक्ष’ प्रमाण-पत्र को दिखाने के लिए सारी हदों को पार कर दिया था। करीना कपूर खान द्वारा पाकिस्तानी फैंस के लिए स्नेह व्यक्त करते हुए खुद को पाकिस्तानी जैसा कहने से लेकर स्वरा की घोषणा कि उन्हें पाकिस्तान से प्यार है तक, इन अभिनेत्रियों ने कई बार अपने पसंदीदा देश और वहां के लोगों को खुश करने की कोशिश की है।

मुझे कोई भी पाकिस्तानी समझ कर कंफ्यूज हो सकता है: करीना कपूर

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https://youtu.be/oSRjkOP21tw

अतीत में पाकिस्तान से अनगिनत रिजेक्शन मिलने के बाद भी इन अभिनेत्रियों द्वारा खुद को ‘आधुनिक उदारवादी’ के रूप में पेश करने की कोशिश जारी है। सोनम कपूर अभिनीत फिल्म ‘नीरजा’ जो वर्ष 1986 में कराची हवाईअड्डे से पैन एम उड़ान 73 के हाईजैक होने की सच्ची घटना पर आधारित थी पाकिस्तान में बैन कर दी गई थी क्योंकि इसमें कथित रूप से पाकिस्तान की खराब छवि दिखाई गयी थी। इन सभी घटनाओं के बावजूद बॉलीवुड के इस उदारवादी गैंग की आंखें नहीं खुली हैं जो समय समय पर भारत और पाकिस्तानी उदारवादियों के बीच प्रो-पाकिस्तान के रूप में स्वीकृति प्राप्त करने की कोशिश करते रहते है जबकि पाकिस्तान की जनता ने इन ‘सामान्य’ अभिनेत्रियों की जरा भी परवाह नहीं की है। पाकिस्तान के सीबीएफसी द्वारा मिला रिजेक्शन ने उदारवादी मानसिकता रखने वालों को बिलकुल सही जवाब दिया है जो भारत में बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं को चोट पहुंचाने के लिए कुछ भी बोल जाते हैं। सोशल मीडिया और न्यूज़ कांफ्रेंस में उनकी भारत विरोधी आवाज अपने डूबते करियर को बचाने के लिए सिर्फ एक ज़रिया है। कठुआ मामले के बाद पूरे समुदाय को बलात्कारी के रूप में लेबल करना निराशाजनक था। मंदिर के नाम का उपयोग कर वो ये दर्शाने की कोशिश कर रहे थे कि इस पूरे जघन्य अपराध में हिन्दुओं की प्रमुख भूमिका थी। ये तथाकथित स्टार भूल जाते हैं कि जिन लोगों को वो बलात्कारी के रूप में लेबल कर रहे हैं ये वही लोग हैं जिन्होंने उन्हें इतना बड़ा सितारा बनाया है।

पाकिस्तान द्वारा वीरे दी वेडिंग के रिजेक्शन के बाद जमीनी हकीकत के प्रति ऐसे सितारों  की आँखें खुल जानी चाहिए और उन्हें भारत में मिल रहे विशेषाधिकार का एहसास करना चाहिए जिसका वो आनंद उठाते हैं। उन्हें ये समझना चाहिए कि उनकी ये घटिया अभिनय कौशल अब सिर्फ एक प्लाकार्ड के पीछे छुपा नहीं रह सकता है। प्लाकार्ड घटना के बाद वो माफ़ी मांग लें तो अच्छा होगा, उनका अक्खड़पन सिर्फ अहंकार और कट्टरपंथी नहीं था।

ये फिल्म के बहिष्कार के लिए कोई  आवाहन नहीं है बल्कि उन सवालों को उठाना है जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में आप सोचिये कि क्या आप स्वप्रमाणित हस्तियों को समर्थन देकर गलत हाथों में शक्ति दे रहे हैं ?

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